Move to Jagran APP

महेश पोद्दार ने राज्यसभा में उठाया इंडस्ट्रीयल प्रोजेक्ट का मुद्दा, कही ये बात

झारखंड से राज्यसभा सदस्य महेश पोद्दार ने पर्यावरणीय मंजूरी (इनवायरमेंट क्लीयरेंस) के नाम पर औद्योगिक परियोजनाओं के लंबे समय तक लंबित रहने पर चिंता जताई है।

By Vikram GiriEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 05:56 PM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 05:56 PM (IST)
महेश पोद्दार ने राज्यसभा में उठाया इंडस्ट्रीयल प्रोजेक्ट का मुद्दा, कही ये बात
महेश पोद्दार ने राज्यसभा में उठाया इंडस्ट्रीयल प्रोजेक्ट का मुद्दा, कही ये बात

रांची (राज्य ब्यूरो) । झारखंड से राज्यसभा सदस्य महेश पोद्दार ने पर्यावरणीय मंजूरी (इनवायरमेंट क्लीयरेंस) के नाम पर औद्योगिक परियोजनाओं के लंबे समय तक लंबित रहने पर चिंता जताई है। उनका मानना है कि पर्यावरणीय मंजूरी का प्रावधान बेशक पर्यावरण सुरक्षा और प्रदूषण रोकने के लिए अच्छी नीयत से किया गया आवश्यक प्रावधान है लेकिन नियामक संस्थाओं और वहां पदस्थापित अधिकारियों ने इसे नाहक अडंगा लगाने और उद्यमियों के भयादोहन का उपकरण बना लिया है। महेश पोद्दार ने सरकार से पर्यावरणीय मंजूरी के नियमों को सरल और  टाइम बांड करने का आग्रह किया है।

loksabha election banner

पोद्दार ने राज्यसभा में अतारांकित प्रश्न के माध्यम से यह मुद्दा उठाया| उन्होंने प्रश्न किया कि देश में राष्‍ट्रीय और राज्‍य स्‍तर के प्राधिकरणों/न्‍यायाधिकरणों में पर्यावरणीय मंजूरी से संबंधित विभिन्‍न उद्योगों के कितने आवेदन लंबित हैं? वृहत, सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्योगों की श्रेणी में आने वाले ऐसे आवेदनों का राज्‍य-वार ब्‍यौरा क्‍या है? गत पांच वर्षों के दौरान विभिन्‍न उद्योगों से प्राप्‍त पर्यावरणीय मंजूरी से संबंधित आवेदनों के निस्‍तारण अथवा अनुमोदन में लगे औसत समय का वर्ष-वार ब्‍यौरा क्‍या है और क्‍या ऐसे आवेदनों के निस्‍तारण अथवा अनुमोदन के लिए कोई समय-सीमा है?

जिसका जवाब देते हुए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्‍य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने बताया कि सभी सेक्‍टरों में पर्यावरणीय स्‍वीकृति प्रदान करने के लिए लंबित प्रस्‍तावों की संख्‍या केन्‍द्रीय (पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय) स्‍तर पर 138 और राज्‍य-स्‍तर (राज्‍य-स्‍तरीय पर्यावरणीय प्रभाव आकलन प्राधिकरणों के स्‍तर) पर 15658 है।

पर्यावरणीय स्‍वीकृति प्रदान करने हेतु निर्धारित समय-सीमा अपेक्षित दस्‍तावेजों की प्राप्ति से एक सौ पांच दिन तक है। लेकिन विगत पांच वर्षों में खनन, औद्योगिक परियोजनाओं, अवसंरचना संबंधी परियोजनाओं, ताप विद्युत परियोजनाओं, नदी घाटी परियोजनाओं और जल-विद्युत परियोजनाओं आदि के लिए पर्यावरण स्‍वीकृति प्रदान करने में लगने वाला औसत समय 2015-16 में 83-220 दिन, 2016-17 में 107-232 दिन, 2017-18 में 117-231 दिन, 2018-19 में 102-225 दिन और 2019-20 में 176-336 दिन रहा है।

उन्होंने बताया कि मंत्रालय द्वारा दिनांक 10 अगस्‍त, 2018 को परिवेश (प्रो-एक्टिव एण्‍ड रेस्‍पांसिव फेसिलिटेशन बाइ इंटरएक्टिव, वर्चुअस एण्‍ड एनवायरनमेंटल सिंगल-विंडो हब) नाम से एक सिंगल-विंडो केन्‍द्र की स्‍थापना की गई है। परिवेश के तहत आवेदन की प्रस्तुति से लेकर कार्य-सूची की तैयारी, कार्य-वृत्‍त की तैयारी और पर्यावरणीय स्‍वीकृति प्रदान करने तक की संपूर्ण प्रक्रिया स्‍वचालित हो गई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.