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ग्रामीण महिलाओं ने बनाई कुपोषण खत्म करने की देशी खुराक

कीमत कम और बेहतर गुणवत्ता वाला पाउडर बिक रहा हाथों हाथ, स्वावलंबन की राह पर ग्रामीण महिलाएं नाबार्ड ने किया झारखंड की इन महिलाओं को पुरस्कृत

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 05 Feb 2018 08:49 AM (IST)Updated: Mon, 05 Feb 2018 10:49 AM (IST)
ग्रामीण महिलाओं ने बनाई कुपोषण खत्म करने की देशी खुराक
ग्रामीण महिलाओं ने बनाई कुपोषण खत्म करने की देशी खुराक

रांची (सुरभि)। देश में करीब नौ करोड़ महिलाएं कुपोषण की शिकार हैं। यही हाल गर्भवती महिलाओं का है। गर्भवती महिलाओं को जितने पौष्टिक पदार्थों की जरूरत होती है वह उन्हें नहीं मिल पाती। इससे जच्चा और बच्चा दोनों कुपोषण के शिकार होते हैं। उन्हें सही समय पर पोषक तत्व न मिल पाने से उनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहद कम रहती है।

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झारखंड की महिलाएं इस कुपोषण को मात देने में काबिलेतारीफ काम कर रही हैं। ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित पाउडर (पिसा हुआ पौष्टिक आहार) महिलाओं, वृद्धों, बच्चों और जच्चा-बच्चा को पोषण तो दे ही रहा है, साथ ही इसे बनाने वाली महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बना रहा है। इसकी बदौलत यहां की महिलाएं अब न केवल खुद समृद्धि की राह पर हैं, बल्कि दूसरी महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं।

अपने आसपास के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं व बच्चों को कुपोषित देखकर मार्च, 2017 में रांची जिले के सुदूरवर्ती आइंद गांव की निवासी सुभाषी आइंद के मन में सबसे पहले इस देसी पाउडर को बनाने का विचार आया।

इसके बाद सुभाषी ने आसपास की महिलाओं और बच्चों को को जोड़ा और चावल, गेहूं, मूंगफली, मकई, मसूर, अरहर, मूंग दाल, चना जैसे 12 अनाजों को मिलाकर देसी हॉर्लिक्स का निर्माण शुरू कर दिया। स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ-साथ इसकी कीमत कम होने के कारण इसकी मांग बढ़ गई। ऐसे भी ग्रामीण क्षेत्रों में कई अनाजों को मिलाकर खाने का प्रचलन पहले से है। इस कारण लोगों को यह पसंद आने लगा।

सुभाषी ने इस उत्पाद को पहले अपने आसपास के लोगों को ही दिया। इसके बाद उन्होंने इसका दायरा बढ़ाया। धीरे-धीरे इस उत्पाद की लोकप्रियता बढ़ी और बिक्री में तेजी आ गई। खास यह कि इसमें न सिर्फ सीधे खेतों से प्राप्त फसल का इस्तेमाल किया जाता है, बल्कि गुणवत्ता को भी इस श्रेणी के महंगे विदेशी उत्पादों से बेहतर रखा जाता है।

सुभाषी आइंद, ग्रामीण महिला

उत्पाद को ऑनलाइन लाने का प्रयास

ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित यह देसी हॉर्लिक्स कुछ ही महीनों में इस कदर लोकप्रिय हो गया कि महिलाएं अब इसे झारखंड के बाहर तथा ऑनलाइन बेचने की तैयारी कर रही हैं। दरअसल, यह उत्पाद सस्ता तो है ही ग्रामीण महिलाओं को मुनाफा भी दे रहा है। 10 माह के कारोबार के दौरान ही महिलाओं ने इससे कम से कम डेढ़ लाख रुपये की कमाई कर ली है। इस उत्पाद केस्वास्थ्यवर्धक होने के कारण नाबार्ड ने भी इन महिलाओं को पुरस्कृत किया है। मात्र 50 रुपये में आधा किलोग्राम का देसी हॉर्लिक्स का पैकेट उपलब्ध है।

क्यों है खास

यह पाउडर ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को दिया जाता है। इससे शरीर में हीमोग्लोबिन और आयरन के साथ-साथ अन्य पोषक तत्व भी प्राप्त होते हैं। साथ ही इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।

हमने मार्च, 2017 से इसे बेचना शुरू किया है। बाजार में इसकी मांग देख गांव की अन्य महिलाओं को भी साथ जोड़ा, हमें अब जबरदस्त मुनाफा हो रहा है।

- सुभाषी आइंद, ग्रामीण महिला  


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