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Birsa Zoo Ranchi: बिरसा जू में हाथी की मौत, वायरस से जान जाने की आशंका

Jharkhand. बताया जाता है कि उसने रात में भोजन भी ठीक से किया था। सुबह में उसे कुछ बेचैनी सी हुई। बाद में उसकी मौत हो गई।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 12 Mar 2020 05:20 PM (IST)Updated: Thu, 12 Mar 2020 08:54 PM (IST)
Birsa Zoo Ranchi: बिरसा जू में हाथी की मौत, वायरस से जान जाने की आशंका
Birsa Zoo Ranchi: बिरसा जू में हाथी की मौत, वायरस से जान जाने की आशंका

रांची, जासं। बिरसा जैविक उद्यान के हाथी सम्राट की गुरुवार की दोपहर मौत हो गई। वह विगत 21 वर्षों से उद्यान में था। हालांकि, अभी तक इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है। गुरुवार को तीन पशु चिकित्सकों की टीम ने हाथी का पोस्टमार्टम किया। जैविक उद्यान प्रबंधन ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में प्रथमदृष्टया अति संक्रमित विषाणुजनित रोग से होने की बात सामने आई है।

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मौत के सही कारणों की जानकारी के लिए हाथी के विभिन्न अंगों के नमूने को अलग-अलग प्रयोगशालाओं में भेजा जाएगा। उद्यान के चिकित्सक का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के सही कारणों के बताया जा सकता है। उद्यान प्रशासन के अनुसार हाथी पूरी तरह स्वस्थ था। हाथी ने रात में भोजन भी ठीक से किया था। सुबह में वह कुछ बेचैन था। सूचना के बाद 10:30 बजे उद्यान के पशु चिकित्सक डॉ. अजय कुमार पहुंचे। उन्होंने देखा तो हाथी बार-बार उठ-बैठ रहा था।

गैस की आशंका के मद्देनजर उसे दवा दी गई। वह कुछ देर तक ठीक रहा। लेकिन, वह भोजन नहीं कर रहा था। बाद में उसकी मौत हो गई। हाथी के मौत की सूचना मिलने पर उद्यान निदेशक वी वैंकटेश्वरलू व अन्य अधिकारीगण भी उद्यान पहुंचे । कांके के वेटनरी चिकित्सक डॉ. एमके गुप्ता, उद्यान पशु चिकित्सक डॉ. अजय कुमार व प्रखंड के पशु चिकित्सक मनोज कुमार झा द्वारा पोस्टमार्टम कर हाथी सम्राट के शव को उद्यान में ही दफना दिया गया।

वायरस से मौत की आशंका : निदेशक

उद्यान निदेशक वी वेंकेटेश्वर लू व उद्यान के पशु चिकित्सक ने सम्राट हाथी की मौत हार्पिश या किसी अन्य वायरस से होने की आशंका जताई है। बताया कि ओडिशा के नंदनकानन चिडिय़ाघर में हाल में ही छह हाथियों की मौत हार्पिश वायरस से हुई है। हालांकि, पोस्टर्माटम के बाद हाथी के बिसरा के जांच के बाद ही इसकी पुष्टि हो सकती है।

चाईबासा के जंगल से लाया गया था हाथी

 सम्राट हाथी जब तीन माह का था, तभी अगस्त 1998 में उसे चाईबासा जंगल से जैविक उद्यान लाया गया था। उस वक्त उद्यान में उसे बोतल से दूध पिलाया जाता था। उस वक्त वह काफी छोटा व उद्यान का सबसे प्रिय सदस्य बन गया था। उद्यान पहुंचने वाले पर्यटक खास कर छोटे बच्चों के लिए भी प्रिय था। सम्राट हाथी को देख बच्चे काफी खुश होते थे।


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