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संत अन्ना हाई स्कूल की नौ छात्राओं ने जिले में टॉप टेन में बनाई जगह

रांची के छात्रों का जैक में काफी अच्छा प्रदर्शन रहा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 02:12 AM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 06:16 AM (IST)
संत अन्ना हाई स्कूल की नौ छात्राओं ने जिले में टॉप टेन में बनाई जगह
संत अन्ना हाई स्कूल की नौ छात्राओं ने जिले में टॉप टेन में बनाई जगह

रांची के छात्रों का जैक में काफी अच्छा प्रदर्शन रहा। संत अन्ना ग‌र्ल्स हाई स्कूल की नौ छात्राओं ने टॉप टेन में अपना स्थान बनाया। स्कूल की प्रिसिपल सिस्टर सेलिन बारला ने बताया कि बच्चों ने परीक्षा के लिए काफी मेहनत की थी। सभी बच्चों का प्रदर्शन अच्छा रहा है। इसमें शिक्षकों ने भी बच्चों के साथ काफी मेहनत की। संत अन्ना के टॉप करने वाली छात्राओं ने दैनिक जागरण से बात करते हुए अपनी मेहनत की कहानी बताई।

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रांची रैंक -2

आइएएस बनने के लिए अभी से कर रही मेहनत

मैंने काफी मेहनत की थी। अच्छे अंक आने की पूरी उम्मीद थी। लेकिन, ये नहीं सोचा था कि रांची में दूसरा स्थान आएगा। मैंने परीक्षा के लिए रोज दस घंटे पढ़ाई की। परीक्षा से दो महीने पहले लिखे नोट्स को याद करने के साथ रिविजन भी करना शुरू कर दिया था। इसमें मेरे माता-पिता के साथ स्कूल के शिक्षकों ने काफी मदद की। मां के आशीर्वाद के बिना मेरे लिए ये संभव नहीं हो पाता। मैं आगे आइएएस अधिकारी बनना चाहती हूं। इसके लिए मैंने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। मैं अपने जीएस को मजबूत कर रही हूं। मैंने आ‌र्ट्स से इंटर की पढ़ाई करने का मन बनाया है।

कनक गुप्ता

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रांची रैंक-3

एक साल की मेहनत से आए अच्छे अंक

मेरे लिए आज जीवन का सबसे बड़ा दिन है। आज मेरे अब्बा और अम्मी की सारी दुआ कबूल हुई है। मैंने परीक्षा के लिए रोज आठ घंटे पढ़ाई की है। स्कूलों में हुई पढ़ाई को रोज का रोज खत्म किया। इससे मेरे उपर कभी बोझ नहीं पड़ा। हां एक बात थी कि गणित के प्रश्न हल करने में मुझे काफी परेशानी होती थी। नवमीं के बाद इसके लिए जमकर मेहनत की। ज्यादा से ज्यादा अभ्यास किया। स्कूल के शिक्षकों ने भी हर प्रश्न को बड़े अच्छे से और समझाया। मुझे काफी खुशी है कि मुझे गणित में 99 अंक आए। मेरे माता-पिता के प्यार ने मुझे कभी निराशा नहीं होने दिया। अब मैं डॉक्टर बनना चाहती हूं। इसके लिए भी मैं अच्छे से मेहनत करूंगी।

निशित अंजुम

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रांची रैंक-3

पिता के परिश्रम से मिली मेहनत की सीख

मैं बहुत खुश हूं कि मुझे इतना अच्छा अंक आया। मेरे पिता शीशा काटने का काम करते हैं। मेरी पढ़ाई में भी पैसे को लेकर काफी बाधा आयी। मगर पापा ने मेहनत करके मेरी पढ़ाई कभी रुकने नहीं दी। घर चलाने के लिए पापा के परिश्रम को देखकर मुझे मेहनत करने की सीख मिली। मैंने फैसला किया है कि हर हाल में अपने पिता को हर सुख सुविधा दूंगी। यहीं सोचकर मैंने काफी मेहनत की। मेरी सफलता के पीछे टाइम टेबल का हाथ है। मैंने पढ़ाई को कभी बोझ नहीं बनने दिया। रोज का काम रोज खत्म किया। मैं आगे शिक्षक बनना चाहती हूं। मेरे दादाजी भी शिक्षक थे। मैंने उनके नक्शे कदम पर चलकर अपने परिवार की हालत सुधारना चाहती हूं।

कशिश कुमारी

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रांची रैंक-4

मां ने दिया पिता का दुलार, अब प्रोफेसर बन चुकाऊंगी कर्ज

इतने अच्छे अंक आने से मेरी मां को बड़ी खुशी हुई है। उनके आखों में खुशी के आंसू थे। मेरे लिए मेहनत का इससे बड़ा इनाम कुछ नहीं होगा। मेरे पिता की मृत्यु कुछ सालों पहले हो गई थी। मगर मेरे मां ने मां और पिता दोनों का प्यार दिया। मां घर चलाने के लिए होटल चलाती हैं। अब मैंने और ज्यादा मेहनत करने का मन बनाया है। आगे जाकर मुझे इतिहास का प्रोफेसर बनना है। इसलिए मैंने इतिहास से ही इंटर करने का फैसला लिया है। मेरी एक बहन और भाई भी है। मेरे अच्छे अंक लाने से उनको भी मेरे से अच्छा करने की प्रेरणा मिलेगी। मेरे घर में पैसे की कमी है। मगर मुझे यकीन है हम सभी भाई-बहन अपनी मेहनत से अपनी किस्मत बदलेंगे। हालांकि वो अभी भी अच्छे से मेहनत करते हैं।

प्रिया कुजूर


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