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दिल की धड़कनों को नहीं सुन रहा रिम्स, इको मशीन खराब, मरीज परेशान

3 महीने में अस्पताल प्रबंधन काíडयोलाजी विभाग की इको मशीन ठीक नहीं करा सका है। इलाज कराने पहुंचने वाले 50 मरीजों को रोजाना वापस लौटना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 09:18 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 09:18 AM (IST)
दिल की धड़कनों को नहीं सुन रहा रिम्स, इको मशीन खराब, मरीज परेशान
दिल की धड़कनों को नहीं सुन रहा रिम्स, इको मशीन खराब, मरीज परेशान

जागरण संवाददाता राची : अगर आपका दिल ठीक से धड़क नहीं रहा है और सीने में दर्द है तो रिम्स जाने से पहले एक बार जरूर सोच लें। रिम्स दूसरे के सहारे मरीजों का इलाज कर रहा है। काíडयोलाजी विभाग की इको मशीन पिछले 3 महीने से खराब पड़ी है। यही वजह है कि रिम्स जाने के बाद मरीजों को सहूलियत के बदले उनकी मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। रिम्स प्रबंधन की यह बड़ी लापरवाही है कि 3 महीने में काíडयोलाजी विभाग की इको मशीन ठीक नहीं करा सका है। इलाज कराने पहुंचने वाले 50 मरीजों को रोजाना वापस लौटना पड़ रहा है। इको कराने के लिए पहले से ही 2 महीने का वेटिंग चल रहा था। लेकिन बीते 3 महीनों तक इको को ठीक नहीं करने से यह समस्या और बढ़ गई है। इको मशीन के बिना काíडयोलाजी विभाग अधूरा है। इस मशीन के माध्यम से मरीज के दिल की धड़कनों को परखा जाता है।

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यहां आने वाले मरीजों को निजी संस्थानों का सहारा लेना पड़ता है।या फिर हेल्थ मैप से ही अधिक राशि देकर मरीजों को जाच कराना पड़ता है। रिम्स में सिर्फ 180 रुपये जाच के लिए मरीजों को देना पड़ता है। जबकि बाहर में इसके लिए 800 रुपये तक खर्च करने होते हैं। आíथक रूप से कमजोर मरीज वहा जाकर भी अपना इलाज नहीं करा पाते हैं। उन्हें रिम्स पर ही आश्रित रहना पड़ता है। ऐसे में मरीजों की मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। रिम्स में पूरे प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों से भी मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं । काíडयोलॉजी विभाग द्वारा कई बार इको मशीन ठीक करने को लेकर रिम्स प्रबंधन को लिखा गया है। इसके बावजूद मामले में रिम्स प्रबंधन ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई।

पिछले कई वर्षो से दूसरी इको मशीन खरीदारी को लेकर टेंडर होते रहे हैं लेकिन अभी तक विभाग को दूसरी इको मशीन नहीं मिल सकी है।


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