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रांची में चर्च को बनाया सरना भवन, लगाया झंडा

एसडीओ के न्यायालय से फैसला आने के बाद उत्साहित सरना समाज के लोगों ने गड़खटंगा में भुईहरी पहनई जमीन पर बने चर्च को सरना भवन बना दिया।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 02:51 PM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 02:51 PM (IST)
रांची में चर्च को बनाया सरना भवन, लगाया झंडा
रांची में चर्च को बनाया सरना भवन, लगाया झंडा

रांची(तुपुदाना), जेएनएन। खरसीदाग ओपी क्षेत्र के गड़खटंगा में भुईहरी पहनई जमीन पर बना चर्च अब सरना भवन हो गया है। एसडीओ के न्यायालय से फैसला आने के बाद उत्साहित सरना समाज के लोगों ने पहले उपायुक्त रांची को आवेदन देकर चर्च को खाली करवाने का आग्रह किया। जब वहां से सहयोग नहीं मिला तो ग्रामीण ने शनिवार को एक बैठक की।

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बैठक के निर्णय के बाद ही एकजुट होकर चर्च के प्रतीक चिह्न क्रूस को हटा दिया और वहां सरना झंडा लगा दिया। इतना ही नहीं, चर्च भवन के सामने सरना भवन लिख दिया। बैठक में केंद्रीय सरना समिति, सरना विकास समिति धुर्वा, सरना विकास समिति झारखंड, सरना धर्म प्रार्थना सभा नया लटमा व व गड़खटंगा के सरना समाज के लोग उपस्थित थे।

सरना विकास समिति धुर्वा के अध्यक्ष मेघा उरांव ने बताया कि पहनई जमीन, आदिवासियों की जमीन पर चर्च आदि का निर्माण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे जमीन पर बने चर्च व अन्य दूसरे धर्म से संबंधित स्थलों को न्यायालय के माध्यम से खाली करवाया जाएगा। सरना धर्म के दुष्प्रचार व धर्मांतरण के कार्यों को बंद करवाया जाएगा।

केंद्रीय युवा सरना विकास समिति झारखंड प्रदेश के अध्यक्ष सोमा उरांव ने कहा कि अब आदिवासी युवा जग गए हैं। अपने अधिकार के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं। जनजाति सुरक्षा मंच के संयोजक संदीप उरांव ने कहा कि ईसाई मिशनरी आदिवासियों की जमीन हड़प कर चर्च-अस्पताल स्कूल, अनाथ आश्रम आदि का निर्माण कर रहे हैं, इसकी जांच होनी चाहिए।

बैठक की अध्यक्षता गड़खटंगा गांव के पाहन आंचु मुंडा तथा संचालन सुशांति देवी ने की। मौके पर झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति के सह सचिव बूटन महली, उप सचिव बिरसा भगत, लोरेया उरांव, रोपनी मिंज, सोमानी पहनाईन आदि मौजूद थीं।

2014 में चर्च बना था, तब से ही चल रहा था विवाद : खरसीदाग ओपी क्षेत्र के गड़खटंगा में पहनई जमीन पर वर्ष 2014 में चर्च बना था। इसके बाद से ही वहां ग्रामीणों से विवाद चल रहा था। एसडीओ सदर रांची ने जांच में पाया कि यह सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन है। इसके बाद ही सरना समाज के पक्ष में फैसला दिया।


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