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झारखंड में स्कूलों के विलय के निर्णय पर घेराबंदी

झारखंड सरकार ने नीति आयोग की सलाह पर 30 से कम छात्र छात्राओं की संख्या वाले स्कूलों को दूसरे स्कूल में विलय करने का निर्णय लिया है।

By BabitaEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 01:07 PM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 01:50 PM (IST)
झारखंड में स्कूलों के विलय के निर्णय पर घेराबंदी
झारखंड में स्कूलों के विलय के निर्णय पर घेराबंदी

रांची, जेएनएन। झारखंड सरकार के एक निर्णय पर राज्य से भाजपा के सभी 12 लोकसभा सदस्यों ने सवाल उठा दिए हैं। नीति आयोग की सलाह पर राज्य सरकार ने 30 से कम छात्र छात्राओं की संख्या वाले स्कूलों को समीप के दूसरे स्कूल में विलय करने का निर्णय लिया है। इस कारण 6,500 स्कूल बंद हो चुके हैं।

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इनका विलय करने की प्रक्रिया चल रही है। लोकसभा सदस्यों ने मुख्यमंत्री रघुवर दास से आग्रह किया है कि प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के विलय की प्रक्रिया को तत्काल बंद किया जाए। यह भी जानकारी दी गई है कि विद्यालयों को बंद करने का निर्णय जनता में रोष का कारण बन रहा है। इसका खामियाजा जन प्रतिनिधियों को भुगतना पड़ सकता है। यह भी दलील दी गई है कि विद्यालयों के बंद होने से अशिक्षा बढ़ेगी। लोकसभा सदस्यों ने इस फैसले को अलोकप्रिय करार दिया है। 

दरअसल विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार की पूरी तरह से घेराबंदी कर रखी है। यह प्रचारित किया जा रहा था कि सरकार निचले स्तर पर शिक्षा को हतोत्साहित कर रही है। सांसदों के पत्र में इसी ओर इशारा किया गया है। सांसदों ने सुझाव दिया है कि शिक्षकों की संख्या को बढ़ाते हुए सरकार विद्यालय विलय करने के निर्णय को आने वाले एक वर्ष के लिए रोके। इन्हें इसका भी डर सता रहा है कि विद्यालयों के लिए बड़े-बड़े भवन बने हुए हैं। इन विद्यालयों के बंद होने से भविष्य में ये भवन खंडहर में बदल जाएंगे या फिर अराजक तत्वों के या अनैतिक गतिविधियों के केंद्र में आ जाएंगे।

विवादों की राजनीति

झारखंड का अपने पड़ोसी राज्यों के साथ कई मसलों पर विवाद चला आ रहा है। कुछ का निपटारा हो चुका है, लेकिन कई मसले ऐसे हैं जो सुलझ नहीं रहे हैं। इनमें से एक अहम मसला मसानजोर डैम और उससे जुड़े मुद्दे हैं। मसानजोर डैम पश्चिम बंगाल की सीमा से सटा है और इस पर बना बांध पश्चिम बंगाल का हिस्सा है। झारखंड का तर्क है कि डैम के जल पर राज्य का नियंत्रण और अधिकार होना चाहिए। इसके अलावा डैम के निर्माण की वजह से विस्थापित हुए लोगों को पुनर्वास पैकेज और मुआवजा मिलना चाहिए। हाल के दिनों में पश्चिम बंगाल पुलिस की गतिविधियां इस इलाके में बढ़ी हैं और पुलिस ने झारखंड सरकार के बोर्ड आदि हटा दिए हैं। इससे तनातनी स्वाभाविक है। क्षेत्रीय विधायक और राज्य सरकार की मंत्री डॉ. लुइस मरांडी ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हळ्ए चेतावनी दी कि इस डैम की ओर आंख उठाकर देखने वाले की आंख निकाल ली जाएगी। उनके इस तेवर से खलबली मची और पश्चिम बंगाल सरकार ने स्थिति की जांच के लिए अपने अफसरों को प्रतिनियुक्त किया। सवाल यह उठता है कि ऐसे मसलों का स्थाई समाधान निकालने की पहल क्यों नहीं होती? झारखंड के गठन को 18 वर्ष बीत गए, लेकिन बिहार के साथ कई संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा है।

विद्युत उत्पादक संयंत्र टीवीएनएल पर बिहार अपना हक इस आधार पर जताता है कि उसका पंजीकृत कार्यालय पटना में है। इसी प्रकार झारखंड की जमीन के लगभग एक लाख नक्शे बिहार के पास हैं। बिहार ने इसे लौटाने की पहल भी की, लेकिन नक्शों की मूल प्रति के बजाय छायाप्रति मिली। सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीन के स्वामित्व को लेकर भी रैयतों के बीच तनातनी होती है। हालांकि कई विभागों की संपत्तियों का बंटवारा भी हो चुका है। इस परिस्थिति में अगर सभी पक्ष मिल-बैठकर विवादों का निपटारा करें तो इस पर राजनीति की नौबत नहीं आएगी।

बीमारी का प्रकोप

झारखंड इन दिनों मलेरिया के अलावा डेंगू और चिकनगुनिया से परेशान है। पूरा मानसून अभी बाकी है और यहां 24 में से 10 जिले डेंगू और चिकनगुनिया की चपेट में आ गए हैं। इसमें राजधानी रांची भी शामिल है। डेंगू और चिकनगुनिया के वाहक मच्छरों के लार्वा लगातार मिलने से राज्य में संचालित स्वच्छता अभियान की भी पोल खुली गई है। यह स्थिति तब है जब केंद्र ने झारखंड को सर्वश्रेष्ठ स्वच्छता अवार्ड से नवाजा है। झारखंड में डेंगू के अब तक 53 तथा चिकनगुनिया के 181 मरीज मिल चुके हैं। संतोष की बात यही है कि अभी तक एक भी मरीज की मौत इससे नहीं हुई है।

चिकनगुनिया की बात करें तो अब तक हुई 521 सैंपल की जांच में 181 लोगों को इसके होने की पुष्टि हुई है। इनमें से 180 मरीज रांची के हैं, जबकि एक मरीज सिमडेगा का है। वहीं सबसे अधिक राजधानी रांची में डेंगू के 31 तथा जमशेदपुर में 10 मरीज मिले हैं। इसी तरह पश्चिमी सिंहभूम में तीन, गढ़वा में दो, सिमडेगा में एक, लातेहार में एक, गिरिडीह में एक, सरायकेला-खरसावां में एक, कोडरमा में एक तथा बोकारो में एक डेंगू के मरीज मिले हैं। नौ डेंगू और चिकनगुनिया के संदिग्ध मरीज भी मिले हैं। दूसरी तरफ राज्य सरकार के पास दोनों बीमारियों की जांच के लिए पर्याप्त किट भी नहीं हैं। राज्य सरकार ने केंद्र से अतिरिक्त किट की मांग की है। 


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