लाठीचार्ज व छात्राओं से बदसुलूकी पर उबला विपक्ष, राजभवन मार्च
रांची : दो अप्रैल को भारत बंद के दौरान लाठीचार्ज व छात्राओं से बदसुलूकी के विरोध में विपक्ष ने भर्त्सना की। राजभवन के पास विभिन्न पार्टियों द्वारा कैंडल मार्च निकाला गया, जिसमें आदिवासी छात्र भी शामिल हुए।
रांची : दो अप्रैल को भारत बंद के दौरान लाठीचार्ज व छात्राओं से बदसुलूकी के विरोध में विपक्ष ने एकजुटता दिखाते हुए छात्र-छात्राओं के साथ मिलकर राजभवन मार्च किया। राज्यपाल को मांगपत्र सौंपते हुए एसडीओ अंजलि यादव, सिटी डीएसपी राजकुमार मेहता समेत अन्य दोषी प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। छात्र नेता संजय महली की रिहाई की भी मांग की गई। आदिवासी छात्र संघ की ओर से आहूत मार्च में सभी एसटी-एससी छात्र संगठन व विपक्ष शामिल हुए।
विपक्ष के नेताओं में मुख्य रूप से पूर्व केंद्रीय मंत्री सह कांग्रेसी नेता सुबोध कांत सहाय, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, पूर्व मंत्री बंधु तिर्की, गीता श्री उरांव, दयामनी बारला समेत आदि शामिल हुए। राजभवन के लिए छात्र-छात्राएं और समुदाय के लोग नारेबाजी करते हुए मोरहाबादी मैदान स्थित गांधी प्रतिमा से एसएसपी आवास, रेडियम रोड होते हुए कचहरी चौक। वहां से राजभवन के समक्ष जाकिर हुसैन पार्क तक पहुंचा। जाकिर हुसैन पार्क के समीप भीड़ सभा में तब्दील हो गई। सभा के बाद राजभवन में राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
सभा को संबोधित करते हुए आदिवासी छात्र संघ के अध्यक्ष सुशील उरांव ने कहा लोकतांत्रिक ढंग से विरोध कर रहे छात्र-छात्राओं पर बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की गई। वास्वी किड़ो ने सीएम रघुवर दास के खिलाफ व्यक्तिगत व अभद्र टिप्पणी की। पूर्व विधायक देवकुमार धान, पूर्व आईपीएस रामेश्वर उरांव ने भी संबोधित किया। मार्च में दयामनी बारला, लक्ष्मी नारायण मुंडा, जगदीश लोहरा, पीसी मुर्मू, शिशिर टुड्डू, प्रेमशाही मुंडा, प्रभाकर कुजूर, अंतु तिर्की, अनुप, पप्पू सुभाष उरांव, मिथुन, अरविंद, गणेश उरांव, सुशांतो मुखर्जी समेत बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं शामिल थीं।
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प्रमुख मांगें :
-दो अप्रैल की घटना की जांच ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल के विधायकों द्वारा इसकी न्यायिक जांच करा दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
-छात्र नेता संजय महली को अविलंब रिहा करते हुए अन्य छात्रों के विरुद्ध पुलिस द्वारा गठित सभी आरोप तत्काल प्रभाव से निरस्त किए जाए। साथ ही घायल छात्रों को 10-10 लाख मुआवजा दिया जाए।
-कल्याण विभाग द्वारा संचालित झारखंड में विभिन्न जिलों में चल रहे आदिवासी छात्रावासों की स्थिति की सुधार कर उनकी मरम्मत कराई जाए।
-छात्रावास में पठन-पाठन हेतु पुस्तकालय की व्यवस्था अविलंब की जाए।
-नौकरियों में स्थानीयता को देखते हुए नियोजन नीति के तहत नौकरिया दी जाएं।
-आदिवासी छात्र छात्राओं के लिए कोई भी नीति या कार्यक्रम बने तो उसमें ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल और राज्यपाल की स्वीकृति आवश्यक हो।
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ऊपर में..27 मई तक का अल्टीमेटम :
पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने सरकार को 27 मई तक का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा कि मांगें पूरी नहीं हुई तो 27 मई को हरमू मैदान में विशाल जनसभा का आयोजन किया जाएगा। अब आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी।
रघुवर सरकार को चलता किया जाएगा।
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अधिकार समाप्त करने का षड्यंत्र : बाबूलाल
पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने कहा कि छात्रों पर कार्रवाई आदिवासियों के अधिकार समाप्त करने का षड्यंत्र है। छात्र अपने अधिकारों के लिए निकलते हैं, तो सरकार लाठियां बरसाती है। जेपीएससी रिजल्ट समेत कई उदाहरण यह स्पष्ट कर रही है। सरकार धीरे-धीरे आरक्षण समाप्त कर रही है। सही समय पर पूरी एकजुटता से लड़ने की जरूरत है। राज्य के सभी जिलों तक आंदोलन को ले जाना चाहिए।
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लाठी-गोली से आवाज दबाने की कोशिश : सुबोधकांत
पूर्व केंद्रीय मंत्री सह कांग्रेस के वरीष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय ने कहा भाजपा सरकार लाठी-गोली के बल पर आदिवासी दलितों की आवाज को दबाने की कोशिश करती है। देश के भाजपा शासित राज्यों में विरोध करने वाले कार्यकर्ता मारे गए। पहले भी बड़कागांव, गोला, खूंटी सहित कई जगहों पर सरकार गोलियां चलवा चुकी है।
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दो अप्रैल को मनाएंगे काला दिवस :
पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा दो अप्रैल को संवैधानिक विरोध करने वालों के खिलाफ कार्रवाई निंदनीय है। हर वर्ष दो अप्रैल को काला दिवस के रूप में मनाएंगे। सरकार नारी सशक्तिकरण के दावे करती है, यह दावे खोखली है। एसडीओ अंजलि यादव का बहिष्कार किया जाना चाहिए।
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