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अब सदर एसडीओ कसेंगे मिलावटखोरों पर शिकंजा

राज्य में मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने की जिम्मेदारी सदर अनुमंडल पदाधिक

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Jul 2018 01:36 AM (IST)Updated: Wed, 25 Jul 2018 01:36 AM (IST)
अब सदर एसडीओ कसेंगे मिलावटखोरों पर शिकंजा
अब सदर एसडीओ कसेंगे मिलावटखोरों पर शिकंजा

नीरज अम्बष्ठ, रांची : राज्य में मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने की जिम्मेदारी सदर अनुमंडल पदाधिकारियों (एसडीओ) को देने की तैयारी चल रही है। उन्हें फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट के प्रावधानों के तहत अभिहीत पदाधिकारी (डेजिगनेटेड ऑफिसर) की जिम्मेदारी दी जाएगी। स्वास्थ्य विभाग ने इसे लेकर फाइल मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री रघुवर दास की स्वीकृति के लिए भेजी है। मुख्यमंत्री की स्वीकृति के बाद सदर एसडीओ इस पद की जिम्मेदारी संभालने के लिए अधिसूचित किए जाएंगे।

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सदर एसडीओ खाद्य प्रतिष्ठानों को लाइसेंस देने, खाद्य पदार्थो के सैंपल मंगाने, उसकी जांच कराने, खाद्य पदार्थो में मिलावट या उसमें जानमाल को नुकसान पहुंचाने वाले किसी तरह के पदार्थ पाए जाने पर संबंधित प्रतिष्ठानों का लाइसेंस रद करने, उसके विरुद्ध अभियोजन की अनुशंसा करने आदि कार्यो के लिए अधिकृत और जवाबदेह होंगे। राज्य में अभी तक डेजिगनेटेड ऑफिसर के पदों के सृजन नहीं होने से इसकी जिम्मेदारी अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारियों को दी गई थी। लेकिन अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारियों द्वारा इस कार्य का निर्वहन सही ढंग से नहीं किया जा रहा था।

एसडीओ रैंक से नीचे के पदाधिकारी नहीं बन सकते डीओ

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट के तहत राज्य सरकार वैसे पदाधिकारी को इस पद पर नियुक्त कर सकती है जो एसडीओ रैंक से नीचे के नहीं होंगे। पूर्व में इस पद के लिए रसायन विज्ञान में स्नातक होना भी एक अनिवार्य शर्त थी, जिसे बाद में हटा दिया गया। एक्ट के तहत प्रत्येक जिले में एक-एक डेजिगनेटेड ऑफिसर होना चाहिए। इस तरह, प्रत्येक जिले में सदर एसडीओ को इस पद के लिए अधिसूचित किया जाएगा।

चर्चित हुए थे रांची के तत्कालीन एसडीओ भोर सिंह यादव

पिछले साल मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने में रांची के तत्कालीन एसडीओ भोर सिंह यादव चर्चा में आए थे। लेकिन उनके पास पर्याप्त अधिकार नहीं होने से वे कुछ खास नहीं कर पाए। संबंधित खाद्य प्रतिष्ठानों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए भी उन्हें अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी पर निर्भर रहना पड़ा था। वहीं, एक्ट के तहत अधिकृत नहीं होने के कारण उनकी कार्रवाई पर खाद्य प्रतिष्ठानों द्वारा सवाल उठाए गए थे। आने वाले दिनों में अब ऐसा नहीं होगा।


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