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रिटायर आइएएस डाॅ प्रदीप कुमार पर वित्तीय अनियमितता का आरोप

क्षेत्रीय कर्मियों की ट्रेनिंग की राशि निकासी का मामलाजांच शुरू काíमक ने संताल परगना आयुक्त

By Edited By: Published: Wed, 14 Aug 2019 07:09 AM (IST)Updated: Wed, 14 Aug 2019 12:54 PM (IST)
रिटायर आइएएस डाॅ प्रदीप कुमार पर वित्तीय अनियमितता का आरोप
रिटायर आइएएस डाॅ प्रदीप कुमार पर वित्तीय अनियमितता का आरोप

रांची, जेएनएन। अवकाशप्राप्त आइएएस अफसर डा. प्रदीप कुमार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। संताल परगना के पूर्व आयुक्त रहे डॉ. कुमार एवं उनके तत्कालीन सचिव रहे कार्तिक कुमार प्रभात पर 5.72 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता का आरोप है। यह राशि क्षेत्रीय कर्मियों की ट्रेनिंग के लिए दी गई थी। इसकी निकासी चेक से की गई, राशि निकासी का रोकड़ पंजी में संधारण तो किया गया लेकिन उसका वाउचर कार्यालय में जमा नहीं किया गया।

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इसी आरोप में कार्मिक विभाग के सचिव ने संताल परगना के आयुक्त को दोनों के खिलाफ प्रपत्र क गठित करने के लिए पत्र लिखा है। इसमें स्पष्ट उल्लेख है कि रोकड़ पंजी व लेखा के हिसाब-किताब का मिलान न होना वित्तीय अनियमितता का मामला है। पूरे मामले की जांच कर साक्ष्य के साथ कार्रवाई करने की अनुशंसा करने को कहा गया है। इसके बाद आयुक्त कार्यालय में लेखा की जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

प्रारंभिक जांच में पाया गया कि आखिर किन परिस्थितियों में रोकड़ पंजी अपडेट नहीं किया गया। क्या कहता है नियम नियम कहता है कि किसी भी सरकारी पदाधिकारी के अवकाश ग्रहण के चार साल बाद तक उन पर विभागीय कार्रवाई हो सकती है। इसी आधार पर सरकार ने साक्ष्य के साथ आरोप गठन करने का निर्देश दिया है। इसके बाद कार्मिक विभाग कार्रवाई तय करेगा।

क्या है मामला : डॉ. कुमार जुलाई 2018 में संताल परगना के आयुक्त पद पर पदस्थापित थे। उसके बाद उन्होंने अवकाश ग्रहण किया। यह मामला उनके कार्यकाल का है। रोकड़ पंजी का हिसाब 2018 से आज तक नहीं मिल पाया है। यह बात मार्च 2019 के बाद सामने आई जब तात्कालीन सचिव प्रभात स्थानांतरित होकर सहकारी विभाग रांची चले गए।

उनसे प्रभार लेने के बाद तब तत्कालीन आयुक्त के सचिव ने पाया कि जिस राशि की निकासी की गई उसका वाउचर जमा नहीं किया गया तब उन्होंने अपने उच्चाधिकारी को जानकारी दी। बाद में इसकी जानकारी काíमक को दी गई। कार्मिक ने जांच के लिए आयुक्त को पत्र लिखा। जांच में पाया गया कि 5.72 लाख की राशि की निकासी तत्कालीन आयुक्त डॉ. कुमार के हस्ताक्षर से ही हुई है।

कार्मिक विभाग से दोनों पदाधिकारियों के खिलाफ प्रपत्र क गठित कर अनुशंसा करने का पत्र मिला है। उसी आधार पर लेखा की जांच कराई जा रही है। सरकारी राशि की निकासी हुई मगर उसका वाउचर कार्यालय में जमा नहीं है। इसकी जांच की प्रक्रिया चल रही है। इसके बाद रिपोर्ट भेजी जाएगी। विमल आयुक्त, संताल परगना।

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