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कैसे रिम्स प्रबंधन ने अपने ही आदेश को ताक में रख पांच एसोसिएट प्रोफेसर को बना दिया एचओडी, जानें

Jharkhand Health News रिम्स (RIMS) प्रबंधन ने अपने ही पूर्व के आदेश भारत सरकार (Indian Government) के गजट व एम्स (AIMS) के प्रावधानों को अनदेखी कर नया आदेश निकाला है। प्रबंधन (Management) ने रोटेशन के ही आधार पर 11 विभागों के नए एचओडी (HOD) बदल दिए।

By Sanjay KumarEdited By: Published: Tue, 11 Jan 2022 12:01 PM (IST)Updated: Tue, 11 Jan 2022 12:01 PM (IST)
कैसे रिम्स प्रबंधन ने अपने ही आदेश को ताक में रख पांच एसोसिएट प्रोफेसर को बना दिया एचओडी, जानें
रिम्स प्रबंधन ने अपने ही आदेश को ताक में रख पांच एसोसिएट प्रोफेसर को बना दिया एचओडी

रांची, (अनुज तिवारी)। Jharkhand Health News : रिम्स (RIMS) प्रबंधन ने अपने ही पूर्व के आदेश, भारत सरकार (Indian Government) के गजट व एम्स (AIMS) के प्रावधानों को अनदेखी कर नया आदेश निकाला है। प्रबंधन (Management) ने रोटेशन के ही आधार पर 11 विभागों के नए एचओडी (HOD) बदल दिए। इसमें पांच ऐसे विभाग हैं जिसमें एसोसिएट प्रोफेसर (Associate Professor) को ही एचओडी का पदभार दे दिया गया। इन विभागों में माइक्रोबायलॉजी (Microbiology), शिशु शल्य (Infant Surgery), रेडियोलॉजी (Radiology), कार्डियोलॉजी (Cardiology) और ऑर्थोपेडिक (Orthopedic) विभाग शामिल है।

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एचओडी बनाया गया है, उनमें से कोई भी प्रोफेसर नहीं

नियमानुसार प्रबंधन ने मार्च 2021 को अपने कार्यालय आदेश में स्पष्ट किया था, कि प्रत्येक विभाग में पूर्णकालिन प्रोफेसर के रैं का एक विभाग प्रमुख होगा। जिसका विभाग पर समग्र नियंत्रण होगा। इस बार जिन पांच विभागों के डाक्टरों को एचओडी बनाया गया है, उनमें से कोई भी प्रोफेसर नहीं हैं।

प्रबंधन की ओर से बड़ी चूक

मालूम हो कि पिछले आदेश में भी यूरोलॉजी और रेडियोथैरेपी विभाग के एसिस्टेंट प्रोफेसर को ही एचओडी का पदभार दिए जाने का आदेश शासी परिषद के अध्यक्ष की ओर से दिया गया था, लेकिन इसका विरोध होने के 24 घंटे के अंदर दोनों विभागों के एचओडी को नहीं बदला गया। लेकिन इस बार भी प्रबंधन की ओर से बड़ी चूक देखने को मिल रही है।

वर्तमान एचओडी ने की शिकायत, जाएंगे न्यायालय

इन पांच विभागों के एचओडी बदले जाने के बाद इनमें से कई पूर्व एचडीओ ने रिम्स प्रबंधन से शिकायत की है और कहा है कि आखिर किस नियम के तरह जूनियर को एचओडी बनाया गया। माइक्रोबायलॉजी विभाग के डा मनोज ने बताया कि उन्हें किसी से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन अगर नियम विरुद्ध काम होगा तो वे उसका विरोध करेंगे। उन्होंने इसकी शिकायत रिम्स निदेशक से की है, और पूछा है कि क्या यह आदेश सही है।

एसोसिएट प्रोफेसर को बनाया जा सकता है एचओडी

मालूम हो कि जो आदेश रिम्स ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग, एनएमसी और एमसीआई का हवाला देते हुए निकाले थे उसमें कहा गया था कि सिर्फ त्वचा, मनोचिकित्सा और दंत चिकित्सा विभाग में ही एसोसिएट प्रोफेसर को एचओडी बनाया जा सकता है।

रोटेशन कर दोनों को तीन-तीन साल कादिया जा सकता है  प्रभार

उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर वे न्यायालय भी जाने की तैयारी में है। पदभार के आदेश के लेकर आर्थो विभाग के एलबी मांझी ने बताया कि जो निर्णय प्रबंधन लिया है उसमे समझने लायक कुछ है ही नहीं। नियमानुसार अगर किसी विभाग में विभाग में अगर एक ही प्रोफेसर है तो किसी भी एसोसिएट या एसिस्टेंड प्रोफेसर को एचओडी का प्रभार नहीं दिया जा सकता है। अगर विभाग में दो प्रोफेसर है तो इस आधार में रोटेशन कर दोनों को तीन-तीन साल का प्रभार दिया जा सकता है।

जिन्हें बनाया गया है एचओडी

  • डा अशोक कुमार शर्मा,
  • डा अभिषेक रंजन,
  • डा पारस नाथ राम,
  • डा प्रकाश कुमार और
  • डा विजय कुमार शामिल है।

एसोसिएट प्रोफेसर को एचओडी बनाने का प्रचलन नहीं है

मार्च 2021 में सिर्फ एसोसिएट प्रोफेसर होने के कारण छह विभागों का एचओडी दूसरे विभागों के प्रोफेसरों को बनाया गया था। निदेशक ने आदेश जारी कर कहा था कि एम्स दिल्ली में भी सहायक प्राध्यापक को विभागाध्यक्ष बनाने का प्रचलन नहीं है।

इन विभागों में

  • कार्डियोथोरेसिक सर्जरी,
  • प्लास्टिक सर्जरी,
  • सर्जिकल अंकाेलॉजी,
  • मेडिकल अंकोलॉजी,
  • नेफ्रोलॉजी और
  • न्यूनटोलॉजी विभाग शामिल थे।

इस विभाग के प्रोफेसरों को बनाया गया था

  • एचओडी सर्जरी,
  • मेडिसिन,
  • शिशु रोग

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