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Ranchi News: बेटियों के प्रति बदल रही झारखंड की सोच, इस सूचि झारखंड को मिला दूसरा स्थान

Ranchi News देश में बढ़ती जनसंख्या ना सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक है। बल्कि जनसंख्या वृद्धि के कारण लोगों को रोजगार और मंहगाई जैसे बुनियादी सुविधाओं के लिए भी मशक्कत करनी पड़ रही है. जिस हिसाब से देश और दुनिया की आबादी बढ़ रही है.

By Madhukar KumarEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 12:57 PM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 12:57 PM (IST)
Ranchi News: बेटियों के प्रति बदल रही झारखंड की सोच, इस सूचि झारखंड को मिला दूसरा स्थान
Ranchi News: बेटियों के प्रति बदल रही झारखंड की सोच, इस सूचि झारखंड को मिला दूसरा स्थान

रांची, जासं: देश में बढ़ती जनसंख्या ना सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक है। बल्कि जनसंख्या वृद्धि के कारण लोगों को रोजगार, और मंहगाई जैसे बुनियादी सुविधाओं के लिए भी मशक्कत करनी पड़ रही है. जिस हिसाब से देश और दुनिया की आबादी बढ़ रही है. उसे देखते हुए ऐसा लग रहा है, आने वाले वक्त में भारत की आबादी दुनिया में सबसे ज्यादा होगी।

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जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सरकारें जागरुकता अभियान भी चला रही है. कई राज्यों में तो जनसंख्या नियंत्रण कानून भी बना दिया गया है। लेकिन जब तक जनता जागरूक नहीं होती है. जब तक जनता खुद इसके प्रति सजग नहीं होती है. तब तक इसपर लगाम लगा पाना मुश्किल है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लाल किले के प्राचीर से जनसंख्या विस्फोट को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं।

इसी बीच देश दूसरी सबसे बड़ी समस्या है, लिंग अनुपात, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की कम आबादी के कारण कई तरह की परेशानियां आ रही है। इसीलिए राज्य सरकारें भी इस बात पर जोर दे रही है, कि भ्रूण हत्या ना हो। इसे प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए और लोगों को जागरूक करने के लिए ही सरकार ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान चलाया था।

सरकार के इस प्रयास का असर भी अब दिखने लगा है। नेशनल हेल्थ सर्वे-5 के सर्वे ने जो आंकड़ा जारी किया है. वो सच में राहत देने वाली है. आंकड़े के मुताबिक देश के ज्यादातर राज्यों में ना सिर्फ लिंग अनुपात पहले के मुकाबले बेहतर हुआ है, बल्कि कई राज्यों में तो महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है। इसमें पहले स्थान पर बिहार है. जहां 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1090 हो गई है।

जबकि इसी सर्वे में झारखंड के लिए भी अच्छी खबर है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक ताजा इस लिस्ट में दूसरे नंबर है, जहां 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1050 हो गई है। इससे ये पता चलता है, ना सिर्फ लोगों में बेटियों को लेकर सोच बदली है. बदली प्रसव से पहले होने वाले भ्रूण हत्या में भी कमी आई है। और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का असर अब देश में दिखने लगा है।

पांच साल पहले की अगर बात करें तो झारखंड में 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1002 थी। लेकिन समय के साथ बदलाव साफ दिखने लगा है। अगर प्रजनन दर की बात करें तो झारखंड में प्रजनन दर 2.6 से घटकर 2.3 हो गई है। जबकि देशभर में ये दर 2 पर है। इस मामले में शहरी क्षेत्रों से ज्यादा जागरुक ग्रामीम क्षेत्रों में हैं। क्योंकि झारखंड के शहरी क्षेत्रों में अभी भी 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 989 है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1070 है।

इस आंकड़ों को देखने के बाद इतना तो साफ है, कि लोगों में बेटियों को लेकर सोच बदल रही है। लोग बेटे और बेटियों में भेद करना बंद कर रहे हैं। अगर ऐसे ही लोग जागरूक होते रहे, तो निश्चित तौर पर आने वाला वक्त महिलाओं का होगा। महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकेंगी।


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