नक्सली सुधाकर पर एक करोड़ का इनाम, परिवार को खाने के लाले
नक्सली सुधाकर पर एक करोड़ रुपये का इनाम है, जबकि उसके परिवार के सामने खाने तक को लाले हैं।
रांची, दिलीप कुमार। भाकपा माओवादियों की सेंट्रल कमेटी के सदस्य सुधाकर पर एक करोड़ रुपये का इनाम है, जबकि उसके परिवार के सामने खाने तक को लाले हैं। भाई भी दिहाड़ी मजदूर है। तेलंगाना के निर्मल जिले के सारंगपुर निवासी इस हार्डकोर माओवादी का एक भाई बी. नारायण पेशे से दिहाड़ी मजदूर है, जो किसी तरह अपनी तीन बेटियों का पालन-पोषण कर रहा था।
पहली बार 32 साल के बाद अपने भाई सुधाकर के बुलावे पर वह झारखंड आया था और पहली ही बार में पकड़ा गया था। यह खुलासा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) व राज्य पुलिस की छानबीन में हुआ है। एजेंसी व पुलिस की एक टीम तेलंगाना में भी इस हार्डकोर नक्सली की संपत्ति का जायजा लेने पहुंची तो उसकी गरीबी का खुलासा हुआ।
48 साल का बी. नारायण सुधाकर का मंझला भाई है। सबसे बड़ा सुधाकर और सबसे छोटा रमन्ना है। सुधाकर को छोड़ दोनों भाई पैतृक गांव में ही रहते हैं। इनके पास एक साधारण खपरैल मकान है और इसके अलावा इनके पास कोई जमीन-जायदाद नहीं है। केनाल में मजदूरी करने वाले मंझले भाई बी. नारायण को केवल तीन बेटियां हैं, जिन्हें पढ़ाने तक के पैसे उनके पास नहीं है।
सुधाकर के भाई से पूछताछ व छानबीन में ये तथ्य आए सामने
बी. नारायण ने बताया कि सुधाकर व उसकी पत्नी माधवी आत्मसमर्पण करना चाहते हैं। आत्मसमर्पण के पूर्व कुछ रुपये कमाना चाहते हैं, ताकि उनकी गरीबी दूर हो सके, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके। बी. नारायण के अनुसार तेलंगाना के मंचेरियल जिले के नगर निवासी केंदू पत्ता व्यवसायी सत्यनारायण रेड्डी का संबंध सुधाकर से है। सुधाकर के सहयोग से सत्यनारायण रेड्डी अपना व्यवसाय करता है। जून-2017 में केंदू पत्ता व्यवसायी सत्यनारायण रेड्डी ने ही बी. नारायण को सूचना दी थी कि सुधाकर झारखंड में है और मिलना चाहता है।
सुधाकर उसकी गरीबी को दूर करने के ख्याल से ही उसे झारखंड बुलाया था। करीब 32 साल के बाद भाई से मिलने बी. नारायण सत्यनारायण रेड्डी के साथ हैदराबाद से दरभंगा-सिकंदराबाद स्पेशल ट्रेन से 27 अगस्त 2017 को रांची रेलवे स्टेशन पहुंचा था। यहां एक व्यक्ति स्कार्पियो से उसे रिसीव भी किया था और रात में रहने के लिए रांची के एक होटल में कमरे की व्यवस्था भी की थी। दूसरे दिन सुबह में उस व्यक्ति ने दोनों को स्कार्पियो से गुमला पहुंचाया, वहां एक आदमी पहले से तैयार था, जो इन्हें व सत्यनारायण रेडडी को जंगल में पैदल पहुंचाया। जंगल में बड़े भाई सुधाकर से मुलाकात हुई थी। सुधाकर के पास वर्दी में चार-पांच लोग थे जो हथियार लिए हुए थे। आधा किलोमीटर और जंगल में पहुंचे तो पहाड़ पर टेंट लगा था, वहां बड़े भाई सुधाकर की पत्नी माधवी से मुलाकात करवाई गई।
वहीं पर 32 साल के बाद बी. नारायण व सुधाकर में बातचीत हुई। रात में सुधाकर अपने पास रखे लेवी के पैसे संगठन के लोगों से छिपाकर पांच लाख रुपये दिए थे और सत्यनारायण रेडडी को 20 लाख रुपये के अलावा करीब 475 ग्राम सोना सुरक्षित रखने के लिए दिया था। 30 अगस्त 2017 की सुबह में सुधाकर अपने दस्ता सदस्यों के साथ सड़क पर पहुंचा, जहां स्कार्पियो वाले प्रभु प्रसाद साहू ने स्कार्पियो से रांची पहुंचा दिया और वापस हो गया। बी. नारायण व सत्यनारायण रेड्डी किसी ट्रेन से अपने घर हैदराबाद निकलने ही वाले थे कि पुलिस के हाथों पकड़े गए थे।
इंटर में फेल होने के बाद 32 साल पहले घर से भागा था सुधाकर
सुधाकर रेड्डी वर्ष 1983-1984 में तेलंगाना के निर्मल जिले के सरकारी महाविद्यालय से इंटरमीडिएट कर रहा था। पढ़ाई के दौरान पिता ही खर्च भेजते थे। पिताजी सप्ताह में एक-दो बार मिलने भी आया करते थे। इंटरमीडिएट की परीक्षा में फेल हो जाने के बाद बिना कुछ कहे वह अचानक घर से निकल गया था। बाद में पता चला कि सुधाकर पीडब्ल्यूजी पार्टी में शामिल हो गया है। इसी चिंता में पिता का देहांत भी हो गया था। पूर्व में सुधाकर चिन्नूर (तेलंगाना) में पार्टी का कमांडर था। उसके बाद वह तेलंगाना, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ में पार्टी का काम करने के बाद वर्तमान में झारखंड में केंद्रीय कमेटी सदस्य है।
वर्तमान में लातेहार व गुमला सीमा पर है सक्रिय
खुफिया सूत्रों के अनुसार सुधाकर वर्तमान में लातेहार व गुमला सीमा पर सक्रिय है। सुधाकर की पत्नी माधवी के बीमार रहने के कारण सुधाकर अपनी पत्नी माधवी के साथ आत्मसमर्पण करना चाहता है, लेकिन उससे पहले वह भविष्य के लिए लेवी की राशि को एकत्रित करना चाहता है।
तेलंगाना में आत्मसमर्पण के बाद नहीं है जेल भेजने का प्रावधान
तेलंगाना में भी सुधाकर पर 25 लाख का इनाम है। वहां की आत्मसमर्पण नीति में आत्मसमर्पण के बाद जेल भेजने का कोई प्रावधान नहीं है। जबकि, झारखंड में सुधाकर पर एक करोड़ व माधवी पर 25 लाख का इनाम है। यहां आत्मसमर्पण के बाद इनाम की राशि मिलने के बावजूद जेल जाना पड़ता है। कांडों में ट्रायल चलता है और उसके बाद ही मुक्ति मिलती है।
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