उसके नक्सली पिता की हो गई मौत, तो अब इस बेटी ने मांगी सरकारी नौकरी; जानें पूरा मामला
झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली की मृत्यु होने की स्थिति में एक आश्रित को लाभ का प्रावधान किया गया है।
रांची, राज्य ब्यूरो। आत्मसमर्पण करने वाले पलामू के विश्रामपुर थाना क्षेत्र के घासीदाग के एक नक्सली संजय सिंह उर्फ विश्वनाथ सिंह की मौत के बाद अब उसकी आश्रित बेटी सरिता ने अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी मांगी है। उसने सरकार को पत्र लिखकर अपनी इच्छा जाहिर की है। पत्र मिलने के बाद झारखंड सरकार के गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने विशेष शाखा के एडीजी से पत्राचार कर पूरे मामले में रिपोर्ट मांगी है।
गृह विभाग ने बताया है कि नक्सली की आश्रित पुत्री कुमारी सरिता को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए जिला अनुकंपा समिति की अनुशंसा प्राप्त है। विभाग ने विशेष शाखा से पूछा है कि अनुग्रह अनुदान की राशि किसे दी जानी है, अनुकंपा के आधार पर किस पद पर नियुक्ति की जानी है, इसका जिक्र जिला अनुकंपा समिति के पत्र में नहीं है। विशेष शाखा से आश्रित पुत्री की वैवाहिक स्थिति, परिवार के अन्य सदस्यों का अनापत्ति शपथ पत्र, आश्रित का आपराधिक इतिहास व डीजीपी की अनुशंसा की भी मांग की गई है। सभी संबंधित कागजात शीघ्र देने को कहा गया है ताकि उसपर विचार किया जा सके।
अब तक कई नक्सलियों को मिल चुकी है नौकरी
आत्मसमर्पण करने वाले कई नक्सलियों को सरकारी नौकरी मिल चुकी है। कुछ सिपाही में भर्ती हुए हैं। सरकार की आत्मसमर्पण नीति के अनुसार जो सुविधा आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को प्राप्त है, वही सुविधा उक्त नक्सली की मृत्यु की स्थिति में आश्रित को भी है। अमूमन अनुकंपा पर गृह रक्षा वाहिनी का सिपाही या फिर एसपीओ बनाने से लेकर तकनीकी प्रशिक्षण आदि करवाने का प्रावधान है। अगर आश्रित की शैक्षणिक व अन्य योग्यता बेहतर है तो उसे सिपाही तक की नौकरी भी दी जाती है।