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ठप हो सकती हैं स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं: रांची सदर अस्‍पताल में आंदोलन की तैयारी में संविदा कर्मचारी, जानें पूरा मामला

रांची के सदर अस्पताल में संविदा कर्मियों को मानदेय का भुगतान नहीं हो पा रहा है। स्‍वास्‍थ्‍य कर्मचारी फिर से आंदोलन की राह पर हैं। कर्मचारी जल्‍द ही विरोध प्रदर्शन पर उतर सकते हैं। ऐसे में अस्‍पताल की स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं प्रभा‍वित हो सकती हैं।

By Brajesh MishraEdited By: Published: Thu, 05 Aug 2021 12:05 PM (IST)Updated: Thu, 05 Aug 2021 02:33 PM (IST)
ठप हो सकती हैं स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं: रांची सदर अस्‍पताल में आंदोलन की तैयारी में संविदा कर्मचारी, जानें पूरा मामला
रांची सदर अस्‍प्ताल में संविदा स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों को नहीं मिल रहा वेतन। जागरण

 रांची, जासं। रांची के सदर अस्पताल में संविदा कर्मियों को मानदेय का भुगतान नहीं हो पा रहा है। स्‍वास्‍थ्‍य कर्मचारी फिर से आंदोलन की राह पर हैं। कर्मचारी जल्‍द ही विरोध प्रदर्शन पर उतर सकते हैं। ऐसे में अस्‍पताल की स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं प्रभा‍वित हो सकती हैं। कर्मियों का कहना है कि उन्हें कोरोना योद्धा का सम्मान नहीं चाहिए। उन्हें सिर्फ उनका मेहनताना चाहिए। कोरोना के दौरान सदर अस्पताल में आउटसोर्सिंग पर बहाल करीब 150 कर्मियों को मानदेय नहीं मिल पा रहा हैं। इन्हें कोरोना के दौरान मैनपावर की कमी को पूरा करने के लिए बहाल किया गया था। इन कर्मियों को अस्थायी रुप से तीन महीने के लिए बहाल किया गया था।

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कार्य मूल्यांकन के आधार पर योगदान की तिथि से 12 हजार रुपए मासिक भुगतान करने की बात कही गयी थी। बताया गया क‍ि आश्‍वासन के बावजूद भुगतान नहीं हो पाया है। दूसरी लहर के दौरान कोरोना के बढ़ते मामले के बीच में मैन पावर की समस्या सामने आ रही थी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के द्वारा कोरोना सैंपल कलेक्शन सेंटर में डाटा एंट्री और सैंपल कलेक्शन के लिए लोगों को बहाल किया गया था। कर्मियों ने कहा कि कोरोना सैंपल कलेक्शन के लिए उन्हें पांच दिन का प्रशिक्षण देकर काम में लगा दिया गया था। नियम के अनुसार सैंपल कलेक्शन का काम ट्रेंड टेक्नीशियन के द्वारा किया जाना है। जान जोखिम में डालकर लोगों ने काम किया।

मानदेय नहीं मिलने पर पहले भी हुआ हंगामा

आउटसोर्स कर्मियों को वेतन नहीं मिलने पर पहले भी हंगामा हो चुका है। रिम्स सहित सदर अस्पताल में बहाल किए गए कर्मियों को हटाने व वेतन नहीं दिए जाने के बाद काम ठप हुआ था। पिछले माह ही अस्पताल में नारेबाजी होती रही। इसके बाद खुद स्वास्थ्य मंत्री का हस्तक्षेप कर मामले को शांत कराया गया। मंत्री ने आपससी सहमति के बाद सभी कर्मियों को दो माह का वेतन दिलाया और जिन कर्मियों को हटाने की बात थी उन्हें अन्य जिलों में समायोजित करने का आश्वासन दिया था। इसके बाद मामला शांत हुआ लेकिन अब फिर 150 कर्मियों के वेतन नहीं दिए जाने के बाद मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इधर प्रबंधन का कहना है कि यह मामला पूरी तरह से आउटसोर्स एजेंसी का है,उन्हें ही आगे आकर पहल करनी होगी।


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