रिश्वत लेकर विवादित जमीन पर दिलाया कब्जा, थानेदार नपे Ranchi News
Jharkhand. रिश्वत लेकर विवादित जमीन पर कब्जा दिलाने के मामले में पूर्वी सिंहभूम जिले के बिरसा नगर थाने के पूर्व थानेदार उपेंद्र नारायण सिंह व अन्य पुलिसकर्मी दोषी पाए गए हैं।
By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 19 Jun 2019 11:45 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jun 2019 04:39 PM (IST)
रांची, राज्य ब्यूरो। रिश्वत लेकर विवादित जमीन पर कब्जा दिलाने के मामले में पूर्वी सिंहभूम जिले के बिरसा नगर थाने के पूर्व थानेदार उपेंद्र नारायण सिंह व अन्य पुलिसकर्मी दोषी पाए गए हैं। कोल्हान के डीआइजी कुलदीप द्विवेदी के आदेश पर जमशेदपुर के एसपी सिटी ने जब पूरे मामले की जांच की तो इसका खुलासा हुआ। इसके बाद सभी दोषियों के विरुद्ध विधिसम्मत कानूनी कार्रवाई की गई है। डीआइजी कोल्हान ने लोकायुक्त कार्यालय को अपनी रिपोर्ट भेज दी है।
शिकायतकर्ता पूर्वी सिंहभूम के गोविंदपुर थाना क्षेत्र के घोड़ाबंधा स्थित अलकनंदा आलोक बिहार के निवासी विद्याधर ओझा की शिकायत पर कोल्हान के डीआइजी से लोकायुक्त कार्यालय ने जांच रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद एसपी सिटी जमशेदपुर से पूरे मामले की जांच करवाई गई थी। आरोप है कि बिरसा नगर थाने के पूर्व थानेदार ने पैसे लेकर विवादित जमीन पर अवैध कब्जा करवाया। शिकायतकर्ता के अनुसार उन्होंने बिरसानगर में 33 कट्ठा जमीन खरीदी थी, जिसपर पहले से एक जर्जर मकान था।
इसके एवज में उन्होंने 20 लाख रुपये भी दिए थे। जब उन्होंने उक्त जमीन पर चारदीवारी करवाने के लिए ईंट-बालू गिरवाया तो इसी बीच बिरसा नगर थाने के तत्कालीन थानेदार उपेंद्र नारायण सिंह ने इन्हें थाने बुलाकर 10 लाख रुपये रिश्वत की मांग की। रिश्वत नहीं देने पर चारदीवारी नहीं करने देने की धमकी भी दी। इसके बाद विद्याधर ने तत्काल उपेंद्र नारायण सिंह को एक लाख रुपये देकर जर्जर मकान की मरम्मत तथा चारदीवारी करवाकर गेट लगवा लिया।
इसी बीच जमीन पर दूसरा पक्ष दावा करने लगा और घर में जबरन घुसकर सभी सामान ले गया। जब थाने में शिकायत की तो थानेदार 10 लाख रुपये में समझौता करने का दबाव दिया। इसके बाद ही पुलिस पदाधिकारियों ने परेशान करना शुरू कर दिया। एसपी सिटी जमशेदपुर की जांच में कई आरोपों की पुष्टि हो चुकी है।
दोषी मिले किस पुलिस पदाधिकारी पर क्या हुई कार्रवाई
शिकायतकर्ता पूर्वी सिंहभूम के गोविंदपुर थाना क्षेत्र के घोड़ाबंधा स्थित अलकनंदा आलोक बिहार के निवासी विद्याधर ओझा की शिकायत पर कोल्हान के डीआइजी से लोकायुक्त कार्यालय ने जांच रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद एसपी सिटी जमशेदपुर से पूरे मामले की जांच करवाई गई थी। आरोप है कि बिरसा नगर थाने के पूर्व थानेदार ने पैसे लेकर विवादित जमीन पर अवैध कब्जा करवाया। शिकायतकर्ता के अनुसार उन्होंने बिरसानगर में 33 कट्ठा जमीन खरीदी थी, जिसपर पहले से एक जर्जर मकान था।
इसके एवज में उन्होंने 20 लाख रुपये भी दिए थे। जब उन्होंने उक्त जमीन पर चारदीवारी करवाने के लिए ईंट-बालू गिरवाया तो इसी बीच बिरसा नगर थाने के तत्कालीन थानेदार उपेंद्र नारायण सिंह ने इन्हें थाने बुलाकर 10 लाख रुपये रिश्वत की मांग की। रिश्वत नहीं देने पर चारदीवारी नहीं करने देने की धमकी भी दी। इसके बाद विद्याधर ने तत्काल उपेंद्र नारायण सिंह को एक लाख रुपये देकर जर्जर मकान की मरम्मत तथा चारदीवारी करवाकर गेट लगवा लिया।
इसी बीच जमीन पर दूसरा पक्ष दावा करने लगा और घर में जबरन घुसकर सभी सामान ले गया। जब थाने में शिकायत की तो थानेदार 10 लाख रुपये में समझौता करने का दबाव दिया। इसके बाद ही पुलिस पदाधिकारियों ने परेशान करना शुरू कर दिया। एसपी सिटी जमशेदपुर की जांच में कई आरोपों की पुष्टि हो चुकी है।
दोषी मिले किस पुलिस पदाधिकारी पर क्या हुई कार्रवाई
- पुलिस अवर निरीक्षक उपेंद्र नारायण सिंह : थाना प्रभारी सुंदरनगर जमशेदपुर (तत्कालीन थाना प्रभारी बिरसानगर) के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई शुरू।
- सहायक अवर निरीक्षक अजय कुमार सिंह : पुलिस केंद्र जमशेदपुर (तत्कालीन बिरसा नगर थाना) के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई शुरू।
- सहायक अवर निरीक्षक अजय शंकर सिंह : बर्मामाइंस थाना (तत्कालीन बिरसा नगर थाना) के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई शुरू।
- पुलिस अवर निरीक्षक मंगु उरांव : पूर्व अनुसंधानकर्ता हैं। वर्तमान में प्रोन्नति के बाद पुलिस निरीक्षक गढ़वा हैं। इनसे लापरवाही बरतने के आरोप में विभागीय कार्रवाई के पूर्व स्पष्टीकरण मांगा गया है।
- सहायक अवर निरीक्षक अरुण कुमार राम : पूर्व अनुसंधानकर्ता हैं। इनसे विभागीय कार्रवाई के विरुद्ध स्पष्टीकरण की मांगा गया है।
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