रिम्स एनआइसीयू को कराया संक्रमण मुक्त, जांच कमेटी गठित
रांची, जागरण संवाददाता। रिम्स के एनआइसीयू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में 30 घंटे तक नवजात का शव पड़े-पड़े सड़ जाने के खुलासे के बाद रिम्स में हड़कंप मचा हुआ है। स्वास्थ्य सचिव ने रिम्स प्रबंधन से जवाब-तलब किया है। तो प्रबंधन ने जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है।
रांची, जागरण संवाददाता। रिम्स के एनआइसीयू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में 30 घंटे तक नवजात का शव पड़े-पड़े सड़ जाने के खुलासे के बाद रिम्स में हड़कंप मचा हुआ है। स्वास्थ्य सचिव ने रिम्स प्रबंधन से जवाब-तलब किया है। तो प्रबंधन ने जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है। इसके साथ ही एनआइसीयू को संक्रमण मुक्त करने के लिए उचित तरीके से रसायन से सफाई की गई। आश्चर्य की बात यह है कि इस जानलेवा लापरवाही के सामने आने के 30 घंटे बाद तक रिम्स प्रबंधन इस घटना के लिए प्रथमदृष्टया तक किसी जिम्मेदार को तलाश कर नोटिस तक जारी नहीं कर सका।
दैनिक जागरण में खबर छपने के बाद किसी पर कार्रवाई के बदले मामले की लीपापोती की कोशिश शुरू हो गई है। रिम्स डायरेक्टर डॉ. आरके श्रीवास्तव और सुपरिटेंडेंट डॉ. विवेक कश्यप ने कहा कि आखिर ऐसी अव्यवस्था कैसे हो सकती है? डायरेक्टर ने घटना की जांच के लिए कमेटी गठित की है। इसमें रिम्स सुपरिटेंडेंट, डिप्टी डायेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन गिरिजा प्रसाद और डिप्टी सुपरिटेंडेंट डॉ. संजय कुमार शामिल हैं। रिम्स डायरेक्टर ने कहा कि यूनिट की व्यवस्था के बारे में उचित तरीके से विभाग के हेड ही बता सकते हैं, लेकिन वह अवकाश पर चल रहे हैं।
आधे घंटे में हटाना है शव : रिम्स डायरेक्टर डॉ. आरके श्रीवास्तव ने बताया कि कुछ दिन पहले ही एक नियम बनाया गया है। इसके तहतअगर इलाज के दौरान किसी की मौत होती है तो विभाग की नर्स इंचार्ज को सुपरवाइजर को तत्काल सूचना देनी होगी। इसके आधे घंटे के अंदर शव को मोर्चरी में रखवा दिया जाएगा।
व्यवस्था पर सवाल : 30 घंटे तक कैसे पड़ा रहा शव : ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब यहां मरीज की मौत के आधे घंटे के अंदर शव हटाने का प्रावधान है तो यूनिट में तैनात नर्स इंचार्ज और अन्य नर्स ने संबंधित सुपरवाइजर को क्यों नहीं सूचना दी? यदि दी तो सुपरवाइजर ने क्यों नहीं हटाया?
छह घंटे तक मरीज को नहीं देखता कोई : एनआइसीयू की व्यवस्था क्या सचमुच इतनी लचर है कि छह-छह घंटे तक कोई स्वास्थ्य कर्मी किसी मरीज को देखता तक नहीं है? क्या नर्स इंचार्ज अपने स्तर से नवजातों की जांच हर विशेष समयांतराल पर नहीं करती हैं?
परिजन की अनुपस्थिति का क्यों नहीं लिया संज्ञान : गंभीर स्थिति में भर्ती नवजात के परिजनों के लगातार अनुपस्थित रहने के बाद भी इस मामले में प्रबंधन ने तत्काल संज्ञान क्यों नहीं लिया?
24 घंटे तक रिम्स परिसर में घूमता रहा पत्र : नवजात की मौत के बाद शव हटाने के लिए 17 सितंबर को लिखा पत्र 18 तक रिम्स परिसर में ही आखिरकार कहां घूमता रहा?
सब अनजान तो किसके हवाले है व्यवस्था : एनआइसीयू में तैनात कर्मचारियों के साथ ही रिम्स अधीक्षक का यूनिट में 30 घंटे से शव पड़े होने से अनजान रहना संकेत है कि वहां कोई व्यवस्था ही नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वहां की व्यवस्था कौन चलाता है?
बदबू की शिकायत न होती तो पड़ा रहता शव : वहां भर्ती अन्य नवजातों के परिजनों ने यदि शव से बदबू आने के बाद इसकी शिकायत अधीक्षक से न की होती तो पता नहीं और कितने दिन शव पड़ा रहता?
क्या वाकई संक्रमण का खतरा टल गया : 30 घंटे तक शव के पड़े रहने एवं उससे बदबू उठने के बाद यह यक्ष प्रश्न है कि क्या सिर्फ रसायनों की सफाई से एनआइसीयू जैसे संवेदनशील क्षेत्र में संक्रमण का खतरा क्या वाकई टल चुका है? इस दौरान जो शिशु संक्रमण के प्रभाव में आए होंगे क्या वे भी उससे मुक्त कर लिये गए? अक्षम्य लापरवाही : मंत्री
इस तरह की लापरवाही अक्षम्य है। ऐसी लापरवाही से रिम्स के साथ-साथ पूरे झारखंड की बदनामी होती है। रिम्स निदेशक ने इसमें कार्रवाई की है। निदेशक से रिपोर्ट मंगाकर दोषी कर्मियों के विरुद्ध निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।
रामचंद्र चंद्रवंशी, मंत्री, स्वास्थ्य विभाग। ऐसी लापरवाही चिंताजनक : स्वास्थ्य सचिव
स्वास्थ्य सचिव निधि खरे ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने रिम्स प्रशासन से इस मामले में रिपोर्ट तलब की है। स्वास्थ्य सचिव ने दैनिक जागरण में बुधवार को छपी खबर का उल्लेख करते हुए रिम्स के प्रभारी निदेशक डॉ. आरके श्रीवास्तव को पत्र लिखकर पूछा है कि किसकी लापरवाही से इस तरह की स्थिति उत्पन्न हुई? उन्होंने मामले की जांच कर दोषी पदाधिकारियों एवं कर्मियों की पहचान करते हुए पूरी रिपोर्ट देने को कहा है। साथ ही दोषी लोगों के विरुद्ध कार्रवाई का निर्देश दिया है।