रांची, (कुमार गौरव)। Jharkhand : रांची कॉलेज (Ranchi College) के बीबीए (BBA) फर्स्ट इयर (First Year) में पढ़ने वाले विमलेश यादव (Vimlesh Yadav) इन दिनों बाल से जैविक खाद (Organic Manure) बना रहे हैं। उनका यह प्रयोग (Experiment) काफी सफल भी हुआ है।
कृषि विभाग (Agriculture Department) ने उनके इस प्रयोग को प्रोत्साहित भी किया है। पिछले दो वर्षों से विमलेश अपने तीन मित्रों के साथ इंसानी बाल (Human Hair) से जैविक खाद तैयार कर रहे हैं।
मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए जरूरी
उसने खुद से बनाए उत्पाद के गुणवत्ता की जांच के लिए प्रायोगिक तौर पर सेंट्रल ऑर्गेनिक लैब सेंटर, गाजियाबाद और एक निजी लैब को सैंपल भी भेजा।
जहां से आई रिपोर्ट स्पष्ट रूप से कहा गया कि इस खाद के इस्तेमाल से मिट्टी को माइक्रो न्यूट्रिएंट्स के साथ साथ नाइट्रोजन 14 से 15 प्रतिशत, पोटाश 4-5 प्रतिशत कार्बन 40 प्रतिशत प्राप्त होगा। जो कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए जरूरी होता है।
खाद को इस्तेमाल में ला रहा
विमलेश ने बताया कि वह पिछले तीन माह से अपने घर के बगीचे में इस खाद को इस्तेमाल में ला रहा है और इससे सकारात्मक असर भी देखने को मिल रहा है।
यह है बाल से खाद बनाने की प्रक्रिया
- सबसे पहले सैलून से इकट्ठा किए बालों को रेगपिकर्स द्वारा गंदगी को साफ किया जाता है फिर पानी से धोया जाता है ताकि उनमें मौजूद डाई या अन्य विषैले तत्व को हटाया जा सके
- 10 लीटर पानी में खाने वाला सोडा का घोल बनाया जाता है और उसमें 1 किलो साफ बाल डाले जाते हैं
- 5 घंटे तक 90 से 200 डिग्री सेल्सियस तक बाहरी गर्मी दी जाती है, इसके बाद लिक्विड का वजन मापा जाता है
- इस मिश्रण को एमिनो एसिड में बदलने के लिए प्राकृतिक माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का इस्तेमाल होता है
- इन माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का इस्तेमाल पीएच सेट करने के लिए होता है
- मिश्रण को 30 मिनट स्टेरिंग प्रोसेस से गुजरना पड़ता है
- मिश्रण को फिर गर्म करने के बाद वजन किया जाता है
- इसके बाद मिश्रण को छान कर अलग लिया जाता है। जिसमें से 20 लीटर में से 18 लीटर एमिनो एसिड और 2 लीटर अनडाइजेसटेड बाल निकलता है
- एमिनो एसिड को बोतल में भर लिया जाता है जबकि सॉलि़ड वेस्ट का दोबारा प्रोसेसिंग किया जाता है।
किसानों को मिलेगा लाभ
आमतौर पर एमिनो एसिड का इस्तेमाल अच्छी फसलों के लिए मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने में किया जाता है। बाजार में एमिनो एसिड की कीमत करीब 400 से 500 रूपए प्रति लीटर तक है।
लेकिन इस नई तकनीक से बनाने में 25 से 30 रूपए प्रति लीटर खर्च होता है। जो मार्केट में 40 से 50 रूपए प्रति लीटर उपलब्ध कराया जा सकता है। जिससे किसानों को कम दामों में अच्छी खाद मिल पाएंगी।
करोड़ों की होगी मार्केट, मिलेंगे रोजगार के अवसर
एक आंकड़ा पेश करते हुए विमलेश यादव ने बताया कि देशभर में मौजूद करीब 65 लाख सैलून से हर साल 12 करोड़ किलो बाल गाहे बगाहे बर्बाद होता है। इन बालों से 10,000 टन नाइट्रोजन और 20,000 टन यूरिया का उत्पादन किया जा सकता है। जिससे देश में हो रहे खाद के आयात निर्यात को नियंत्रित किया जा सकता है और राजस्व की भी बचत होगी। साथ ही पेट्रोकेमिकल सेक्टर पर पड़ने वाले दबाव को कम करने में सहायता मिलेगी। बताया कि बाल से बनाई गई खाद पूरी तरह से जैविक है। जिससे फसलों को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा और किसानों को कम दामों पर खाद मुहैया होगी।
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