रांची में नशा, तेज रफ्तार, लापरवाही और ब्लैक स्पॉट लील रही जान
- हर दिन होती हैं दुर्घटनाए इस साल 256 सड़क हादसों में 153 की हो चुकी है मौत - ब्लैक
- हर दिन होती हैं दुर्घटनाए, इस साल 256 सड़क हादसों में 153 की हो चुकी है मौत
- ब्लैक स्पॉट सुधार की दिशा में नहीं हो रही कोई कार्रवाई
जागरण संवाददाता, रांची : रांची में नशा, तेज रफ्तार, लापरवाही और ब्लैक स्पॉट हर दिन लोगों की जान ले रही है। तेज रफ्तार की वजह से आए दिन सड़क हादसों में लोग जान गवां रहे। बाइक और कार सर्वाधिक चपेट में आ रहे हैं। इस वर्ष कोरोना काल की वजह से अन्य वर्षों की तुलना में दुर्घटना व मौतों में कमी आई। चालू वर्ष में 256 सड़क हादसों में 153 की मौत अबतक हो चुकी है। पिछले वर्ष 2019 में 735 सड़क हादसों 350 की मौत हुई जबकि वर्ष 2018 में कुल 538 सड़क हादसों में 363 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी, 328 घायल भी हुए। नशे पर लगाम के ड्रंक एंड ड्राइव अभियान के प्रति लोगों की अनदेखी जारी है। दूसरी ओर, दुर्घटना के ब्लैक स्पॉटों को दुरुस्त करने की दिशा में कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। ब्लैक स्पॉटों की पहचान और इसकी सुधार की कई बार योजनाएं बनी। योजनाओं पर अमल की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हुई। कुछ जगहों पर सुधार देखा गया लेकिन अधूरे काम की वजह से हादसों पर लगाम नहीं लग सकी। रांची जिला प्रशासन की ओर से एक साल पहले 22 ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए गए थे। इनमें 19 शहरी क्षेत्र में है। इनमें कई तीखे मोड़ हैं। कहीं घाटी, तो कहीं डायवर्सन हैं। एफआइआर के आधार पर ये सर्वे किए गए हैं। ट्रैफिक पुलिस और प्रशासन ने कई बार ऐसी जगहों को दुरुस्त करने के लिए पत्राचार किया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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वर्ष हादसे मौत
2020 256 153
2019 735 350
2018 538 363
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शहर में भी हैं ब्लैक स्पॉट :
शहर में कई ऐसे ब्लैक स्पॉट हैं जहां तीखे मोड़, सड़क की एलाइनमेंट और डायरेक्ट कनेक्टिग की वजह से हादसे हो रहे हैं। इनमें बरियातू रोड के बूटी मोड़ के समीप एक निजी अस्पताल के सामने, डीपीएस चौक, नेपाल हाउस मोड़ के पास ब्लैक स्पॉट है। इनमें केवल एक जगह पर ही सावधानी संबंधी बोर्ड लगा है। इन ब्लैक स्पॉटों का तकनीकी सर्वे तक नहीं कराया गया। कई सड़कें बेतरतीब बनी हैं। इसी वजह से ही यहां की सड़कों पर दुर्घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। सड़कों की अनिश्चित मापी और मनमाने ढंग से तैयार किए जाने की वजह से ब्लैक स्पॉट बन रहे हैं।
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चारपहिया वाहनों से ज्यदा होती हैं दुर्घटनाएं :
रांची व आसपास मोटरसाइकिल हादसों की तुलना में चारपहिया वाहनों की दुर्घटनाएं बढ़ी हैं। यहां निजी चारपहिया वाहनों की वजह से जहां 12 प्रतिशत एक्सीडेंट होते हैं, वहीं कामर्शियल कारों से रोड एक्सीडेंट का आंकड़ा 45 प्रतिशत है। इसकी वजह इन कारों चालकों का अप्रशिक्षित व कम पढ़ा लिखा होना है। चूंकि चालकों में न तो ट्रैफिक सेंस होती है, न सिग्नल और इंडिकेशंस की समझ।
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स्पीड गवर्नर के नाम पर खानापूर्ति :
सूबे में स्पीड गवर्नर के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है। चालू कंपनियों के स्पीड गवर्नर वाहनों में लगाए जा रहे हैं। सरकार ने वाहनों में स्पीड गवर्नर को अनिवार्य किया हुआ है लेकिन स्पीड गवर्नर की टेस्टिग की भी कोई व्यवस्था नहीं है। स्पीड गवर्नर के क्वालिटी की न तो जांच हो रही है और न ही उसपर मुहर लग रही है।
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दुर्घटनाओं के सर्वाधिक शिकार होते हैं युवा :
सड़क हादसों के सर्वाधिक शिकार युवा होते हैं। तेज रफ्तार, हाई स्पीड बाइक और ड्राइविग का रोमांच उनकी जान ले रहा है। राजधानी की ही बात करें तो रांची के चारों तरफ बने रिग रोड पर आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। चकाचक रिग रोड पर रफ्तार का रोमांच दुर्घटनाओं का सबब बन रहा है। सिर में चोटें आती हैं और नतीजा मौत।
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शहर में मिट गए जेब्रा क्रॉसिग व स्टॉप लाइन :
शहर के जेब्रा क्रॉसिग की पेंटिंग मिट चुकी है या काफी धुंधली हो चुकी है। ऐसे में किसी भी चौक या पोस्ट पर रुकने के बजाए लोग आगे बढ़ जाते हैं। इसके कारण एएनपीआर कैमरे से लगातार चालान कट रहे हैं।
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सर्वाधिक दुर्घटनाओं वाले रास्ते :
- रांची-टाटा राष्ट्रीय राजमार्ग : यहां पहले तीखे मोड़ थे, लेकिन वर्तमान में सड़क निर्माणाधीन है, जिससे उबड़-खाबड़ रास्ते तो हैं हीं, जहां-तहां स्पीड पर नियंत्रण खोने से अचानक हादसे हो जाते हैं। सर्वाधिक हादसे तैमारा घाटी के पास होती है।
- रांची रिग रोड : राजधानी से सटे रिग रोड पर गति अवरोधक के बावजूद सड़क अच्छी होने के कारण वाहनों की स्पीड अत्याधिक होती है, जो दुर्घटना का कारण बनती है।
- रांची-खूंटी मार्ग : सड़क संकरी है। सिंगल लेन है। वाहनों की अत्याधिक स्पीड के कारण पहाड़ी क्षेत्र की इस सड़क पर वाहन पर नियंत्रण खो जाने के कारण दुर्घटनाएं होती हैं।
- रांची-गुमला मार्ग व रांची डालटनगंज : रांची से गुमला और रांची से डालटनगंज मार्ग भी वन लेन है। बीच में डिवाइडर भी नहीं और सड़क भी संकरी है। ऐसे में वाहनों के लिए स्पीड लिमिट संकेतक का नहीं होना दुर्घटना का सबसे बड़ा कारण है।
- कांटाटोली से ओरमांझी : वन लेन, पतली सड़क और जहां-तहां गड्ढे यहां दुर्घटनाओं के सबसे बड़े कारण हैं। इरबा से लेकर ब्लॉक चौक पर अनावश्यक कट और पर्याप्त जेब्रा क्रॉसिग के नहीं रहने से हादसे होते रहते हैं।
-रांची-लोहरदगा रोड : इस रोड में रातू के बाद मांडर, चान्हो व बिजूपाड़ा तक कई ब्लैक स्पॉट हैं। जहां सड़क हादसे होते रहते हैं।
-रांची-रामगढ़ रोड : ओरमांझी से आगे बढ़ने पर चुटू पालू घाटी में तीखे मोड़ के वजह से लगातार हादसे होते हैं।
-रांची-पतरातू रोड : कांके चौक के बाद असुरक्षित कट और टर्निंग। नया फ्लाइओवर के पास बेतरतीब टर्निंग से हादसे हो रहे हैं। इसके बाद पिठोरिया से नीचे उतरने पर भयंकर घाटी मिलती है। जो, हादसों की वजह है।
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केस स्टडी 01 :
22 नवंबर 2020 को तेज गति की ट्रेलर ने कोकर चूना भट्ठा के समीप बाइक सवार को कुचल दिया। बाइक सवार की मौके पर ही मौत हो गई थी।
केस स्टडी 02:
21 नवंबर 2020 कोकर चौक में तेज रफ्तार की स्कॉर्पियो ने स्कूटी खड़ी कर रोड किनारे खड़े युवक को टक्कर मार दी। अस्पताल पहुंचने से पहले युवक की मौत हो गई।
केस स्टडी 03 :
15 जून 2020 को मांडर इलाके में पतरातू तेतरटोली निवासी सोनू भगत और वीरेंद्र उरांव की मौत हो गई। देर रात घर लौटने के दौरान बाइक सड़क किनारे बिजली पोल से टकरा गई। जिससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।
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नशा और तेज रफ्तार की वजह से हादसे होते हैं। तेज रफ्तार पर लगाम लगाने के लिए स्पीड लेजर गन से चालान भी कट रहे हैं। ब्लैक स्पॉट दुरुस्त करने के लिए पथ निर्माण विभाग को कई पत्राचार भी किए गए हैं।
- अजीत पीटर डुंगडुंग, ट्रैफिक एसपी रांची।