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मृतप्राय उद्योग को मिली संजीवनी, प्रधानमंत्री की बात सुन हुआ नई ऊर्जा का संचार

यह एक सपने जैसा है। मैं बता नहीं सकता कि किसी सपने को देखना और उसका पूरा होना क्या होता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 08:51 AM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 08:51 AM (IST)
मृतप्राय उद्योग को मिली संजीवनी, प्रधानमंत्री की बात सुन हुआ नई ऊर्जा का संचार
मृतप्राय उद्योग को मिली संजीवनी, प्रधानमंत्री की बात सुन हुआ नई ऊर्जा का संचार

विश्वजीत भट्ट, रांची : यह एक सपने जैसा है। मैं बता नहीं सकता कि किसी सपने को देखना और उसको पूरा करने के लिए हाथ पैर मारना तथा उस सपने को अपनी ही आंखों से मरते हुए देखना कितना तकलीफदेह होता होगा। दुश्वारियों के बीच यदि किसी की आवाज आपके अंदर इतनी ऊर्जा का संचार कर दे कि आप एक बार फिर सीना तानकर खड़े हो जाएं कि उसको हर हाल में पूरा करना ही करना है तो समय बदलते देर नहीं लगती। यह अभूतपूर्व आत्मविश्वास रांची के धुर्वा सेक्टर टू में रहने वाले मनोज कुमार के अंदर शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने और रूबरू होने के बाद आया। ये बात मनोज ने बड़े ही गर्वित और थोड़े से द्रवित होकर दैनिक जागरण से बात करते हुए कही। गर्वित इसलिए कि प्रधानमंत्री से बात करने और रूबरू हुए। द्रवित इसलिए कि वे रांची से भोपाल अपनी गाड़ी खुद चलाकर भोपाल जा रहे थे, क्योंकि उन्हें अपने मां-बाप का इलाज कराना है। इसी बीच उन्होंने दी इंडिया टॉय फेयर में शिरकत की। थके थे। डरे थे। प्रधानमंत्री से जैसे बात हुई, सबकुछ पीछे छूट गया और वे एक बार फिर सीना तान कर खड़े हो गए हैं। इस उम्मीद के साथ कि अब कारोबार को एक नया मुकाम हासिल होगा। एक नई पहचान मिलेगी। मनोज कहते हैं कि मैंने अपनी कंपनी का नाम बड़े ही अरमान और बड़ी सोच लेकर रखा था लैंड स्काई वे। मतलब जमीन पर रहकर आसमान में उड़ान। मैं अब उड़ान भरने के लिए तैयार हूं।

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मनोज ने अपनी इस कंपनी की शुरुआत 2013 में की थी। रजिस्ट्रेशन 2014 में कराया। हस्तशिल्प, झारखंड के तसर सिल्क के साथ ही अन्य पारंपरिक कार्यों को अपनी कंपनी के जरिए संरक्षित कर रहे थे। किसी तरह जिदगी की गाड़ी खिच रही थी। कंधों पर तीन भाई और चार बहनों के भरण पोषण की जिम्मेदारी भी थी। साथ में बीमार मां-बाप के इलाज व उनकी सेवा का जुनून भी। जब कोराना महामारी के कारण लॉकडाउन लगा तो चारों ओर अंधेरा छा गया। फिर मन में यह विचार आया कि इसी कंपनी में क्यों न कुछ नया शुरू किया जाए। तीन सहयोगियों और अपने भाई बहनों को साथ लेकर टेडी बीयर बनाना शुरू किया। फाइबर कॉटन, कॉटन के कपड़ों से 200 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक के टेडी बीयर बनाने शुरू किए। मात्र 15 प्रतिशत मुनाफे पर बेचना भी शुरू कर दिया। जैसे-जैसे अनलॉक होता गया, व्यापार को गति मिलती गई। क्योंकि चीन से खिलौने नहीं आ रहे थे। इसके बाद वोकल फॉर लोकल के तहत केंद्र की मोदी सरकार की इन पर नजर पड़ी और इसके सपनों को पंख लगने की उम्मीद परवान चढ़ने लगी। शनिवार को प्रधानमंत्री से रूबरू होने के बाद तो यह स्थापित हो गया कि मनोज धरती पर रहकर आसमानों में उड़ सकते हैं। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार वर्चुअल माध्यम से 27 फरवरी से दो मार्च तक भारत खिलौना मेला (दी इंडिया टॉय फेयर) का आयोजन कर रही है। झारखंड में रांची के मनोज कुमार को इस मेला में शामिल होने का मौका मिला है। मेले में उनको अपने खिलौनों की प्रदर्शनी लगाने के लिए चुना गया है और उनकी प्रदर्शनी को खूब सराहना भी मिल रही है। राष्ट्रीय मंच पर झारखंड का प्रतिनिधित्व करते हुए इस खिलौना मेले में हिस्सा लेकर मनोज बहुत खुश हैं। टेडी बियर के निर्माण में मनोज कुमार से जुड़े कई लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिला है। मनोज का मानना है कि युवाओं की सोच में बड़ा बदलाव आया है। वे खुद जॉब क्रिएटर बनने की राह पर चल पड़े हैं। जब टेडी बीयर का निर्माण शुरू किया तब प्रमिला कुमारी और निम्मी जैसी कई अन्य को घर के पास ही रोजगार मिल गया।


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