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ऑक्सीजन के बाद अब एंटीबायोटिक इंजेक्शन का टोटा Ranchi News

कोरोना महामारी के बीच ऑक्सीजन की मारामारी के बाद मरीजों को मिलने वाली दवा पर भी आफत आ चुकी है। राजधानी के सदर अस्पताल में भर्ती मरीजों को अब एंटीबायोटिक इंजेक्शन नसीब ही नहीं हो रहा है। मरीज के परिजन को दवा खरीदने के लिए दौड़ लगानी पड़ रही।

By Vikram GiriEdited By: Published: Fri, 14 May 2021 04:41 PM (IST)Updated: Fri, 14 May 2021 04:41 PM (IST)
ऑक्सीजन के बाद अब एंटीबायोटिक इंजेक्शन का टोटा Ranchi News
ऑक्सीजन के बाद अब एंटीबायोटिक इंजेक्शन का टोटा। जागरण

रांची, जासं । कोरोना महामारी के बीच ऑक्सीजन की मारामारी के बाद मरीजों को मिलने वाली दवा पर भी आफत आ चुकी है । राजधानी के सदर अस्पताल में भर्ती मरीजों को अब एंटीबायोटिक इंजेक्शन नसीब ही नहीं हो रहा है। मरीज के परिजन को दवा खरीदने के लिए दौड़ लगानी पड़ रही है। करोना पीड़ित मरीजों को जीवन रक्षक दवा के लिए हाय एंटीबायोटिक दिया जाता है। जिसके लिए दो एंटीबायोटिक पीप्जो और मेरोपीनेम देने की सलाह दी गई है लेकिन अस्पताल में यह दोनों एंटीबायोटिक उपलब्ध नहीं है जिसके बाद मरीजों को 4.5 ग्राम पॉवर की जगह 1 ग्राम वाला दूसरा एंटीबायोटिक दे दिया जा रहा है। खुद डॉक्टरो के अनुसार ऐसे मरीजो पर इसका  कोई खास असर नहीं दिख रहा है। 

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डॉक्टरों का कहना है की बार-बार दवा की मांग करने के बाद भी इसकी सप्लाई नहीं की जा रही है।  सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ मंडल बताते हैं कि यह दवा आउट ऑफ स्टॉक बताया जा रहा है जिस कारण मरीजों को यह दवा नहीं मिल पा रहा है।  जबकि यह दवा जरूरी है और सके लिए हर दिन ऑर्डर भेजा जा रहा है।

दूसरी ओर मरीज को इस दवा की एक डोज लेने में करीब ₹300 खर्च करने पड़ रहे हैं। अधिकतर मरीजों को कम से कम 5 दिनों के लिए इंजेक्शन लिया जाता है। कुछ अंदाजा लगा सकता है की 5 दिनों में मरीजों के जेब से ₹3000 सिर्फ इंजेक्शन के लिए खर्च हो जा रहा है। मरीजों के इलाज में तैनात किए गए डॉ अजीत बताते हैं यह हाइ डोज एंटीबायोटिक है जो फिलहाल करोना पीड़ित मरीजों में बेहतर काम कर रहा है।

अस्पताल में स्लाइन बोतल की भी है कमी

दवा के साथ साथ अब छोटा स्लाइन बोतल का भी टोटा होता जा रहा है। मरीज के परिजन बताते हैं कि उनसे 100 एमएल की एनएस बोतल मंगवाया जा रहा है। साथ ही बोला जाता है कि 10 एमएल कि सिरिंज भी इंजेक्शन देने के लिए मंगवाया जा रहा है। मालूम हो कि सदर अस्पताल में पांच तल्ले तक कोरोना पीड़ितों का ईलाज चल रहा है।


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