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संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले, कोरोना की चुनौती भारत के लिए एक अवसर

RSS Chief. संघ प्रमुख ने कहा कि विकास के नए मॉडल को अपनाने पर विचार करना होगा। डॉ. मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को ऑनलाइन संबोधित किया।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 27 Apr 2020 09:41 AM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2020 11:24 AM (IST)
संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले, कोरोना की चुनौती भारत के लिए एक अवसर
संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले, कोरोना की चुनौती भारत के लिए एक अवसर

रांची, [संजय कुमार]। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि कोरोना वायरस के कारण देश में आया संकट हमें बहुत कुछ सिखा भी रहा है। कोरोना की चुनौती भारत के लिए एक अवसर है। जैसा कि प्रधानमंत्री ने भी कहा कि यह संकट हमें स्वावलंबन की सीख दे रहा है। वह रविवार को नागपुर महानगर की ओर से आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बौद्धिक वर्ग को ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे। भागवत ने इस अवसर पर कहा कि देश में भड़काने वालों की कमी नहीं है और इसका लाभ उठाने वाली ताकतें भी हैं। अपने 38 मिनट के संबोधन में संघ प्रमुख ने अलग-अलग विषयों पर खुलकर अपनी बात रखी।

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समाज में वैमनस्य का भाव नहीं पैदा करना है

संघ प्रमुख ने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ लोग क्वारंटाइन होने से डर रहे हैं और दूसरों को भी गलत जानकारी देकर भ्रमित कर रहे हैं। ऐसे लोगों की हरकत के कारण पूरे समूह पर शक नहीं कर सकते हैं। हमें समाज में वैमनस्य का भाव नहीं पैदा करना है। स्वार्थ के कारण भारत तेरे टुकड़े होंगे.. गैंग भी सक्रिय हैं। हम परिस्थिति का लाभ उठाकर देश तोडऩे वाली शक्तियों के मंसूबे सफल नहीं होने देंगे। कोरोना को लेकर संघ ने तो मार्च में ही जून तक के अपने सारे कार्यक्रम स्थगित कर दिए थे।

लॉकडाउन घर में रहने की साधना जैसा

संबोधन के दौरान संघ प्रमुख ने कहा कि केंद्र के जरूरी दिशानिर्देशों का हमें पालन करना है। लॉकडाउन का अवसर घर में रहने की साधना जैसा है। नागरिक अनुशासन से ही कोरोना को हराया जा सकता है। समाज के सहयोग से हमें काम करना है। सरकार भी अपने स्तर से जरूरी कदम उठा रही है।

अग्रणी होने के लिए काम करना होगा

संघ प्रमुख ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद देश को और अधिक एक होकर अग्रणी होने के लिए काम करना है। भारत पूरी दुनिया को रास्ता दिखाकर उसका नेतृत्व कर सकता है। ये देश के उत्थान का अवसर बन सकता है। कहा कि स्वदेशी के विचार पर समाज को दृढ़ होना होगा, लेकिन स्वदेशी का अर्थ गुणवत्ता से समझौता कतई नहीं है। देश में बनी वस्तुओं का उपयोग ही करेंगे, जो आयात करना है वह भी अपनी शर्तों पर ही करेंगे।

पर्यावरण संरक्षण, जल संवद्र्धन एवं प्लास्टिक उन्मूलन पर ध्यान दें

संघ प्रमुख ने कहा कि वर्तमान समय में प्रकृति में बहुत कुछ बदल गया है। पर्यावरण शुद्ध हुआ है। इसलिए आगे स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग, जल एवं वृक्षों का संरक्षण, स्वच्छता, प्लास्टिक से मुक्ति वाला हमारा आचरण बने। समाज नागरिक अनुशासन का पालन करे, यही देशभक्ति है।

बिना भेदभाव किए करना है सेवा कार्य

संघ प्रमुख ने स्वयंसेवकों से इस मौके पर अपील करते हुए कहा कि भारत के 130 करोड़ लोग हमारे भाई-बंधु हैं। जो भी जरूरतमंद हैं, उनकी मदद करनी है। सेवा के काम से हमें देश-दुनिया में प्रसिद्धि मिले, अपना डंका बजे यह भाव भी मन में नहीं रखना है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि मुझे बिना भेदभाव किए सेवा का काम करना है। पूरे विश्व के लोग हमारी ओर देख रहे हैं। मुझे अपनी प्रसिद्धि के लिए सेवा का काम नहीं करना है। मुझे लोगों के बीच डंका नहीं पिटना है बल्कि जरूरतमंद लोगों तक राशन पानी और जरूरत का सामान कैसे पहुंचे इसके बारे में सोचना है।

काम करते हुए अपने स्‍वास्‍थ्‍य की भी चिंता करें

मोहन भागवत ने कहा कि अपने स्वास्थ्य की चिंता भी हमें करते हुए सेवा का काम करना है। यह काम जब तक कोरोना माहामारी के कारण लोगों की परेशानी रहेगी तब तक हमलोगों को करते रहना होगा। लोगों के बीच हमारे कामों के कारण जागरूकता फैले, इस कारण हमें प्रचार-प्रसार भी करते रहना है। संघ प्रमुख ने कहा कि हमें काम करने के दौरान शारीरिक दूरी का पालन करना होगा। संघ प्रमुख ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन तो सभी दिन रहेगी नहीं। स्कूल कॉलेज खुलेंगे, कंपनियां खुलेंगी, दुकानें खुलेंगे, इस दौरान यह ध्यान रखना होगा कि लोग शारीरिक दूरी का आपस में पालन करके काम करें ताकि लोगों को आगे फिर से परेशानी नहीं हो। गांव में जो लोग बाहर से आए हैं, उनके भी रोजगार की हमें चिंता करनी होगी। शासन प्रशासन को यह ध्यान रखना होगा कि जो लोग गांव में लौट के आए हैं, उनमें से अधिकतर तो फिर शहरों में जाएंगे नहीं। इसलिए गांव में ही उन्हें कैसे रोजगार मिले, इस बात की चिंता करनी होगी।


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