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सत्ता का गलियारा

जनाब के तीखे बोलों के तीर के सभी कायल है। कमल दल में उनके जैसा तीरंदाज कोई नहीं माना जाता।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Jul 2018 06:57 AM (IST)Updated: Sun, 15 Jul 2018 06:57 AM (IST)
सत्ता का गलियारा
सत्ता का गलियारा

तीली में बदल गए तीर

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जनाब के तीखे बोलों के तीर के सभी कायल है। कमल दल में उनके जैसा तीरंदाज भी कोई नहीं। नाम भी महाभारत के सर्वश्रेष्ठ धर्नुधर सा है। यह बात दीगर है कि अक्सर उनके तीर विरोधी पक्ष को नहीं बल्कि अपनों को घायल करते हैं। उनके हालिया अखबारी तीरों ने कमल दल के भीतर काफी हलचल मचाई थी। माना जा रहा था कि उनके तीरों के जौहर आलाकमान के दौरे पर भी दिखाई देंगे। लेकिन आलाकमान को देखते ही उनके सारे तीर, माचिस की तीली में बदल गए। जो जली तो उम्मीद से इतर प्रदेश के विकास की लौ को और तेज कर गई। सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि उनके जैसा राजनीतिक स्टंटबाज कोई नहीं। मिले सुर मेरा-तुम्हारा

कंघी से विरक्तहोकर फूलों की बगिया महका रहे हम छह इन दिनों हुजूर के दरबार में रह-रहकर हाजिरी लगा रहे हैं। इधर उन छह को कठघरे में ला खड़े करने के महानायक झारखंड के एक लाल, हुजूर की हुजूरी से दूर हैं, पर बाहर रहकर भी शतरंज का दांव लगाने में मशगूल हैं। उन्होंने काले कोट वाले अपने खास हिमायती को उन छह पर छोड़ रखा है, क्या करना है, क्या कहना है, बोल रखा है। दो दिन पहले की ही बात है, हम छह टीम के पांच सदस्यों ने हुजूर के दरबार में विराजमान हैं। इस बीच काले कोट वाले ने त्योरी चढ़ाई, एक-एक कर उनकी पानी उतारी। बस इतना ही कहा, कपड़े की तरह रह-रहकर दल बदलते हो, अच्छी राजनीति करते हो। कल हमारी तारीफ में कसीदे पढ़ा करते थे, विश्व के सबसे बड़े दल ने लॉलीपॉप क्या धराया, हुजूर की रंगत में नया निखार आया। माननीय नए दल के साथ गा रहे मिले सुर मेरा तुम्हारा का गीत, न रखा काहु से दोस्ती, न रहा कोई मीत। इतना भी रंग न बदलिए हुजूर, जनादेश 2019 नहीं है अब दूर। गुरुजी की बेचैनी

आजकल सरकारी गुरुजी में खलबली मची हुई है। यह खलबली तबादले को लेकर है। ऊपर से आदेश आ गया है कि सभी शिक्षकों को इधर से उधर करना है। जरूरत से उन्हें स्कूलों में तैनात करना है। प्रतिनियुक्ति है तो उसे खत्म कर मूल स्कूल में लाना है। इन सभी आदेशों से गुरुजी में बेचैनी है। खासकर उनमें जो शहरी क्षेत्र के स्कूलों में जमे हैं। डर है कि कहीं बुढ़मू और पोडि़याहाट का रास्ता न दिखा दिया जाए। इससे बचने के लिए अभी से जुगाड़ में जुट गए हैं। अब देखना है कि जुगाड़ का उनका तंत्र कितना सफल हो पाता है।

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