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सीएए के परिणाम एवं परिवार व्यवस्था पर मंथन करेगी राष्ट्र सेविका समिति

पहली बार रांची में हो रही है केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक बैठक के विषयों पर केंद्रीय टोली ने

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 01:28 AM (IST)Updated: Sat, 15 Feb 2020 01:28 AM (IST)
सीएए के परिणाम एवं परिवार व्यवस्था पर मंथन करेगी राष्ट्र सेविका समिति
सीएए के परिणाम एवं परिवार व्यवस्था पर मंथन करेगी राष्ट्र सेविका समिति

पहली बार रांची में हो रही है केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक, बैठक के विषयों पर केंद्रीय टोली ने किया विचार

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संजय कुमार, रांची : राष्ट्र सेविका समिति की तीन दिवसीय केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक शनिवार से रांची में प्रारंभ होगी। झारखंड में पहली बार हो रही केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का परिणाम, संयुक्त परिवार व्यवस्था, महिला सुरक्षा आदि विषयों पर चर्चा होगी। शुक्रवार को केंद्रीय टोली ने आयोजन की तैयारियों को लेकर विस्तार से मंत्रणा की। प्रमुख संचालिका शांता अक्का, प्रमुख कार्यवाहिका अन्नदानम सीता गायत्री, सह कार्यवाहिका सुनीता हल्देकर, रेखा राजे, संस्कार व योग प्रमुख माधुरी मराठे आदि ने बैठक में शिरकत की।

सरला बिरला स्कूल में प्रस्तावित इस तीन दिवसीय बैठक का उद्घाटन शनिवार को सुबह 9.30 बजे, जबकि समापन सोमवार को होगा। बैठक में लगभग 150 प्रतिनिधि भाग लेंगी। इस तीन दिवसीय आयोजन के दौरान अलग-अलग सत्रों में देश की वर्तमान स्थिति पर चर्चा होगी। साथ ही पिछले वर्ष के कामों एवं आगे की योजना पर विचार विमर्श किया जाएगा। इस तरह की बैठक वर्ष में दो बार फरवरी एवं जुलाई में होती है, जबकि वार्षिक बैठक मार्च महीने में नागपुर में होती है।

राष्ट्र सेविका समिति का परिचय

भारत में स्त्रियों की संस्था है राष्ट्र सेविका समिति, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ही दर्शन के अनुरूप कार्य करती है। किंतु यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की महिला शाखा नहीं है। इसकी स्थापना 1936 में विजयादशमी के दिन वर्धा में हुई थी। लक्ष्मीबाई केलकर (मौसीजी) इसकी प्रथम प्रमुख संचालिका थीं। वर्तमान में शाता कुमारी (उपाख्य शांता अक्का) प्रमुख संचालिका हैं। इसका ध्येयसूत्र है - स्त्री राष्ट्र की आधारशीला है। अभी पूरे देश के 2380 स्थानों पर 2784 शाखाएं लगती हैं। भारत के साथ-साथ 22 देशों में समिति की शाखाएं हैं। समिति की ओर से 52 सेवा प्रकल्प चलाए जा रहे हैं। गरीबी, आतंकवाद एवं नक्सल प्रभावित बच्चियों के लिए 22 छात्रावास संचालित हैं।


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