झारखंड हाई कोर्ट के भव्य भवन को देख CJI बोले- कोर्ट में फीमेल टॉयलेट हैं जरूरी, बनाने पर दीजिए ध्यान
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने झारखंड हाई कोर्ट के नए परिसर का बुधवार को उद्घाटन किया। इस दौरान समारोह को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालतों में महिलाओं के लिए शौचालय बनाए जाने की जरूरत है।
HighLights
- CJI ने कोर्ट में कहा कि फीमेल टॉयलेट होना जरूरी है इसलिए बनाने पर ध्यान दीजिए।
- 26 प्रतिशत अदालतों में महिलाओं के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था नहीं है।
- झारखंड, उत्तर प्रदेश, गोवा और मिजोरम की जिला अदालतों में महिलाओं के लिए ना के बराबर टॉयलेट बने हैं।
जागरण डिजिटल डेस्क, रांची। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने झारखंड हाई कोर्ट के नए परिसर का बुधवार को उद्घाटन किया। झारखंड हाई कोर्ट के नए भवन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालतों में महिलाओं के लिए शौचालय बनाए जाने की जरूरत है, क्योंकि निचली अदालतों में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं हैं।
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने अपने संबोधन में कई व्यवस्थाओं का जिक्र किया, जिनमें से उन्होंने महिला शौचालय के बनाए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि अदालतों में महिलाओं के लिए शौचालय बनाए जाने की जरूरत है।
कई निचली अदालत में महिला शौचालय नहीं हैं। इसकी संरचना बढ़ानी होनी, क्योंकि ये कोर्ट नागरिकों से सीधे जुड़े हैं। इससे न्याय व्यवस्था में महिलाओं की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी भी होगी।
26 प्रतिशत अदालतों में नहीं हैं फीमेल टॉयलेट
अदालतों में महिला शौचालय सुनने में बेशक सामान्य मुद्दा लग सकता है, लेकिन इसकी गंभीरता पूर्व कानून मंत्री किरण रिजिजू के संसद में दिए गए एक सवाल के जवाब से समझिए।
दिसंबर, 2022 में उन्होंने राज्य सभा में बताया था कि देश की 26 प्रतिशत अदालतों में महिलाओं के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था नहीं है।
अक्टूबर, 2022 में यूपी में हापुड़ जिला अदालत की महिला जजों ने अपनी व्यथा जाहिर करते हुए कहा था कि कोर्ट को वर्कप्लेस नहीं माना जाता है, इसलिए यहां महिलाओं के बुनियादी सुविधाएं जैसे शौचालय तक नहीं होते हैं।
हैरानी की बात यह थी कि हापुड़ जिला अदालत में 13 महिला जज और 200 से ज्यादा महिला वकील। इनके लिए सिर्फ एक शौचालय,जिसमें पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी। उसका भी दरवाजा टूट चुका था।
CJI के सामने आया था मामला
इसी साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता के वकील ने सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ को बताया था कि तमिलनाडु हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद ऊटी के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट का महिला टॉयलेट सील कर दिया गया है, जिसके चलते महिलाओं को भारी परेशानी हो रही है।
याचिकाकर्ता की बात सुनकर सीजेआई चंद्रचूड़ भी हैरान हो गए थे। उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उसी वक्त अपने स्टाफ को निर्देश दिया था कि रजिस्ट्रार जनरल को फोन मिलाइए, वह बताएंगे कि आखिर फीमेल टॉयलेट क्यों बंद किया गया।
झारखंड और यूपी में हालत सबसे खराब
साल 2019 में हुए एक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड, उत्तर प्रदेश, गोवा और मिजोरम की जिला अदालतों में महिलाओं के लिए ना के बराबर टॉयलेट बने हैं। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है।
इस बीच, सीजेआई को एक मंच से महिला शौचालय की व्यवस्था करने की बात कहनी पड़े तो सवाल उठता है कि आखिर अदालतों और सरकारी कार्यालयों में महिलाओं से जुड़ी सुविधाओं पर तवज्जो क्यों नहीं दी जा रही है?