रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड कैबिनेट की ओर केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए अलग से खाता खोलने के वित्त विभाग के प्रस्ताव को स्वीकृति दिए जाने के बाद अब अब ऐसी योजनाओं के लिए अलग से खाते खुलने शुरू हो जाएंगे। अलग से बैंक खाते होने से केंद्र से प्राप्त राशि और उसकी उपयोगिता की जानकारी एक ही माध्यम से मिल सकेगी। केंद्र सरकार के निर्देश पर पहले से ही ऐसे खातों के लिए राज्यों को निर्देश दिए जाते रहे हैं। झारखंड में भी स्वास्थ्य विभाग के अधीन एनआरएचएम के लिए ऐसा खाता खुला हुआ है।
मनरेगा योजना के लिए भी इसी प्रकार से खाता खुला है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने इस व्यवस्था का विरोध किया है। राज्य सरकार ने केंद्र के निर्देश पर सरकारी खजाने से केंद्रीय योजनाओं की राशि निकालकर पूर्व से चयनित बैंक खातों में रखने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। कैबिनेट की बैठक में इस मुद्दे पर सहमति बन गई थी। हालांकि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता इससे इतर अपनी बात पर डटे हुए हैं।
उनका कहना है कि उनके विरोध के बाद प्रस्ताव खारिज हो गया। इस संदर्भ में वित्त मंत्री डा. रामेश्वर उरांव ने कहा कि कैबिनेट में किसी प्रस्ताव पर हुई चर्चा को सार्वजनिक करने का कोई मतलब नहीं होता। ऐसी बातें सार्वजनिक प्लेटफार्म पर नहीं होनी चाहिए। इधर, वित्त विभाग के सूत्रों ने बताया कि केंद्र के इस निर्देश की अवहेलना से तमाम केंद्रीय मदद के रुकने की आशंका है।
राज्य सरकार इस मसले पर नकारात्मक निर्णय ले ही नहीं सकती। केंद्र सरकार के निर्देश पर तैयार प्रस्ताव के अनुसार सरकारी खजाने में राशि पड़ी नहीं रहेगी और यह राशि बैंकों में पहुंच जाएगी, जिससे बैंकों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी। राज्य सरकार को हर वर्ष लगभग आठ हजार करोड़ की केंद्रीय मदद मिलती है। प्रदेश में लगभग 12 हजार करोड़ रुपये की केंद्रीय योजनाएं संचालित हैं।
'राज्य कैबिनेट ने वित्त विभाग के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। अब हम इस पर आगे काम कर रहे हैं।' -अजय कुमार सिंह, प्रधान सचिव, वित्त विभाग।