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शहीदी गुरुपर्व: सिख पंथ के नौवें गुरु तेग बहादुर जी को रांची ने ‌कुछ इस तरह किया याद

Shaheedi Gurpurab 2021 गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा(Gurdwara Sri Guru Nanak Satsang Sabha) ने आज यानि 8 दिसंबर बुधवार को रातु रोड के कृष्णा नगर कॉलोनी(Krishna Nagar Colony) में सिख पंथ(Sikh Panth) के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी(Shri Guru Tegh Bahadur Ji) का शहीदी गुरुपर्व(Shaheedi Gurpurab) मनाया।

By Sanjay KumarEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 02:21 PM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 02:21 PM (IST)
शहीदी गुरुपर्व: सिख पंथ के नौवें गुरु तेग बहादुर जी को रांची ने ‌कुछ इस तरह किया याद
शहीदी गुरुपर्व: सिख पंथ के नौवें गुरु तेग बहादुर जी को रांची ने ‌कुछ इस तरह किया याद

रांची जासं। Shaheedi Gurpurab 2021: गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा(Gurdwara Sri Guru Nanak Satsang Sabha) ने आज यानि 8 दिसंबर बुधवार को रातु रोड के कृष्णा नगर कॉलोनी(Krishna Nagar Colony) में सिख पंथ(Sikh Panth) के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी(Shri Guru Tegh Bahadur Ji) का शहीदी गुरुपर्व(Shaheedi Gurpurab) मनाया। इस उपलक्ष्य में कृष्णा नगर कॉलोनी गुरुद्वारा साहब में सुबह 8:00 बजे से विशेष दीवान सजाया गया। दीवान की शुरुआत हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह जी एवं साथियों द्वारा 'गुरु तेग बहादुर सिमरियै घर नव निधि आवे धाई सब थाई होए सहाई'..... शबद गायन से हुई.

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शहीदी गुरुपर्व में विशेष रूप भाग लेने पहुंचे भाई जसवंत सिंह जी (कोलकाता वाले):

शहीदी गुरुपर्व में विशेष रूप भाग लेने पहुंचे सिख पंथ के महान कीर्तनी जत्था भाई जसवंत सिंह जी (कोलकाता वाले) ने 'तिलक जंझू राखा प्रभु ताका कीनो बडो कलू महि साका,साधन हेत इति जिन करी सीस दिया पर सी न उचरी'............एवं 'ठीकर फोर दिलीस सिर, प्रभु पुर किआ पयान, तेग बहादर सी क्रिया करी न किनहूं आन'............तथा 'मैं गरीब मैं मसकीन तेरा नाम है आधारा'..............जैसे कई शबद गायन कर साथ संगत को गुरुवाणी से जोड़ा.

श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के बारे में साथ संगत को बताया गया:

गुरु घर के सेवक मनीष मिढ़ा ने अपने संबोधन में श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के बारे में साथ संगत को बताया कि उनका बचपन का नाम त्यागमल था। मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुग़लों के हमले के ख़िलाफ़ हुए युद्ध में उन्होंने वीरता का परिचय दिया। उनकी वीरता से प्रभावित होकर उनके पिता ने उनका नाम त्यागमल से तेग़ बहादुर (तलवार के धनी) रख दिया।

मुगल शासक औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर जी को हिंदुओं की मदद करने और इस्लाम नहीं अपनाने के कारण उन्हें मौत की सजा सुना दी। इस्लाम अपनाने से इनकार करने की वजह से औरंगजेब के शासनकाल में उनका सर कलम कर दिया गया। गुरु जी के त्याग और बलिदान के कारण उन्हें हिन्द दी चादर कहा जाता है. जहां गुरु तेग बहादुर जी ने शहादत दी चांदनी चौक दिल्ली के उसी स्थल पर उनकी याद में शीश गंज साहिब गुरुद्वारा बनाया गया है, जो उनके धर्म की रक्षा के लिए किए गए कार्यों को हमें याद दिलाता रहता है.

हिंदू धर्म की रक्षा के लिए श्री गुरु तेग बहादुर जी ने दी शहादत:

सत्संग सभा के सचिव अर्जुन देव मिड्ढा ने श्री गुरु तेग बहादुर जी के शहादत का वर्णन करते हुए साथ संगत को बताया कि हिंदू धर्म की रक्षा के लिए श्री गुरु तेग बहादुर जी ने शहादत दी और ऐसी दूसरी मिसाल दुनिया में नहीं है.

कढ़ाह प्रसाद वितरण के बाद सत्संग सभा द्वारा साध संगत के लिए चाय नाश्ते का चलाया गया लंगर:

गुरुद्वारा के हेड ग्रंथी ज्ञानी जिवेंदर सिंह द्वारा श्री अनंद साहिब जी के पाठ,अरदास एवं हुकमनामा के साथ सुबह 10:30 बजे दीवान की समाप्ति हुई. कढ़ाह प्रसाद वितरण के बाद सत्संग सभा द्वारा साध संगत के लिए चाय नाश्ते का लंगर चलाया गया.

दीवान में उपस्थित हुए ये लोग:

आज के दीवान में सुंदरदास मिढ़ा, द्वारकादास मुंजाल, हरविंदर सिंह बेदी, नरेश पपनेजा, जीवन मिढ़ा, मोहन काठपाल, मोहन लाल अरोड़ा, विनोद सुखीजा, बसंत काठपाल, लक्ष्मण सरदाना, हरीश मिढ़ा, हरगोविंद सिंह, वेद प्रकाश मिढ़ा, चरणजीत मुंजाल, महेंद्र अरोड़ा, अनूप गिरधर, जीतू काठपाल, भगवान दास मुंजाल, पाली मुंजाल, राजेन्द्र मक्कड़, अमर मुंजाल, आशु मिढ़ा, मनीष गिरधर, जसवंत चुचरा, रमेश पपनेजा, इंदर मिढ़ा, नीरज सरदाना, ज्ञान मादन पोतरा, नवीन मिढ़ा, रमेश तेहरी, प्रमोद चुचरा, बीबी प्रीतम कौर, बबली दुआ, गीता कटारिया, नीता मिढ़ा, रेशु गिरधर, मनौरी काठपाल, इंदु पपनेजा, मीना गिरधर, नीतू किंगर, ममता थरेजा समेत अन्य उपस्थित थे.


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