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RSS ने रांची में 21 स्थानों पर मनाया विजयादशमी उत्सव, कोरोना के कारण नहीं निकला पंथ संचलन

Rashtriya Swayamsevak Sangh Foundation Day सरस्वती विद्या मंदिर धुर्वा में आयोजित कार्यक्रम में स्वयंससेवकों को संबोधित करते हुए आरएसएस के प्रांत सह बौद्धिक प्रमुख हरिनारायण ने कहा कि विजयादशमी के दिन ही 1925 में संघ की स्थापना हुई थी। इसलिए आज संघ का स्थापना दिवस भी है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 12:27 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 05:45 PM (IST)
RSS ने रांची में 21 स्थानों पर मनाया विजयादशमी उत्सव, कोरोना के कारण नहीं निकला पंथ संचलन
विजयादशमी पर आयोजित संघ का कार्यक्रम। जागरण

रांची, जासं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रांची महानगर की ओर से 21 स्थानों पर विजयादशमी उत्सव मनाया गया। कोरोना संक्रमण के कारण इस बार पथसंचलन नहीं निकाला गया। सभी स्थानों पर शस्त्र पूजन के बाद संघ के अधिकारी का संबोधन हुआ, फिर प्रार्थना के बाद कार्यक्रम की समाप्ति हुई। सरस्वती विद्या मंदिर धुर्वा में आयोजित कार्यक्रम में स्वयंससेवकों को संबोधित करते हुए आरएसएस के प्रांत सह बौद्धिक प्रमुख हरिनारायण ने कहा कि विजयादशमी के दिन ही 1925 में संघ की स्थापना हुई थी।

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इसलिए आज संघ का स्थापना दिवस भी है। संघ स्थापना का उद्देश्य यह था कि अपने देश के प्रति, उसकी परंपराओं के प्रति, उसके ऐतिहासिक महापुरुषों के प्रति, उसकी सुरक्षा तथा समृद्धि के प्रति राष्ट्र के प्रत्येक जन का एकान्तिक निष्ठा हो, आपसी भेदों को भूलाकर संगठित होकर कार्य करें। भारत में आदि काल से ही शक्ति की महत्ता मानी गई है। हर युग में शक्ति उपासना का महत्व समझा गया है। इसलिए जब हम ताकतवर होंगे तो दूसरा भी सम्मान करेगा।

संगठन में ही शक्ति है। संघ संस्थापक डा. हेडगेवार ने स्पष्ट कहा है कि हमारा धर्म तथा संस्कृति कितने भी श्रेष्ठ क्यों न हों, जब तक उसकी रक्षा के लिए आवश्यक शक्ति नहीं होगी, तबतक जग में हम सम्मान के योग्य नहीं होंगे। इसलिए प्रचंड शक्तिशाली बनें। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि यदि दुनिया में कोई पाप है तो वह है दुर्बलता, दुर्बलता ही मृत्यु है।

इसलिए सब प्रकार से दुर्बलता दूर करो। कहा कि नवरात्र में प्रकृति भी परिवर्तन के दौर से गुजरती है। मां दुर्गा हम मनुष्यों को भी स्वयं में परिवर्तन लाने का संदेश देती है। आंतरिक बुराइयों को दूर कर दैवी भाव निर्माण करना है। बुद्धि की जड़ता को समाप्त कर सक्रिय होकर सज्जन शक्ति का उदय करना है। अपने हृदय में सद्भाव का संचार करना है। यही संदेश मां दुर्गा हम मनुष्यों को देती है।

युद्ध केवल साधनों से नहीं, संकल्प से जीते जाते हैं

उन्होंने कहा कि युद्ध केवल साधनों से नहीं बल्कि संकल्प से जीते जाते हैं। पड़ोसी देश चीन को चेतावनी के साथ समझाना चाहता हूं कि भारत संकल्प शक्ति से परिपूर्ण है। ये 62 का भारत नहीं है। असंभव लगने वाली समस्याओं का समाधान जो भारत ने कर दिखाया है, यह बिना संकल्प शक्ति के संभव नहीं है। हमें एक शक्तिशाली सामर्थ्यवान देश के रूप में खड़ा होना होगा, तभी विश्व का कल्याण संभव है। हमें विश्वास है कि भारत विश्वगुरु बनकर रहेगा। कार्यक्रम में अमरजीत कुमार, सुनील पांडे, विजय केशरी, ललन कुमार आदि उपस्थित थे।


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