रांची, जासं। RIMS Ranchi रिम्स में काम करने वाले लांड्री कर्मचारी अपने बकाये वेतन की मांग को लेकर गुरुवार की सुबह से ही हड़ताल पर चले गए। जिसके बाद रिम्स में सर्जरी नहीं हो पाई और ओटी खोला ही नहीं जा सका। ऊटी में नाही डॉक्टरों का गाउन पहुंच पाया और बेड का चादर पहुंच पाया। इसके बाद सबसे बुरा असर सर्जरी होती जा रहा जहां 30 मरीजों की सर्जरी आज नहीं हो सकी जबकि ऑर्थो और गायनी में 20 मरीजों की सर्जरी नहीं हो पाई। हालांकि गायनी विभाग की ओर से इमरजेंसी सर्जरी चालू रही और गर्भवतियों की जरूरी सर्जरी पूरी की गई।

इस बीच मरीजों ने कहा उनकी सर्जरी का समय काफी दिनों के बाद मिला लेकिन प्रबंधन की ऐसी व्यवस्था है कि समय मिलने के बाद भी सर्जरी नहीं हो पाई, जिसका असर मरीजों की सेहत पर पड़ रहा है। सर्जरी विभाग में कई  केस थे जिनकी सर्जरी बेहद जरूरी बताई जा रही है।

करीब दोपहर 12:00 बजे लॉन्ड्री कर्मचारियों की बातचीत रिम्स प्रबंधन से हुई जिसके बाद रिम्स प्रबंधन ने कहा कि उनकी जो भी समस्या है उसके लिए उनकी एजेंसी जिम्मेदार है अधीक्षक डॉ वीरेंद्र बिरवा ने बताया यह सारे कर्मी आउट सोर्स के माध्यम से यहां रखे गए हैं और एजेंसी को इसके लिए शोकाज किया जाएगा।

वार्ता के बाद बात बनी

दूसरी ओर एजेंसी इन कर्मियों से वार्ता कर इन्हें 10 दिन का समय दिया है और कहा है कि वे 10 दिन में इनके बकाये राशि का भुगतान कर देंगे, इस बीच वे अपना काम जारी रखें। जिसके बाद लॉन्ड्री कर्मचारियों ने सहमति जताई और बताया कि दूसरे पहर से मरीजों का ऑपरेशन जारी हो जाएगा।

मालूम हो कि इन कर्मियों को उनकी एजेंसी द्वारा कोई सुविधा नहीं मिलने के बाद ये कर्मी नाराज दिख रहे हैं। इन कर्मियों को नौ माह से भुगतान नहीं किया गया है। इसके बाद करीब 55 कर्मचारियों ने कई बार प्रबंधन से वेतन भुगतान की गुहार लगाई है। लेकिन प्रबंधन का स्पष्ट कहना है कि एजेंसी इसके लिए जिम्मेवार है। एजेंसी को अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन करना होगा। इधर कर्मचारियों ने कहा कि बिना पैसे के वे अब काम नहीं कर सकते। प्रबंधन को भी इसकी परवाह नहीं है।

लगातार मरीजों को मिल रहा है गंदा चादर

इधर लगातार मरीजों के बेड के चादर गंदे ही मिल रहे हैं। कई बार व्यवस्था सुधारने की बात कही गई लेकिन कोई असर नहीं दिखा। प्रबंधन ने बताया कि एजेंसी को फटकार भी लगायी गई। जबकि कुछ दिन पहले ही स्वास्थ्य मंत्री ने कार्डियोलाजी विभाग में औचक निरीक्षण कर गंदे चादर पर एक डाक्टर पर कार्रवाई तक कर दी थी। इसके बाद भी व्यवस्था में सुधार नहीं देखा जा रहा है। जबकि लांड्री संचालकों की ओर से कहना है कि उन्हें पर्याप्त मात्रा में डिटर्जेंट नहीं मिलता, जिस कारण से कपड़ों की सफाई प्रभावित होती है।

Edited By: Sanjay Kumar