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राज्यसभा की रोचक जंग: भाजपा का पलड़ा भारी, कांग्रेस में जोर-आजमाइश

झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन का उच्च सदन में जाना तय है। जबकि दूसरी सीट के लिए भाजपा और कांग्रेस में आजमाइश चल रही है जिसमें भाजपा का पलड़ा भारी दिख रहा है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 13 Mar 2020 06:19 AM (IST)Updated: Fri, 13 Mar 2020 09:30 PM (IST)
राज्यसभा की रोचक जंग: भाजपा का पलड़ा भारी, कांग्रेस में जोर-आजमाइश
राज्यसभा की रोचक जंग: भाजपा का पलड़ा भारी, कांग्रेस में जोर-आजमाइश

रांची, राज्य ब्यूरो। राज्‍यसभा चुनाव में यूपीए खेमे से कांग्रेस ने शहजादा अनवर के रूप में दूसरे प्रत्याशी की घोषणा ने पूरे चुनाव को रोचक बना दिया है। झामुमो के विधायकों के आंकड़ों का मौजूदा गणित बताता रहा है कि झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के उच्च सदन पहुंचने में कहीं कोई दिक्कत नहीं है। मुकाबला दूसरी सीट पर भाजपा और कांग्रेस में होगा। यहां भी कांग्रेस के मुकाबले भाजपा संख्या बल के आधार पर भारी पड़ती दिखाई दे रही है। हालांकि झारखंड में राज्यसभा चुनाव ने कई बार अप्रत्याशित परिणाम दिए हैं, इसे देखते हुए अभी से कोई कयास लगाना जल्दबाजी होगी।

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राज्‍यसभा चुनाव के लिए आज नामांकन पत्र दाखिल करने का अंतिम दिन है। झारखंड में दो सीटों के लिए तीन प्रत्याशियों में भिड़ंत हो रही है। झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन की जीत पक्की मानी जा रही है। जबकि भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्‍कर होती दिख रही है। मुकाबले में भाजपा की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है।

झारखंड में राज्यसभा की एक सीट निकालने के लिए 27 विधायकों की आवश्यकता है। इस लिहाज से यूपीए को 54 विधायकों का समर्थन चाहिए। कांग्रेस, झामुमो व राजद का संयुक्त संख्या बल 49 (प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के कांग्रेस में शामिल होने के बाद) है। यदि एनसीपी के विधायक कमलेश सिंह का भी साथ मिला तो भी आंकड़ा 50 तक ही सीमित रहेगा। यहां निर्दलीय सरयू राय, अमित यादव और माले विधायक विनोद सिंह की भूमिका अहम होगी।

सरयू राय और विनोद सिंह ने चुनाव के बाबत अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है कि वे वोट करेंगे या नहीं। अमित यादव पर भाजपा की भी निगाहें हैं। जाहिर है 54 का आंकड़ा आसान नहीं दिख रहा है। सरयू राय नेे स्वस्थ परंपरा की वकालत करते हुए तीसरा उम्मीदवार नहीं उतारने का अनुरोध किया था। ऐसे में उनके रुख पर भी नजर होगी। बात भाजपा की करें तो बाबूलाल मरांडी के मिलने के बाद विधायकों की संख्या 26 हो जाती है। आजसू के दो विधायकों का साथ मिला तो संख्या बल 28 होगा जो कि आसानी से बहुमत को दर्शाता है।

विशेष परिस्थिति में यदि भाजपा विधायक ढुलू महतो वोट देने से वंचित रहते हैं तो भी बहुमत का आंकड़ा 27 तक पहुंच जाएगा। रही सही कसर द्वितीय वरीयता के वोट से पूरी हो जाएगी। हालांकि द्वितीय वरीयता के वोट का गणित कुछ कठिन है, लेकिन सामान्य भाषा में समझे तो तीन विधायकों के द्वितीय वरीयता का वोट एक वोट की हैसियत के करीब पहुंच जाता है। जाहिर है भाजपा की सीट पूरी तरह से आजसू के रुख पर निर्भर है। आजसू ने शुक्रवार को संसदीय दल की बैठक में राज्यसभा चुनाव के बाबत निर्णय लेने की बात कही है।


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