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कोल बाजारी में पुलिस के बड़े साहबों के हाथ काले, पढ़ें चौंकाने वाली CID की यह रिपोर्ट

Coal Smuggling. पूर्व एडीजी एसएन प्रधान ने पुलिस मुख्यालय पर सवाल उठाते हुए लिखा कि संचिका पर क्यों नहीं होती कार्रवाई? सीआइडी की लगातर अनुशंसा के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 31 Jan 2019 09:51 AM (IST)Updated: Thu, 31 Jan 2019 05:14 PM (IST)
कोल बाजारी में पुलिस के बड़े साहबों के हाथ काले, पढ़ें चौंकाने वाली CID की यह रिपोर्ट
कोल बाजारी में पुलिस के बड़े साहबों के हाथ काले, पढ़ें चौंकाने वाली CID की यह रिपोर्ट

रांची, [दिलीप कुमार]। राज्य में पुलिस की मिलीभगत से कोयला तस्करी हो रही है। हजारीबाग रेंज के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस बात का खुलासा करते हुए पिछले हफ्ते पुलिस मुख्यालय को पत्र भेजा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि मुख्यालय के स्तर से मामले की जांच होगी और दोषी बख्शे नहीं जाएंगे। लेकिन पुलिस मुख्यालय का इतिहास बता रहा कि जब भी कोयला तस्करों के साथ पुलिस पदाधिकारियों-कर्मियों की मिलीभगत का मामला सामने आता है, कार्रवाई की रफ्तार सुस्त पड़ जाती है।

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सीआइडी के बड़े अधिकारियों ने पहले भी इस ओर इशारा किया है। सबूतों और तथ्यों के साथ पत्र लिखे गए हैं। लेकिन संबंधित चिट्ठियां व फाइलें दबा दी जा रही हैं। दर्जनभर स्मार, अनुशंसाएं पुलिस मुख्यालय में दफन हो गईं, हुआ कुछ नहीं। इस बात की पुष्टि सीआइडी के पूर्व एडीजी एसएन प्रधान की वह चिट्ठी भी कर रही है, जिसमें उन्होंने मुख्यालय की गतिविधि पर आपत्ति भी जताई थी।

आठ दिसंबर 2014 को पत्रांक 732 में एडीजी प्रधान ने लिखा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि पूर्व में भेजे गए पत्रों पर किसी कारणवश संज्ञान नहीं लिया जा सका। इसके कारण अनावश्यक रूप से पत्राचार कर वांछित कार्रवाई में विलंब हो रहा है। एडीजी एसएन प्रधान के बाद सीआइडी के एडीजी रहे रेजी डुंगडुंग ने भी आधा दर्जन से अधिक पत्र पुलिस मुख्यालय को दिया, लेकिन किसी भी पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। पत्रों में पुलिस महकमे के बड़े अधिकारियों के नाम भी हैं, जिनपर कोयला तस्करों को संरक्षण देने संबंधित गंभीर आरोप हैं। न जांच हुई, न कोई कार्रवाई हो सकी।

अब मुख्यालय में नई चिट्ठी पहुंची है : हाल ही में पुलिस मुख्यालय में हजारीबाग रेंज के डीआइजी पंकज कंबोज की चिट्ठी पुलिस मुख्यालय पहुंची है, जिसमें कई पुलिसकर्मियों-अधिकारियों पर कोयला माफिया से मिलीभगत का आरोप लगा है। उक्त अधिकारी ने एडीजी सीआइडी व एडीजी ऑपरेशन को पत्राचार किया है और रामगढ़ की एसपी को कार्रवाई का आदेश दिया गया है। यह भी कहा गया है कि बिना ऑडिट के ही जब्त कोयला को रिलीज कर दिया जा रहा है, जो गलत है।

आइजी की रिपोर्ट ताक पर, सिर्फ तत्कालीन थानेदार पर कार्रवाई की अनुशंसा : कोयला तस्करी पर गोला थाने में दर्ज 25 फरवरी 2008 के एक मामले में तत्कालीन थानेदार प्राण रंजन (वर्तमान में डीएसपी सिटी रांची) के विरुद्ध ही विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा पुलिस मुख्यालय ने की। जबकि, हजारीबाग रेंज की पूर्व डीआइजी सुमन गुप्ता ने 13 सितंबर 2011 की अपनी समीक्षा में रामगढ़ के तत्कालीन एसपी व एसडीपीओ को भी कोयला तस्करों को बचाने का दोषी पाया था। थानेदार, एसडीपीओ व एसपी पर कोयला तस्कर अनिल गोयल सहित चार नामजद अभियुक्तों को अपराधिक इतिहास के बावजूद पूरी जानकारी रहते हुए असत्यापित दिखाकर अंतिम प्रतिवेदन समर्पित करने की पुष्टि हुई थी।

कब-कब किसने पुलिस मुख्यालय को लिखी चिट्ठी

- 29 मई 2013 : पत्रांक 289 में तत्कालीन एडीजी सीआइडी एसएन प्रधान ने डीजीपी को लिखा।

- 08 दिसंबर 2014 : पत्रांक 732 में सीआइडी के तत्कालीन एडीजी एसएन प्रधान ने डीजीपी को लिखा पत्र। 

- 08 मई 2015 : पत्रांक 384 में तत्कालीन एडीजी सीआइडी ने डीजीपी को पत्र लिखा।

- 12 मई 2015 : पत्रांक 227 व पत्रांक 228 में तत्कालीन सीआइडी के एडीजी ने डीजीपी को लिखा।

- 19 मई 2015 : पत्रांक 236 में सीआइडी के तत्कालीन एडीजी ने डीजीपी को लिखा।

- 21 मई 2015 : पत्रांक 404 में सीआइडी के तत्कालीन एडीजी ने डीजीपी को लिखा।

- 24 अगस्त 2015 : पत्रांक 448 में सीआइडी के तत्कालीन एडीजी ने डीजीपी को लिखा।


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