दौड़ती-भागती जिंदगी में ब्रेक लगने से लोग परेशान, कोरोना की चिंता में मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा प्रभाव
Ranchi Coronavirus Update. हर दिन रिनपास के मनोरोग चिकित्सक से 20 से 25 लोग परामर्श ले रहे हैं। रिनपास अधीक्षक ने कहा कि बच्चों की मानसिक प्रवृत्ति में बदलाव हो रहा है।
रांची, जासं। Ranchi Coronavirus Update News दौड़ती-भागती जिंदगी में अचानक लगे ब्रेक और कोरोना वायरस के डर ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। इस बीच चिंता, डर, अकेलापन और अनिश्चितता का माहौल बना है और लोग दिन-रात इससे जूझ रहे हैं। कांके प्रखंड स्थित रांची इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो-साइकियाट्री एंड एलाइड साइंसेज (रिनपास) में कोरोना शुरुआत के समय से हुए लॉकडाउन और वर्तमान में मरीजों की संख्या काफी बढ़ी है।
अब मरीजों की काउंसिलिंग के दौरान अधिसंख्य मामले कोविड को लेकर घबराहट, भय से शुरू होकर अवसाद और आत्महत्या जैसी प्रवृत्ति पैदा कर रही है। ऐसा कहना है रिनपास के अधीक्षक डॉ. विनोद कुमार महतो का। उन्होंने बताया कि फिलहाल इंडोर में मरीजों की संख्या कम है। लेकिन वीडियो कांफ्रेंसिंग या फोन कॉल के माध्यम से मरीजों की काउंसिलिंग जारी है। हर दिन करीब 22 से 25 फोन आते हैं।
मरीज के माता पिता बच्चों के व्यवहार में हो रहे बदलाव की जानकारी देते हैं, जिसके बाद उनकी काउंसिलिंग कर प्रवृत्ति का पता चलता है। उनका कहना है कि वैश्विक महामारी कुछ मामलों में वायरस से संक्रमित लोगों में तीव्र घबराहट पैदा करती है। यह कई बार अवसाद का रूप ले लेती है। कुछ लोगों को तो आत्महत्या के कगार पर भी ले जाती है। इस तरह के मामलों में मरीज को भर्ती करा कर ट्रीटमेंट से ठीक किया जा सकता है। डॉ. विनोद के अनुसार पिछले दो माह में इस तरह के 200 से अधिक मामले आए हैं। करीब 40 को भर्ती भी किया जा चुका है।
संक्रमण का भय कर रहा लोगों की सोच को प्रभावित
मनोरोग चिकित्सक डॉ. एके नाग के मुताबिक, घबराहट, संक्रमण का भय, अत्यधिक बेचैनी, निरंतर आश्वासन की मांग करते रहने वाला व्यवहार, नींद में परेशानी, बहुत ज्यादा चिंता, बेसहारा महसूस करना और आर्थिक मंदी की आशंका लोगों में अवसाद एवं व्यग्रता के प्रमुख कारक हैं। इसमें सबसे अधिक वर्तमान में संक्रमण का भय लोगों की सोच को प्रभावित कर रहा है। कई इस तरह के मामले भी आ रहे हैं जिन्हें नौकरी चले जाने का भय, आर्थिक बोझ, भविष्य को लेकर अनिश्चितता और भोजन एवं अन्य जरूरी सामान के खत्म हो जाने का डर है, जो इन चिंताओं को और बढ़ा रहा है।
ऑनलाइन मदद मांगने वालों की संख्या बढ़ी
कोविड-19 के प्रकोप के बाद से ऑनलाइन मंचों पर भी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर मदद मांगने वालों की संख्या काफी बढ़ रही है। इनमें बेचैनी से लेकर अकेलापन और अपनी उपयोगिता से लेकर नौकरी चले जाने की चिंता जैसी तमाम समस्याएं शामिल हैं।
रिनपास की स्थिति/मरीजों की संख्या
भर्ती मरीजों की संख्या
महिला - 254 (झारखंड 230 बिहार 24)
पुरुष - 212 (झारखंड 192 बिहार 20)
ओपीडी (24 जुलाई 2020)
पुरुष
नए मरीज - पुराने मरीज
16 - 60
महिला
नए मरीज - पुराने मरीज
9 - 32
ऑनलाइन काउंसिलिंग - 18 मरीज (एक महीने में 132)