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झारखंड की कला करती है लोगो को आकर्षित

यहां की कला लोगो को आकृष्ट करती है।

By Edited By: Published: Tue, 12 Dec 2017 08:48 PM (IST)Updated: Tue, 12 Dec 2017 08:48 PM (IST)
झारखंड की कला करती है लोगो को आकर्षित
झारखंड की कला करती है लोगो को आकर्षित

रांची : युवा, खेलकूद, कला संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री अमर बाउरी ने कहा कि झारखंड मे महापाषाण काल का उद्भव एवं विकास के सभी अवशेष मौजूद हैं। हमे इसे ठीक तरह से जानने, समझने व संरक्षित करने की जरूरत है। यहां की संस्कृति को संग्रहित कर भावी पीढ़ी को गौरवशाली सभ्यता-संस्कृति देना चाहिए। कहा, झारखंड की पूरी धरा अपने आप मे पूर्ण है। यहां की कला लोगो को आकृष्ट करती है। वे मंगलवार को केसीबी कॉलेज बेड़ो व पीजी जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग द्वारा सेट्रल लाइब्रेरी मे आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के समापन के मौके पर बोल रहे थे। कार्यक्रम का संचालन प्रो. कमल बोस व धन्यवाद ज्ञापन प्रो. एनके शाही ने किया। मौके पर डॉ. हरि उरांव, डॉ. उमेशनंद तिवारी, डॉ. गिरिधारी राम गौझू, वीरेद्र कुमार महतो, मो. इलियास, डॉ. सोहन मुंडा, अशोक बड़ाईक, सुबास साहू, डॉ. गीता ओझा, डॉ. जंगबहादुर पांडेय सहित अन्य थे।

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रांची विवि संस्कृति को करेगा संरक्षित

रांची विवि के कुलपति प्रो. रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि इस सेमिनार से जो बाते निकल कर आई वह काफी महत्वपूर्ण है। विवि मे शीघ्र ही स्वतंत्र रुप से पुरातत्व विभाग खोला जाएगा। रांची विवि कला-संस्कृति को संरक्षित करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। विनोबा भावे विवि के पूर्व कुलपति डॉ. रवीद्र भगत ने कहा कि महापाषाणकालीन सभ्यता के लक्षण झारखंड के गांव-गांव मे देखने के लिए मिलते है। रांची विवि के प्रोक्टर डॉ. दिवाकर मिंज ने कहा कि महापाषाणकालीन सभ्यता के भौतिक-अभौतिक सभी प्रकार के तथ्यो का गहन अनसंधान, विवेचना व विशलेषण करना चाहिए।

540 शोध पत्र किए गए प्रस्तुत

सेमिनार के आयोजक सचिव डॉ. मथुरा राम उस्ताद ने बताया कि तीन दिवसीय सेमिनार मे देश-विदेश से आए प्रतिभागियो ने 16 सत्रो मे 540 शोध पत्र प्रस्तुत किए। टीआरएल के विभागाध्यक्ष डॉ. त्रिवेणीनाथ साहू ने कहा कि सेमिनार मे जनजातीय सभ्यता व संस्कृति के बारे मे शोध प्रस्तुत किया गया। यहां के रीति-रिवाज एवं पारंपरिक धरोहरो के बारे मे अर्थपूर्ण जानकारी दी गई। बांग्लादेश से आए डॉ. जयंत सिंह राय ने कहा कि छोटानागपुर का पठार महापाषाणकाल की जन्मभूमि है। कला संस्कृति विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. हरेद्र प्रसाद सिन्हा ने कहा कि भारत के पड़ोसी देशो मे महापाषाणकालीन सभ्यता की समानता पर समेकित रूप से कार्य होनी चाहिए।


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