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लालू को निदेशक बंगला ही क्‍यों दिया, क्‍या थी जल्‍दबाजी, हाई कोर्ट के सवाल पर सन्‍नाटा...

Lalu Yadav News लालू प्रसाद यादव को रिम्स निदेशक बंगले में शिफ्ट किए जाने पर झारखंड हाई कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने जेल मैनुअल उल्लंघन से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार कानून से चलती है व्यक्ति विशेष से नहीं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 07 Jan 2021 07:39 PM (IST)Updated: Sat, 09 Jan 2021 08:22 AM (IST)
लालू को निदेशक बंगला ही क्‍यों दिया, क्‍या थी जल्‍दबाजी, हाई कोर्ट के सवाल पर सन्‍नाटा...
Lalu Yadav News: बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री लालू प्रसाद यादव। फाइल फोटो

रांची, राज्य ब्यूरो।  Lalu Yadav News, Lalu Prasad Yadav Latest News चारा घोटाला के चार मामलों में सजा काट रहे राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को रिम्स, रांची के निदेशक बंगले में शिफ्ट किए जाने पर झारखंड हाई कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने जेल मैनुअल उल्लंघन से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार कानून से चलती है, व्यक्ति विशेष से नहीं।

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सरकार ने कहा, जेल मैनुअल मे कर रहे बदलाव

इस पर सरकार की ओर कहा गया है कि कई प्रावधानों में स्पष्टता नहीं होने के कारण सरकार अब जेल मैनुअल में बदलाव कर रही है। साथ ही एसओपी भी तैयार किया जा रहा है। इस पर अदालत ने सरकार को 22 जनवरी तक जेल मैनुअल में किए गए बदलाव और अपडेट एसओपी की जानकारी मांगी है। साथ ही जेल आइजी और रिम्स प्रबंधन से भी रिपोर्ट तलब की है।

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हाई कोर्ट ने पूछा, लालू को बंगले में शिफ्ट करने की क्या थी जल्दबाजी

इससे पहले झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि लालू किसके आदेश से रिम्स के पेइंग वार्ड से रिम्स निदेशक के बंगले में शिफ्ट कर दिए गए। इसके अलावा अदालत ने यह जानकारी भी मांगी थी कि लालू से पिछले तीन माह में कितने लोग मिले। उन्हें क्या विशेष विशेष सुविधाएं दी जा रही हैैं और किसी भी कैदी को सेवादार उपलब्ध कराने से लेकर अन्य सुविधाएं देने के क्या नियम सरकार ने तय कर रखे हैैं। इसपर सरकार की ओर से दिए गए अबतक के जवाबों पर अदालत ने अंसतोष जाहिर किया है।

सरकार कानून से चलती है, व्यक्ति विशेष से नहीं

बहरहाल, 22 जनवरी तक सरकार को अपडेट जांच रिपोर्ट अदालत को सौंपनी है। सरकार ने अदालत को बताया है कि कोरोना संक्रमण का खतरा देखते हुए लालू प्रसाद को रिम्स प्रबंधन ने पेइंग वार्ड से रिम्स निदेशक के बंगले में शिफ्ट किया गया था। इस पर अदालत ने कहा कि कोरोना संक्रमण का खतरा होने पर रिम्स प्रबंधन को पहले इसकी जानकारी किसी भी माध्यम से जेल अथॉरिटी को देनी चाहिए थी। आज की सुनवाई में कोर्ट की ओर से कड़ी टिप्‍पणी आई कि सरकार कानून से चलती है, व्यक्ति विशेष से नहीं।

लालू के जेल मैनुअल का उल्लंघन करने व उन्हें विशेष सुविधाएं देने के मामले में हुई सुनवाई

कोर्ट ने कहा कि इस तरह की जानकारी देने के बाद जेल प्रबंधन लालू प्रसाद के लिए वैकल्पिक स्थान का चयन करता। रिम्स प्रबंधन ने लालू को निदेशक बंगले में शिफ्ट करने में इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई। इसके लिए उच्च अधिकारियों से विचार-विमर्श भी नहीं किया गया। रिम्स प्रबंधन ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि लालू प्रसाद को निदेशक बंगले में शिफ्ट करने के पहले किन-किन विकल्पों पर विचार किया था और निदेशक बंगले को ही क्यों चुना गया।

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान जेल आइजी और रांची के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की ओर से रिपोर्ट पेश की गई। सरकार की ओर से बताया गया कि उस दौरान कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा था। ऐसे में रिम्स प्रबंधन ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लालू प्रसाद को निदेशक बंगले में शिफ्ट किया। अदालत को बताया गया कि जेल से बाहर इलाज के लिए यदि कैदी शिफ्ट किए जाते हैं तो उसकी सुरक्षा और उसके लिए क्या व्यवस्था होगी। इसका स्पष्ट प्रावधान जेल मैनुअल में नहीं है। जेल के बाहर सेवादार दिया जा सकता है या नहीं इसकी भी जेल मैनुअल में स्पष्ट जानकारी नहीं है। सरकार अब जेल मैनुअल में बदलाव कर रही है और एसओपी तैयार किया जा रहा है। 

चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को कोरोनावायरस संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए बिना किसी उच्च अधिकारियों से विचार-विमर्श के ही रिम्‍स निदेशक के बंगले में शिफ्ट किए जाने पर झारखंड हाई कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने शुक्रवार को जेल मैनुअल उल्लंघन से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार कानून से चलती है, व्यक्ति विशेष से नहीं। अदालत ने कहा कि लालू को कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा होने पर रिम्स प्रबंधन को पहले इसकी जानकारी किसी भी माध्यम से बिरसा मुंडा जेल अथॉरिटी को देनी चाहिए थी।

इसके बाद जेल अथॉरिटी लालू प्रसाद यादव को शिफ्ट करने के लिए रिम्स में ही या फिर अन्य वैकल्पिक स्थान का चयन करती। रिम्स प्रबंधन ने लालू को निदेशक बंगले में शिफ्ट करने के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई। कोर्ट ने कहा कि रिम्स प्रबंधन ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि लालू प्रसाद को निदेशक बंगले में शिफ्ट करने के पहले और कौन से विकल्पों पर विचार किया था तथा निदेशक बंगले को ही क्यों चुना गया। रिम्स निदेशक को कुछ और विकल्पों पर गौर करते हुए नियमों और प्रावधानों के अनुसार ही निर्णय लेना चाहिए था।

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अदालत में जेल आइजी और एसएसपी की ओर से रिपोर्ट पेश की गई। सरकार की ओर से बताया गया कि उस दौरान कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा था। ऐसे में रिम्स प्रबंधन ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लालू प्रसाद को निदेशक बंगले में शिफ्ट किया। अदालत को बताया गया कि जेल से बाहर इलाज के लिए यदि कैदी शिफ्ट किए जाते हैं तो उसकी सुरक्षा और उसके लिए क्या व्यवस्था होगी। इसका स्पष्ट प्रावधान जेल मैनुअल में नहीं है।

जेल के बाहर सेवादार दिया जा सकता है या नहीं, इसकी भी जेल मैनुअल में स्पष्ट जानकारी नहीं है। सरकार अब जेल मैनुअल में बदलाव कर रही है और तब तक एक एसओपी तैयार की जा रही है। इस पर अदालत ने सरकार को 22 जनवरी तक जेल मैनुअल में बदलाव और अपडेट एसओपी की जानकारी मांगी है। साथ ही जेल आइजी और रिम्स प्रबंधन से भी रिपोर्ट तलब की है।

बता दें कि दिसंबर 2020 में सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से लालू प्रसाद से तीन माह में मुलाकात करने वालों की सूची मांगी थी। पिछली सुनवाई में लालू प्रसाद के निदेशक बंगला में शिफ्ट करने और सेवादार दिए जाने के मामले पर सरकार से जानकारी मांगी थी।


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