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Coronavirus: RSS थिंक टैंक कोराेना से निपटने पर करेगा चर्चा, 10 मार्च को बेंगलुरु में अहम बैठक

Coronavirus News कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ की 15-17 मार्च तक होने वाली प्रतिनिधि सभा की बैठक अपने निर्धारित समय पर ही होगी।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 07 Mar 2020 11:48 AM (IST)Updated: Sat, 07 Mar 2020 01:32 PM (IST)
Coronavirus: RSS थिंक टैंक कोराेना से निपटने पर करेगा चर्चा, 10 मार्च को बेंगलुरु में अहम बैठक
Coronavirus: RSS थिंक टैंक कोराेना से निपटने पर करेगा चर्चा, 10 मार्च को बेंगलुरु में अहम बैठक

रांची, [संजय कुमार]। Coronavirus News आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक बेंगलुरु में इस बार हो रही है। कोरोना वायरस का असर बैठक की तैयारी पर नहीं दिख रहा, हालांकि राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ की बैठक में कोरोना से निपटने पर चर्चा हो सकती है। देश-दुनिया के लिए बड़ी आफत बनकर आए कोरोना वायरस को लेकर संघ का थिंक टैंक अपने सुझाव दे सकता है। वायरस के बढ़ते प्रभाव के बावजूद अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत ही यह बैठक होगी। वर्ष में एक बार होने वाली इस बैठक की शुरुआत 10 मार्च से हो जाएगी।

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पहले दिन संघ के शीर्ष टीम से जुड़े सरसंघचालक डाक्टर मोहन भागवत, सरकार्यवाह भय्याजी जोशी व सभी छह सहसरकार्यवाह भाग लेंगे। उसमें बैठक में आने वाले विषयों पर चर्चा की जाएगी। संघ का विस्तार और कैसे हो इसपर रणनीति बनेगी।  विधिवत बैठक 15 से 17 मार्च तक होगी।  संघ सूत्रों के अनुसार इस बार की बैठक में सीएए, एनआरसी, राम मंदिर निर्माण की तैयारी आदि सामयिक विषयों पर चर्चा होगी।

कोरोना वायरस से बचाव को लेकर भी हो सकती है चर्चा

आज जिस तरह से कोरोना वायरस भारत में भी फैलता जा रहा है उसको लेकर संघ के लोग भी चिंतित हैं। संघ की बैठक  में कोरोना वायरस से बचाव के उपायो पर भी चर्चा हो सकती है। वैसे तो संघ के स्वयंसेवक हाथ जोङ कर ही एक दूसरे को नमस्ते करते हैं. जिसे आज अभिवादन के लिए पूरा विश्व अपना रहा है। भारत के प्रधानमंत्री सहित कई रास्ट्राध्यक्षों ने लोगों से हाथ मिलाने की जगह नमस्ते करने का आग्रह किया है।  संघ अपने अनुषांगिक संगठन आरोग्य भारती एवं अन्य संगठनों के माध्यम से लोगों को बचाव के प्रति जागरूक करने का अभियान चला सकती है। देश में जब जब इस तरह के प्रकोप आए हैं राहत अभियान चलाने में स्वयंसेवकों ने बढचढ कर भाग लिया है।

बेंगलुरु के चेन्ननहल्ली स्थित जनसेवा विद्या केंद्र में होगी बैठक

बेंगलुरु के चेन्ननहल्ली स्थित जनसेवा विद्या केंद्र में होने वाली प्रतिनिधि सभा की बैठक में 10 मार्च को शीर्ष टीम बैठेगी। फिर दूसरे दिन अखिल भारतीय कार्यकारिणी से जुड़े लोग बैठेंगे। 12 मार्च को सभी सभी क्षेत्र प्रचारक एवं कार्यवाह के साथ बैठक होगी। 13 व 14 मार्च को सभी प्रांत प्रचारक, प्रांत कार्यवाह, सभी क्षेत्र प्रचारक, कार्यवाह एवं सभी अखिल भारतीय अधिकारी उपस्थित रहेंगे। इन बैठकों में 15 से 17 मार्च तक होने वाली बैठक की पूरी योजना तैयार कर ली जाएगी।

15 मार्च को बैठक का उद्घाटन सरसंघचालक मोहन भागवत व सरकार्यवाह भय्याजी जोशी करेंगे। तीन दिनों तक होने वाली बैठक में अब तक देश में संघ की शाखाओं की संख्या एवं  आगामी वर्षों में इसके विस्तार पर मंथन होगा। पर्यावरण संरक्षण, ग्राम विकास, सामाजिक समरसता आदि विषयों पर चर्चा होगी। इसके माध्यम से कैसे गांवों में खुशहाली आए इस पर मंथन होगा। सरसंघचालक मोहन भागवत का शाखा विस्तार पर ज्यादा जोर रहता है। संघ अपने शताब्दी वर्ष तक देश के अधिक से अधिक गांवों व नगरों तक अपना काम पहुंचाना चाहता है। चाहे शाखा के माध्यम से हो या विविध संगठन के कार्य के माध्यम से। तीन दिनों की बैठक में भाग लेने के लिए लगभग 1500 लोग अपेक्षित रहते हैं। इनमें केंद्र, क्षेत्र एवं प्रांत के सभी अधिकारियों सहित विविध संगठनों के केंद्रीय पदाधिकारी भाग लेते हैं। 

राम मंदिर निर्माण को लेकर होगी चर्चा

इस बैठक में अयोध्या में बनने वाले भव्य राममंदिर के निर्माण को लेकर चर्चा हो सकती है। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, जो संघ के प्रचारक हैं और विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं वे बैठक में राममंदिर से संबंधित विषयों को लेकर अब तक की प्रगति व आगामी योजना को लेकर अपनी बात रख सकते है। संघ सूत्रों के अनुसार उस बैठक में मंदिर निर्माण की तिथि पर चर्चा हो सकती है। इसके साथ ही सीएए और एनआरसी पर भी चर्चा होगी।

सीएए के बारे में सही जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए संघ ने पूरे देश में अभियान चलाया था। जगह जगह सेमिनार का आयोजन किया गया था। सीएए को लेकर जिस तरह दिल्ली में दंगा हुआ और लोग मारे गए उसको लेकर संघ के लोग काफी चिंतित है।  इसके साथ ही एनआरसी का समर्थन संघ हमेशा से करता रहा है। सरना धर्म कोड को लेकर भी इस बैठक में बात आ सकती है। आरएसएस जनगणना में अलग सरना धर्म कोड का विरोध करता है।  जबकि कुछ आदिवासी इसकी मांग करते हैं।


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