भाजपा से निष्कासित नेताओं पर पुनर्विचार संभव, हो सकती है वापसी Ranchi News
Jharkhand. बगैर स्पष्टीकरण के कार्रवाई का मामला। अब प्रदेश नेतृत्व को फैसला लेना है। इन नेताओं का दावा है कि उनके खिलाफ संगठन विरोधी कार्य करने का कोई प्रमाण नहीं है।
रांची, राज्य ब्यूरो। विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा से बाहर निकाले गए कुछ नेताओं की फिर से दल में वापसी हो सकती है। इस निर्णय पर पुनर्विचार किया जा रहा है और फैसला प्रदेश नेतृत्व को करना है। जानकारी के मुताबिक जल्द ही वैसे नेताओं से स्पष्टीकरण तलब करने की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी, जिन्होंने यह तर्क देते हुए निष्कासन का विरोध किया है कि दल से बाहर निकालने के पहले उनका पक्ष पूछा जाना चाहिए था।
इन नेताओं का दावा है कि उनके खिलाफ प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से संगठन विरोधी कार्य करने का कोई प्रमाण नहीं है। ऐसे में कार्रवाई का कोई आधार ही नहीं बनता है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा को पूर्व प्रदेश प्रवक्ता अमरप्रीत सिंह काले ने इस बाबत पत्र लिखते हुए अपनी पीड़ा व्यक्त की थी। प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने इस मामले में संगठन के वरीय नेताओं से मशविरा कर निर्णय लेने का भरोसा दिलाया है। इस संबंध में तमाम आरोपों और सबूतों की छानबीन के बाद प्रदेश नेतृत्व किसी फैसले पर पहुंचेगा।
एक व्यक्ति के इशारे पर कार्रवाई का दावा
भाजपा से निकाले गए पूर्व प्रदेश प्रवक्ता अमरप्रीत सिंह काले का दावा है कि बगैर किसी प्रमाण के दल से निकालने की कार्रवाई की गई, जबकि उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया जो अनुशासनहीनता के दायरे में आता हो। किसी का नाम लिए बगैर उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को लिखे पत्र में जिक्र किया है कि एक व्यक्ति के इशारे पर उन्हें हटाने की कार्रवाई की गई। इससे उन्हें मानसिक आघात पहुंचा है।
पत्र में उन्होंने यह भी कहा है कि उन्हें अपमानित और प्रताडि़त करने का कोई मौका नहीं छोड़ा गया। तमाम वाकये से उन्होंने वरीय नेताओं को भी अवगत कराया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके विपरीत संगठन से बाहर निकालने का निर्णय सरासर अन्याय है। कार्रवाई के पहले उनका पक्ष तक नहीं लिया गया।
काले ने दावा किया है कि वे हर परिस्थिति में भाजपा के साथ खड़े हैं। अनुशासनहीनता के बारे में वे सोच भी नहीं सकते। बीते पांच साल में उनके साथ अस्पृश्य सरीखा व्यवहार किया गया। एक ओर से उन्हें प्रवक्ता पद से हटाया गया तो दूसरी तरफ प्रदेश कार्यसमिति से भी बाहर कर दिया गया। उन्हें संगठन के कार्यक्रमों के बारे में सूचना देना भी बंद कर दिया गया था।
इन नेताओं का हुआ था निष्कासन
अमरप्रीत सिंह काले, सुबोध श्रीवास्तव, असीम पाठक, रजनीकांत सिन्हा, सतीश सिंह, डीडी त्रिपाठी, रामनारायण शर्मा, रतन महतो, हरेराम सिंह, मुकुल मिश्र व अन्य।