मजदूरी छोड़ राजनीति में आए राजकुमार पाहन, बने विधायक
गरीब परिवार में जन्मे वर्तमान विधायक रामकुमार पाहन ने टाटीसिलवे में मजदूरी करते थे। वहां से आगे बढ़े और विधायक बने।
राजेश वर्मा, नामकुम :
गरीब परिवार में जन्मे वर्तमान विधायक रामकुमार पाहन ने टाटीसिलवे स्थित ऊषा मार्टिन में मजदूरी की है। ऊषा मार्टिन में लगभग दस वर्षो तक काम किया। इसी बीच बिहार सरकार द्वारा अनगडा के गेतलसुद में डैम के निर्माण के कारण आसपास के लोगो को विस्थापन का दंश झेलना पड़ा। अनगड़ा के सालहन में रहते हुए अनगडा के विस्थापितों के दर्द को रामकुमार पाहन ने समझा और उनके रोजगार, मुआवजा एवं अन्य बुनियादी सुविधाओं की माग को लेकर आदोलन की शुरुआत की। रामकुमार पाहन ने अनगडा के गेतलसूद के विस्थापितों के लिए विस्थापित आदोलन को धार दी। आदोलन में विस्थापितों के साथ उनके अधिकारों के लिए खडे़ रहे। उनके आंदोलन को जयराम महतो, बंदिया महतो, प्रमोद कुमार का साथ मिला, पर विस्थापितों के लिए कुछ कर पाने के लिए बडे़ लोगो का साथ खलने लगा। आदोलन में भागीदारी को देखते हुए उन्हें राजनीति में आने का मौका मिला। विधायक रहे दुती पाहन ने रामकुमार पाहन को पार्टी से जोड़ा। सन 2000 से रामकुमार पाहन ने भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर कार्य करना शुरू कर दिया। पार्टी में आने के बाद से ही लगातार सक्रिय भूमिका भी निभाते रहे। उनकी सक्रियता को देखते हुए उन्हें अनुसूचित जनजाति मोर्चा का राची जिला ग्रामीण का अध्यक्ष बनाया गया। लगातार बढ़ते हुए कद को देखते हुए पार्टी ने 2009 के विधानसभा चुनाव में टिकट दिया, पर 2009 के चुनाव में काग्रेस के सावना लकड़ा ने दो हजार से ज्यादा वोट से जीत हासिल की। हार के बाद भी लगातार जनता के साथ रहे। इसी बीच गढ़वा के रंका के रहने वाले युवक की हत्या के मामले में सावना लकड़ा को जेल हो गई। 2014 के विधानसभा चुनाव में दोबारा पार्टी ने रामकुमार पाहन को टिकट दिया और इस चुनाव में रामकुमार पाहन ने काग्रेस प्रत्याशी सुंदरी तिर्की को लगभग 60 हजार वोटों से हराया। अपने पांच साल के कार्यकाल में रामकुमार पाहन ने क्षेत्र में सड़क, पानी, बिजली के क्षेत्र में कई कार्य किए, परंतु रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई एवं पलायन अब भी क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या है। अब तीसरी बार फिर से पार्टी ने रामकुमार पाहन पर विश्वास जताया है और टिकट दिया है। अब देखना है कि इस बार के चुनाव में रामकुमार पाहन पार्टी के विश्वास को बरकरार रख पाते है या नहीं?