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RSS के नए सरकार्यवाह का 20 मार्च को बेंगलुरु में चुनाव, दो दिन तक चलेगी प्रतिनिधि सभा की बैठक

Rashtriya Swayamsevak Sangh Election RSS Sarkaryavah बेंगलुरु में 19-20 मार्च को आरएसएस की प्रतिनिधि सभा की बैठक होगी। कोरोना संक्रमण के कारण इस बार बैठक दो दिनों की ही होगी। प्रतिनिधियों की संख्या भी एक तिहाई से कम होगी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 07:11 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 07:15 PM (IST)
RSS के नए सरकार्यवाह का 20 मार्च को बेंगलुरु में चुनाव, दो दिन तक चलेगी प्रतिनिधि सभा की बैठक
RSS Sarkaryavah इस बार प्रतिनिधि सभा की बैठक दो दिनों की होगी।

रांची, [संजय कुमार]। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) 20 मार्च को अपने नए सरकार्यवाह का चुनाव करेगा। संघ में प्रत्येक तीन वर्ष पर प्रतिनिधि सभा की बैठक में सरकार्यवाह का चुनाव किया जाता है, उसके बाद संघ की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की जाती है। इस बार 19 एवं 20 मार्च को बेंगलुरु में प्रतिनिधि सभा की बैठक होगी। वर्तमान में भय्याजी जोशी सरकार्यवाह हैं। वे 2009 से इस दायित्व को संभाल रहे हैं। यदि फिर से भय्याजी जोशी ही चुने जाते हैं तो उनका यह पांचवां कार्यकाल होगा।

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प्रतिवर्ष होने वाली संघ की तीन महत्वपूर्ण बैठकों में से एक प्रतिनिधि सभा की बैठक में इस बार कोरोना वायरस संक्रमण के कारण प्रतिनिधियों की संख्या एक तिहाई से भी कम कर दी गई है। वहीं तीन दिनों के बदले दो दिनों की ही बैठक रखी गई है। साथ ही चुनावी वर्ष में पहली बार नागपुर से बाहर प्रतिनिधि सभा की बैठक रखी गई है। अब तक नागपुर में ही सरकार्यवाह का चुनाव होता आया है।

बैठक में 1500 के बदले 400 के आसपास ही प्रतिनिधि होंगे शामिल

आरएसएस की प्रतिनिधि सभा प्रत्येक वर्ष मार्च में होती है। इस बैठक में सरसंघचालक, सरकार्यवाह सहित केंद्रीय कार्यकारिणी, क्षेत्र कार्यकारिणी, प्रांत कार्यकारिणी, विभाग प्रचारक, स्वयंसेवकों की ओर से चुने गए प्रतिनिधि और सभी विविध संगठन के अध्यक्ष व महासचिव भाग लेते हैं। कुल संख्या 1500 के आसपास रहती है। इस बार कोरोना वायरस के कारण बैठक में पूरी अखिल भारतीय टोली के साथ-साथ क्षेत्र व प्रांत के संघचालक, कार्यवाह व प्रचारक व सीमित संख्या में चुने हुए प्रतिनिधि ही भाग लेंगे।

इस तरह कुल संख्या 400 के आसपास रहने वाली है। क्षेत्र व प्रांत के बचे हुए सभी पदाधिकारी, विभाग प्रचारक व विविध संगठन के पदाधिकारी राज्यों के प्रांत कार्यालय में उपस्थित रहकर कार्यक्रम से ऑनलाइन जुड़ेंगे। पहली बार प्रतिनिधि सभा की बैठक में शामिल होने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था भी की गई है।

जानिए कैसे होता है सरकार्यवाह का चुनाव

आरएसएस में सरसंघचालक के बाद सरकार्यवाह का पद सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस चुनाव की प्रक्रिया में पूरी केंद्रीय कार्यकारिणी, क्षेत्र व प्रांत के संघचालक, कार्यवाह व प्रचारक और संघ के प्रतिज्ञा किए हुए सक्रिय स्वयंसेवकों की ओर से चुने गए प्रतिनिधि शामिल होते हैं। संघ में प्रत्येक तीन वर्ष पर चुनावी प्रक्रिया जिला स्तर से शुरू होती है। पहले जिला व महानगर संघचालक का चुनाव होता है। उसके बाद विभाग संघ चालक और फिर प्रांत संघचालक का चुनाव किया जाता है। चुनाव के बाद ये सभी अधिकारी अपनी नई टीम की घोषणा करते हैं। उसके बाद अखिल भारतीय स्तर पर प्रतिनिधि सभा की बैठक में सरकार्यवाह का चुनाव किया जाता है। उसी बैठक में क्षेत्र संघचालक का भी चुनाव होता है।

बैठक के अंतिम दिन होता है चुनाव : प्रतिनिधि सभा की बैठक में दो दिनों तक सभी प्रांतों के कार्यवाह, प्रचारक एवं विविध संगठनों के लोग अपने कामों का लेखा-जोखा रखते हैं। विभिन्न विषयों पर चर्चा होती है। आगामी वर्ष में होने  वाले कार्यों को लेकर चर्चा होती है। अंतिम दिन जब बैठक शुरू होती है तब सरकार्यवाह वर्ष भर का प्रतिवेदन रखते हैं। उसके बाद घोषणा करते हैं कि मैंने अपने तीन वर्षों का कार्यकाल पूरा कर लिया। अब आप लोग जिन्हेंं चाहें इस दायित्व के लिए चुन सकते हैं। फिर वे मंच से उतरकर सामने आकर सभी लोगों के साथ बैठ जाते हैं। उस समय मंच पर केवल सरसंघचालक बैठे रहते हैं।

चुनाव पदाधिकारी सरकार्यवाह के लिए मांगते हैं नाम : चुनाव के लिए एक चुनाव पदाधिकारी और एक पर्यवेक्षक पहले से तय रहते हैं। बैठक के अंतिम दिन चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद चुनाव पदाधिकारी इस प्रक्रिया में शामिल लोगों से सरकार्यवाह के नाम का प्रस्ताव मांगते हैं। कोई व्यक्ति खड़ा होकर नाम की घोषणा करता है। दूसरा उसका अनुमोदन कर देता है। चुनाव पदाधिकारी घोषणा करते हैं कि कोई और नाम इसके लिए प्रस्तावित है तो बताएं। जब कोई नाम नहीं आता है तब सर्वसम्मति से सरकार्यवाह के लिए उस नाम की घोषणा चुनाव पदाधिकारी की ओर से कर दी जाती है। उसके बाद उन्हेंं सम्मानपूर्वक ले जाकर मंच पर सरसंघचालक के साथ बैठा दिया जाता है। उसके बाद सरकार्यवाह अपनी टोली के नामों की घोषणा करते हैं। फिर बैठक होती है और आगामी कार्ययोजना पर चर्चा होती है। संघ के इतिहास में अब तक सर्वसम्मति से ही सरकार्यवाह का चुनाव हुआ है।

'कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए इस बार प्रतिनिधि सभा की बैठक में प्रतिनिधियों की संख्या काफी कम कर दी गई है। साथ ही बैठक भी तीन दिनों के बदले दो दिनों की रखी गई है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव के कारण पिछली बार बैठक स्थगित कर दी गई थी।' -नरेंद्र ठाकुर, अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख, आरएसएस।


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