सड़क, शिक्षा पर हुआ काम, बेरोजगारी है बड़ी समस्या
दैनिक जागरण की ओर से बस में चुनावी चर्चा करते हुए जब लोगों के मन का हाल जाना तो कई लोगों कहा कि शिक्षा एवं सड़कों की स्थिति तो सुधरी पर बेरोजगारी की समस्या बनी हुई है।
अमन मिश्रा, रांची : गुरुवार दोपहर के करीब दो बजे थे, लोगो के मन में चुनाव को लेकर क्या चहल पहल है जानने का मन हुआ। नामकुम में एक चाय की टपरी के सामने खड़ा था। इस दौरान रांची से चाईबासा जा रही एक बस वहां आकर रुकी। चाय की चुस्की लेने के बाद कंडेक्टर से अगले पड़ाव का टिकट लेकर उसमें चढ़ गया। बस पैसेंजर से खचाखच भरी थी। मैं भी सामने से खाली तीसरी सीट पर बैठ गया। दैनिक जागरण के अभियान इलेक्शन ट्रैवल्स की शुरुआत करते हुए अपने बाजू बैठे सवारी राजीव गुप्ता से चुनावी मुद्दे पर बातचीत करनी शुरू की। उनसे वर्तमान सरकार की पांच सालों के कार्यशैली और विकास कार्यो के बारे पूछा। इतना कहते ही उन्होंने कहा, अब तो चुनाव की तारीख भी आ गई है। राजीव ने कहा कि वह बेंगलुरु में काम करते हैं। मूल रूप से चक्रधरपुर के रहने वाले हैं। वर्तमान की सरकार ने अपने कार्यकाल में विकास के कई काम किए हैं। इससे लोगों को काफी फायदा हुआ है। लेकिन रोजगार के क्षेत्र में क्या काम हुआ है इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि अपने घर को छोड़ बाहर काम करने को मजबूर हूं। इतने में पिछली सीट में बैठे शंभू प्रसाद ने राजीव का समर्थन करते हुए कहा कि रोजगार अभी भी बड़ी समस्या है। इन पांच सालों में सबसे ज्यादा काम सड़क पर हुआ है। आज हम सभी एसी बसों में ट्रैवल कर रहे हैं, पहले जैसी सड़कें थी, एसी बसों के बारे सोचना भी नहीं था।
उन्होंने स्वच्छता के सवाल पर भी सरकार को किनारे कर आम जनता को इसका जिम्मेदार बताया। किसे वोट करेंगे के सवाल पर कहा कि अब नेताओं के वादे से फर्क नहीं पड़ता, प्रचार के दौरान चयन किया जाएगा। जो भी बदलाव की काबिलियत अपने अंदर रखता होगा, जिसपर भरोसा हो जाएगा उसे ही चुनेंगे। शिक्षा में काफी ग्रोथ हुआ, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले विधायक से है नाराज
बस की सीट नंबर 11 में बैठे सुरेश साहू ने कहा कि जब से झारखंड राज्य अलग हुआ है तब से यहां स्थायी सरकार नहीं रही है। सिर्फ वर्तमान की सरकार ने पांच साल पूरा किया है। यहां शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी काम हुए हैं। पहले ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षक ही नहीं रहते थे, कारणवश वहां के बच्चे भी पढ़ाई नहीं कर पाते थे। अब सभी स्कूलों में क्वालिटी लेवल के टीचर की नियुक्ति की गई है। इससे काफी बदलाव आया है। सुरेश के बगल में बैठे महेंद्र ने तो अपने विधायक को कोसना शुरू कर दिया। कहा कि उसके गांव में सड़क ही नहीं है। खेतों से गाड़ी लेकर जानी पड़ती है। विधायक से कई बार कहने के बाद भी टालमटौल करते हुए पांच साल बीत गए। इस साल विधानसभा में वोट जरूर डालूंगा लेकिन किसी पार्टी या व्यक्ति विशेष को नहीं दूंगा। नोटा दबाकर अपना मत डालूंगा।
बस की पिछली सीट पर बैठी दो महिलाएं लीला कुमारी और राज कुमारी आपस में महंगाई को लेकर बात शुरू करती हैं। वे निजी स्कूल में बच्चों के दाखिले करवाने जा रही थीं। लीला ने कहा कि पहले की तरह इस साल भी निजी स्कूल संचालकों द्वारा भारी भरकम दाखिला फीस वसूली जा है। राज कुमारी ने भी इसका विरोध करते हुए कहा कि इस सरकार से उम्मीद थी मगर उसका रिजल्ट नहीं मिला। यात्रियों से 20 किमी तक बातचीत के बाद गाड़ी रुकवाई और रास्ते में ही उतर गया।