Move to Jagran APP

RBI Report: झारखंड की आर्थिक स्थिति बेहद खराब... 96,406 करोड़ रुपये कर्ज... भारतीय रिजर्व बैंक ने जताई चिंता

Jharkhand Economic Condition झारखंड उन दस बुरे राज्यों की सूची में शामिल है जहां की आर्थिक स्थिति बदत्तर है। इस राज्य पर करीब 97 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। आरबीआइ ने इसे चिंताजनक स्थिति बताया है। पड़ोसी राज्य बिहार की हालत तो और ज्यादा खराब है।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Tue, 05 Jul 2022 10:45 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jul 2022 10:47 PM (IST)
RBI Report: झारखंड की आर्थिक स्थिति बेहद खराब... 96,406 करोड़ रुपये कर्ज... भारतीय रिजर्व बैंक ने जताई चिंता
RBI Report: झारखंड की आर्थिक स्थिति बेहद खराब... 96,406 करोड़ रुपये कर्ज... भारतीय रिजर्व बैंक ने जताई चिंता

रांची, राज्य ब्यूरो। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से राज्यों की वित्तीय स्थिति को लेकर जारी एक रिपोर्ट में झारखंड देश के बड़े कर्जदार राज्यों में शामिल है। रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, केरल, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, झारखंड आदि राज्यों में खर्च को विभिन्न स्त्रोतों से कर्ज लेकर बढ़ाया जाता रहा। इससे इन प्रदेशों की आर्थिक हालात लगातार खराब हो रही है। चिन्हित किए गए राज्यों को विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त आमदनी का एक बड़ा हिस्सा कर्ज के एवज में ब्याज चुकाने में खर्च हो रहा है। इसके अलावा कर्मियों के पेंशन का भी भार है।

loksabha election banner

66136 करोड़ नकद कर्ज ले रखा झारखंड

झारखंड का कर्ज 96,406 करोड़ रुपये है। इसमें 66136 करोड़ रुपये बैंकों से नकद कर्ज लिए गए हैं, जबकि 28 हजार करोड़ से अधिक कर्ज पीए खातों में लिए गए हैं। यह आंकड़ा महालेखाकार की ओर से जारी 2020 की रिपोर्ट में दर्ज है। रिपोर्ट के अनुसार झारखंड समेत पंजाब, राजस्थान, केरल, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। ऐसे प्रमुख दस राज्यों में कर्ज का हिस्सा कुल खर्च के हिसाब से चिंताजनक (अलार्मिंग) स्थिति में है।

मध्य प्रदेश की स्थिति और भी खराब

केरल, झारखंड और पश्चिम बंगाल ने कर्ज लेने के लक्ष्य को पार कर लिया है, जबकि मध्य प्रदेश की स्थिति और भी खराब है। मध्य प्रदेश, पंजाब एवं केरल में अपने कर संग्रह का आंकड़ा दिनोंदिन कम होता जा रहा है। इन राज्यों में लोगों को मुफ्त वितरण की योजनाओं के मद में भी खर्च लगातार बढ़ रहा है, जबकि इसके मुकाबले राजस्व का स्त्रोत विकसित नहीं हो पा रहा है। खर्च के मुकाबले केवल एक तिहाई आमदनी का स्त्रोत ही राज्य के पास है। रिपोर्ट में पड़ोसी बिहार की आर्थिक हालत और ज्यादा खराब बताई गई है।

केंद्र नहीं लौटा रहा एक लाख 36 हजार करोड़

मालूम हो कि झारखंड सरकार ने हाल ही में पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की है। संभव है कि आगामी 15 अगस्त को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसे लागू भी कर दें। पिछले दिनों एक भव्य समारोह में उन्होंने इस मांग को पूरा करने की बात कही थी। इसी तरह झारखंड सरकार इस समय झारखंड के जरूरतमंद लोगों को पेट्रोल पर भी नकद अनुदान राशि दे रही है। इसके अलावा भी राज्य सरकार की ओर से कई लोक कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। ऐसे में झारखंड सरकार की आमदनी को लेकर अक्सर चर्चाएं होती रहती हैं। हेमंत सरकार पिछले कई वर्षों से केंद्र सरकार से झारखंड का बकाया एक लाख 36 हजार करोड़ रुपये मांग रही है। सोमवार को ही एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि केंद्र सरकार यदि यह रुपये लौटा दे तो झारखंड के लोगों की परेशानी दूर हो जाएगी। मुख्यमंत्री की मानें तो आजादी के बाद से ही केंद्र सरकार पर यह राशि बकाया है। केंद्र सरकार इसे नहीं लौटा रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.