Move to Jagran APP

रांची विवि के तीन शिक्षक बर्खास्त

रांची जासं रांची विश्वविद्यालय के मांडर कॉलेज के तीन शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Feb 2019 05:15 AM (IST)Updated: Sun, 24 Feb 2019 05:15 AM (IST)
रांची विवि के तीन शिक्षक बर्खास्त
रांची विवि के तीन शिक्षक बर्खास्त

रांची, जासं : रांची विश्वविद्यालय के मांडर कॉलेज के तीन शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया। शनिवार को विवि मुख्यालय में कुलपति डॉ. रमेश कुमार पाडेय की अध्यक्षता में सिंडिकेट की आपात (इमरजेंट) बैठक में बर्खास्तगी प्रस्ताव पर मुहर लगी।

loksabha election banner

इन शिक्षकों ने नियुक्ति के समय निर्धारित अर्हता नहीं रखी थी और तथ्यों को छिपाकर नियुक्त हो गए थे। जांच कमेटियों की रिपोर्ट और महाधिवक्ता की सलाह के बाद तीनों शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है।

इन शिक्षकों की नियुक्ति 33 वर्ष पहले हुई थी। इन तीनों में से एक मैट्रिक फेल और नियुक्ति के समय जेल में थे फिर भी शिक्षक बन गए थे तो दूसरे ने अंकों में हेराफेरी की थी। तीसरे शिक्षक नियम विरुद्ध इंप्रूवमेंट परीक्षा में शामिल हुए।

बैठक में प्रोवीसी डॉ. कामिनी कुमार, रजिस्ट्रार डॉ. अमर कुमार चौधरी, प्रोक्टर डॉ. दिवाकर मिंज, अर्जुन राम, डॉ. श्रवण कुमार, एडवर्ड सोरेन सहित अन्य थे।

लीगल ओपिनियन के बाद कार्रवाई

तीनों शिक्षकों पर लगे आरोप की जांच के लिए विवि ने जांच कमेटी गठित की थी। इसके बाद महाधिवक्ता से भी लीगल ओपिनियन लिया था। शिक्षकों को शोकॉज जारी कर अपना पक्ष रखने को भी कहा था।

जवाब मिलने के बाद इसे सिंडिकेट में रखा गया और चर्चा के तीनों शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया।

अंकपत्र में 413 को 449 कर दिया

एंथ्रोपोलॉजी के शिक्षक मधुप किशोर पर आरोप है कि उन्होंने पीजी के अंकपत्र में 413 अंक को बढ़ाकर 449 कर लिया था। जांच कमेटी ने विवि के टेबलेटिंग रजिस्टर को देखा तो पाया कि अंकपत्र में हेराफेरी की गई है। इधर शिक्षक ने जवाब में कहा था कि विवि द्वारा जारी अंकपत्र में 449 अंक मिले थे।

इसी के आधार पर नियुक्ति हुई थी। अर्थशास्त्र के शिक्षक सच्चिदानंद प्रसाद की नियुक्ति के समय 49 प्रतिशत अंक था। दो वर्ष बाद उन्होंने इंप्रूवमेंट परीक्षा देकर 52.5 अंक प्राप्त कर लिया था। नियमानुसार करेंट बैच में ही इंप्रूवमेंट दिया जा सकता था। बर्खास्त शिक्षक ने इस पर जवाब दिया था कि इंप्रूवमेंट परीक्षा की अनुमति तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक डॉ. केएन गोप से ली गई थी। इसलिए अंक को सही माना जाए।

जन्मतिथि में की हेराफेरी

अर्थशास्त्र के शिक्षक हरिशकर प्रसाद की नियुक्त 19 जुलाई 1985 को हुई थी। जांच कमेटी ने पाया कि नियुक्ति के समय वे जेल में थे। ये शिक्षक मारवाड़ी हाईस्कूल से मैट्रिक में फेल थे। इतना ही नहीं उन्होंने जन्म प्रमाणपत्र में भी हेराफेरी की थी।

उन्होंने नियुक्ति के समय जन्मतिथि 1958 दिखाई थी जबकि जांच कमेटी ने पाया कि उनका जन्म 1955 का है। हरिशंकर ने जन्मतिथि के लिए माफी मांगी थी। साथ ही कहा कि नियुक्ति के समय जेल में नहीं थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.