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Coronavirus Lockdown: ऐसे स्‍वयंसेवकों पर है नाज, जिनके सिर सवार है असहायों की मदद की धुन

झारखंड में कई ऐसे गांव हैं जिनके रास्‍ते दुरुह हैं दुर्गम इलाकों पहाड़ि‍यों को पारकर वहां 5-10घंटे पैदल चलकर ही पहुंचा जा सकता है। वहां स्‍वयंसेवकों की फौज मानवता की सेवा कर रही

By Alok ShahiEdited By: Published: Wed, 06 May 2020 02:19 PM (IST)Updated: Wed, 06 May 2020 07:39 PM (IST)
Coronavirus Lockdown: ऐसे स्‍वयंसेवकों पर है नाज, जिनके सिर सवार है असहायों की मदद की धुन
Coronavirus Lockdown: ऐसे स्‍वयंसेवकों पर है नाज, जिनके सिर सवार है असहायों की मदद की धुन

रांची, [संजय कुमार]। Coronavirus Lockdown इधर पहाड़, बीहड़, घने जंगल और उधर पीठ पर राशन, दुगर्म रास्‍ते को लांघते फौलादी इरादे, जनकल्‍याण का जज्‍बा। जहां आम दिनों में भी पहुंचना आसान नहीं, वहां ये रहनुमा राहत लेकर पहुंच रहे। कोरोना वायरस महामारी की इस विपदा काल में देशभर में लॉकडाउन है। घर-द्वार से निकलने की मनाही है। झारखंड में कई ऐसे गांव हैं, जिनके रास्‍ते दुरुह हैं, दुर्गम इलाकों, पहाड़ि‍यों को पारकर वहां पांच से दस घंटे पैदल चलकर पहुंचा जा सकता है। आफत की घड़ी में इस जल-जंगल जमीन वाले छोटे से राज्‍य में पूरब से लेकर पश्चिम, उत्‍तर से दक्षिण तक स्‍वयंसेवकों की पूरी फौज मानवता की सेवा में लगी है। 

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जरूरतमंदों की मदद का इनके सिर पर धुन सवार है। वे कंटक पहाड़ी इलाकों में 5-10 किमी पैदल तो कहीं साइकिल-मोटरसाइकिल से चलकर गरीब आदिवासियों के बीच दवाएं और राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं। इन नक्सल इलाकों में जहां सरकार के लोग भी जाने से कतराते हैं, लोगों को भोजन सामग्री पहुंचाने का काम कर रहे हैं। इनमें कई स्वयंसेवक तो ऐसे हैं जिनके घर में स्वयं दोनों शाम का भोजन नहीं है, परंतु वे संकट की इस घड़ी में दूसरे जरूरतमंदों की चिंता कर रहे हैं।



इनके सिर सवार है मदद की धुन, दुर्गम पहाड़ों को लांघ असहायों को पहुंचा रहे राशन-भोजन
झारखंड के साहिबगंज, गोड्डा व देवघर जिले के कई इलाकों में पहाड़ों पर बसे पहाङिया जनजाति के लोगों के बीच राशन सामग्री पहुंचाने का काम ये स्वयंसेवक लगातार कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें दो से तीन किलोमीटर राशन सामग्री लेकर पहाड़ पर पैदल चढ़ना पड़ता है। गुमला, सिमडेगा एवं लातेहार जिले के कई नक्सल प्रभावित गांव में भी स्वयंसेवक भोजन-राशन पहुंचा रहे हैं। इन दुर्गम इलाकों और सुदूर जंगलों में निवास करनेवाले जनजातीय परिवारों के बीच लाकडाउन के बाद से ही लगातार राशन पहुंचाने और उन्‍हें राहत देने को वे पुनीत कार्य मानते हैं। इन गांवों में पहली बार लोगों ने मास्क देखा-लगाया है। वे मास्‍क और महामारी को लेकर भी अनभिज्ञ हैं, जिसकी जानकरी उन्‍हें दी जा रही है।

देवघर विभाग अंतर्गत गोड्डा जिले के सुदूर 55 किलोमीटर उत्तर पूर्वी क्षेत्र में वन एवं पर्वतों से घिरा हुआ अत्यंत पिछड़ा प्रखंड बोआरिजोर है। यहां प्रायः ऐसे अत्यंत गरीब स्वयंसेवक एवं अन्य अनुसूचित जाति बन्धु हैं। जिन्हें अपने जीविकोपार्जन हेतु नित्य संघर्ष करना पड़ता है। इसके बावजूद विश्वव्यापी कोरोना महामारी में संथाल एवं पहाड़िया परिवार भूखा ना रहे की भावना से राशन किट वितरण करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए देवघर विभाग सेवा प्रमुख निरंजन कुमार ने अनुमंडल अधिकारी महागामा से सेवा कार्य हेतु अनुमति लेकर स्वयंसेवकों का पास बनवाया। स्वयंसेवकों ने अपनी चिंता न कर धूप में समाज से धन संग्रह कर राशन सामग्री पैकेट तैयार किया। जिसमें चावल ,दाल ,आलू, सरसो तेल, चूड़ा, प्याज, हल्दी, एवं साबुन आदि सामग्री था।

दिनांक 14 अप्रैल को राशन पैकेट लेकर ललमटिया से बोआरिजोर खंड कार्यवाह सुबोध हरिजन,  खंड शारीरिक प्रमुख मनोज कुमार, सेवा प्रमुख जय कांत भगत, बौद्धिक प्रमुख एतवारी मुर्मू, सह बौद्धिक प्रमुख अमरनाथ साह, अवनीश कुमार, पंकज कर्मकार, स्वर्ण सिंह, 17 किलोमीटर दूरी बोआरिजोर पहुंचा। यहां से कुंदन कुमार, शिवजी भगत, चंदन कुमार, जनार्दन कुमार एवं बिट्टू कुमार 7 किलोमीटर दलदली मुजरा गांव में 36 परिवारों को राशन वितरित कर साइकिल एवं मोटरसाइकिल वहीं रख दिया गया। 

वहां से माथे एवं कंधे पर राशन पैकेट लेकर करीब 2 किलोमीटर दुर्गम पहाड़ पर पैदल  चढ़कर मदेडे गांव के 22 पहाड़िया परिवार में राशन वितरण किया गया। तदुपरान्त कुछ दूर पैदल चलकर कुटनी गांव में 6 पहाड़िया परिवार को राशन दिया गया। पुनः पहाड़ पर बसे बाबू चूड़ी गांव के 18 पहाड़िया परिवार के बीच मोटरसाइकिल से एवं पुनः 2 किलोमीटर पैदल चलकर राशन सामग्री वितरित की गई। फिर दिनांक 19 अप्रैल को परसिया, बडोर, तलबड़िया, जामू झरना, दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र बनगामा एवं बोआरिजोर संथाल एवं सामान्य गरीब परिवारों को कुल 160 राशन पैकेट वितरित किया गया।

 

इसी तरह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र बरहेट के कई गावों में जो घनघोर जंगल के बीच बसे हैं, वहां के पहाङिया व संथाल जनजाति के लोगों के बीच राशन पहुंचाने का काम किए। इनमें भोगनाडिह, सनमनी, खैरवा, कुसमा आदि गांवों में तो रात्रि में जाकर घर घर राशन सामग्री पहुंचाने का काम स्वयंसेवकों ने किया। इसमें खंड कार्यवाह निरंजन कुमार भगत, खंड संपर्क प्रमुख सोमनाथ शील की महत्वपूर्ण भूमिका रही। देवघर जिले में भी त्रिकुट पहाड़ पर बसे लोगों के बीच राशन पहुंचाने का काम किया। इस पर विभाग प्रचारक कुणाल कुमार स्वयं नजर रख रहे हैं। स्वयं राशन सामग्री बांटने का काम कर रहे हैं। पूरे झारखंड में अब तक 65452 परिवारों तक आरएसएस के स्वयंसेवक राशन पहुंचा चुके हैं।

317592 लोगों को करा चुके हैं भोजन
आरएसएस के स्वयंसेवक घरों में राशन पहुंचाने के साथ साथ जरूरतमंदों को भोजन भी करा रहे हैं। सैकड़ों स्थानों पर सेवा कैंप चलाकर लोगों को भोजन करा रहे हैं। एक मई तक 317592 लोगों को भोजन करा चुके थे। इन स्थानों पर प्रत्येक दिन स्वयं से भोजन तैयार कर लोगों को खिलाते हैं। कई जगहों पर वाट्सएप ग्रुप बनाकर लोगों के घरों तक राशन पहुंचा रहे हैं।

यहां ग्रामीणों ने पहली बार देखा मास्‍क, अबतक नहीं सुना सैनिटाइजर का नाम
एकल अभियान अपने पश्चिमी सिंहभूम  के करंजों, गिरिडीह, देवघर, रामगढ़, रांची  सेंटर पर मास्क तैयार करवाकर कार्यकर्ताओं से गांव. गांव में बंटवा रहा है। झारखंड के 6 000 से अधिक गांवों में.जाकर एकल के कार्यकर्ता अब तक मास्क बांट चुके हैं। देशी पद्धति से  सैनिटाइजर स्वयं से तैयार करवाकर गांवों म़े बांट रहे हैं।  वहीं विकास भारती के कार्यकर्ता  अपने सेंटरों पर मास्क तैयार कर गांवों में जाकर बांट रहे हैं। कई गांवों के लोग तो मास्क पाकर इतने खुश थे कि उसका वर्णन नहीं किया जा सकता है। 

विकास भारती व एकल के कार्यकर्ता गांवों में बांट रहे हैं मास्क
लोगों को लग रहा था की मास्क पहनने के बाद तो कोरोना अब होगा ही नहीं। पहली. बार मास्क देखा था। विकास भारती बिशुनपुर के सचिव पद्मश्री अशोक भगत ने बातचीत में कहा कि गांवों के लोगों की मदद के लिए वर्षों से यह संस्था काम कर रही है। कोरोना वायरस से आई इस संकट की घङी में संस्था के दो हजार से अधिक कार्यकर्ता लोगों की मदद में रात दिन लगे हैं। गांवों में जाकर दीवार लेखन कर कोरोना वायरस से बचाव का उपाय बता रहे हैं। शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए बैठक कर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। इसका असर भी गांवों में दिख रहा है। अभी दूसरे राज्यों से जो लोग गांवों में आ रहे हैं उनकी सुरक्षा का गांव के लोग चिंता कर रहे हैं। बिना जांच कराए गांव में प्रवेश नहीं करने दे रहे हैं। होम क्वारंटाइन में उनकी पूरी देखभाल कर रहे हैं। गांवों में जाकर मास्क बांट रहे हैं।

 

विहिप, सेवा भारती, अभाविप, हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ता रात दिन लगे हैं सेवा कार्य म़े
आरएसएस. के साथ साथ विश्व हिंदू परिषद, सेवा भारती, अभाविप व हिंदू जागरण म़ंच के सैकड़ों कार्यकर्ता सेवा कार्य में लगे हैं। घरों तक राशन पहुंचाने के साथ साथ विभिन्न स्थानों पर भोजन तैयार कर लोगों को करा रहे हैं। रांची में सेवा भारती के प्रदेश कार्यालय में 28 मार्च से ही लोगों को भोजन कराने का काम जारी. है। इनका 17 स्थानों पर सेवा कैंप चल रहा. है। गिरिडीह जिला के नक्शल प्रभावित पीरटांड़ इलाके के कई गांवों. में साइकिल व पैदल जाकर राशन बांटने का.काम कर रहे हैं तो विहिप के कार्यकर्ता पूर्वी व पश्चिमी स़िंहभूम, गिरिडीह, कोडरमा, सिमडेगा, धनबाद, खूंटी आदि जिलों के सुदूर गांवों में जाकर राशन बांट रहे ह़ै।


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