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Lockdown Update: बच्चों की फीस माफ कराना आसान नहीं, सरकार को रेगुलेशन पारित करना होगा

Lockdown Update Jharkhand. आदेश के बदले जैक ने स्कूलों से किया अनुरोध। शिक्षा मंत्री ने कहा था स्कूल बंद रहने के दौरान की फीस और बस का किराया न वसूलें स्कूल।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 08:18 AM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 08:18 AM (IST)
Lockdown Update: बच्चों की फीस माफ कराना आसान नहीं, सरकार को रेगुलेशन पारित करना होगा
Lockdown Update: बच्चों की फीस माफ कराना आसान नहीं, सरकार को रेगुलेशन पारित करना होगा

रांची, राज्य ब्यूरो। कोरोना से बचाव को लेकर निजी स्कूलों के बंद होने की स्थिति में राज्य सरकार के लिए बच्चों की उक्त अवधि की फीस को माफ कराना आसान नहीं होगा। बच्चों की फीस माफ कराने के लिए राज्य सरकार को स्कूलों से इसके लिए अनुरोध के बदले रेगुलेशन पारित करना होगा, क्योंकि निजी स्कूल इसके लिए हरगिज तैयार नहीं होंगे।

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शिक्षा मंत्री ने स्कूलों के बंद होने की स्थिति में बच्चों की ट्यूशन फीस और बस शुल्क पूरी तरह माफ करने के आदेश देने की बात कही थी, लेकिन झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) के सचिव महीप कुमार सिंह ने इसे मंत्री की इच्छा बताते हुए सभी निजी स्कूलों से ट्यूशन एवं बस शुल्क माफ करने का अनुरोध किया है। उन्होंने सभी स्कूलों के प्राचार्यों को पत्र लिखकर कहा है कि स्कूल अभिभावकों पर यह शुल्क वसूलने का दबाव न डालें।

इधर, निजी स्कूल के प्राचार्य अभी इसपर खुलकर बोलने से परहेज कर रहे हैं। हालांकि, नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ प्राचार्यों ने कहा कि वे बच्चों की फीस से ही शिक्षकों और कर्मियों के वेतन का भुगतान करते हैं। वे स्कूल बंद होने की अवधि में बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देने का दावा भी कर रहे हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि निजी स्कूल अधिक से अधिक बस शुल्क ही माफ कर सकते हैं।

जैक के अधीन नहीं आते निजी स्कूल

सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि शुल्क माफ करने का अनुरोध झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा किया गया है, जबकि सीबीएसई या आइसीएसई से संबद्धता प्राप्त निजी स्कूल इसके अधीन आते ही नहीं हैं। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा इस तरह का कोई आदेश ही नहीं निकाला गया है, जबकि इन स्कूलों को एनओसी विभाग द्वारा ही दिया जाता है। आरटीई के तहत इन स्कूलों को मान्यता भी विभाग द्वारा दी जाती है।

शुल्क वृद्धि पर लगाम लगाने में विफल रहा है विभाग

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग निजी स्कूलों में मनमाने शुल्क वृद्धि पर अंकुश लगाने में अब तक विफल ही रहा है। जगरनाथ महतो ने मंत्री पद का प्रभार लेने के बाद मनमाने ढंग से फीस वृद्धि पर रोक लगाने की बात कही थी, लेकिन इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया गया। बाद में मंत्री ने कहा कि अभिभावक अधिक शुल्क लेने की शिकायत उपायुक्तों को कर सकते हैं।

'अभी राज्य सरकार ने स्कूलों से फीस माफ करने के लिए अनुरोध किया है। यदि स्कूल इसे नहीं मानेंगे, तो राज्य सरकार अगला कदम उठाएगी।' -जगरनाथ महतो, मंत्री, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, झारखंड।

'अभी आपदा का समय है। स्कूलों से सॉफ्ट कॉर्नर की अपेक्षा है। स्कूल खोलने के बाद प्रबंधन अपना बजट देखेगा, तब इसपर निर्णय लेगा। किसी पर अनावश्यक दबाव नहीं डाला जाएगा।' -डॉ. राम सिंह, प्राचार्य, डीपीएस स्कूल सह अध्यक्ष, सहोदया (सीबीएसई संबद्धता प्राप्त स्कूल) स्कूल।

'अभी हम सभी को आपदा से लडऩा है। स्कूल खुलने के बाद इसपर बैठकर उचित निर्णय लिया जाएगा।' -एमके सिन्हा, क्षेत्रीय अधिकारी, डीएवी ग्रुप।

'हम सभी का ध्यान अभी कोरोना से निपटने पर है। अभी स्कूल बंद है। जब खुलेगा, तो इस पर आवश्यक निर्णय लिया जाएगा। जो भी निर्णय होगा, अभिभावकों के हित में होगा।' -सूरज शर्मा, प्राचार्य, ऑक्सफोर्ड स्कूल, रांची।

'प्राइवेट स्कूल लॉकडाउन के बावजूद बच्चों के ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं। इस काम में स्कूलों के शिक्षक सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में उन्हें वेतन का भुगतान करना होगा। इसलिए फीस वूसलना मजबूरी है। राज्य सरकार द्वारा फीस माफी के संबंध में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं आया है। इसलिए फीस माफी के बारे में बाद में निर्णय लिया जाएगा। सरकारी आदेश में फीस के लिए दबाव नहीं डालने की बात कही गई है। अभी लॉकडाउन अवधि में किसी से फीस नहीं मांगी जा रही है।' -बी चंद्रशेखर, सचिव, जमशेदपुर अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन।

'हर बार शहर के निजी स्कूल आदेशों की धज्जियां उड़ाते हैं। इस बढ़ोतरी पर सरकार लगाम नहीं लगा सकी। अब फीस माफी कैसे करवायेगी, यह चुनौतीपूर्ण है।' -अंकित आनंद, शिक्षा सत्याग्रह, जमशेदपुर।

'हमने कार्य करने वाले शिक्षकों के वेतन मद में तीन माह की राशि सरकार से मांगी है। फीस माफी करने में हमें कोई दिक्कत नहीं है। शिक्षकों का यह मानदेय मिल जाये तो जैक के निर्णय का हम पालन करेंगे।' -मो. ताहिर हुसैन, अध्यक्ष, झारखंड गैर सरकारी विद्यालय संघ।


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