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Rajasthan Diwas: चक्रवर्ती राजाओं की धरती है राजस्थान, समाज के लोगों को होना चाहिए गर्व

Rajasthan Diwas झारखंड प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष ओमप्रकाश अग्रवाल ने मंगलवार को पूरे राज्य के लोगों को राजस्थान दिवस पर बधाई दी। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत देश का हर एक प्रांत अपने गौरवमयी इतिहास के लिए जाना जाता है।

By Vikram GiriEdited By: Published: Tue, 30 Mar 2021 02:00 PM (IST)Updated: Tue, 30 Mar 2021 02:57 PM (IST)
Rajasthan Diwas: चक्रवर्ती राजाओं की धरती है राजस्थान, समाज के लोगों को होना चाहिए गर्व
Rajasthan Diwas: चक्रवर्ती राजाओं की धरती है राजस्थान, समाज के लोगों को होना चाहिए गर्व। जागरण

रांची, जासं । Rajasthan Diwas Jharkhand News झारखंड प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष ओमप्रकाश अग्रवाल ने मंगलवार को पूरे राज्य के लोगों को राजस्थान दिवस पर बधाई दी। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत देश का हर एक प्रांत अपने गौरवमयी इतिहास के लिए जाना जाता है। आज "राजस्थान" का स्थापना दिवस है। ये चक्रवर्ती राजाओं, वीरांगनाओं की धरती है। हम सभी को ऐसे देश एवं प्रांत की संतान होने का अभिमान है, निसंदेह मुझे भी है।

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धार्मिक मान्यताओं  के अनुसार प्रांत का विराट नगर क्षेत्र भगवान विष्णु का सर्वप्रथम चरण स्पर्श करने का सौभाग्य प्राप्त किया, जब उन्होंने यहां मत्स्य अवतार लिया था, जो उनके 10 अवतारों में से पहला था। इसलिए इस प्रदेश को "मत्स्य जनपद" के नाम से भी जाना जाता है। रामायण काल की एक प्रमुख किरदार शबरी जिसके झूठे बेर खाकर प्रभु श्री राम तृप्त हुए, इसी विराटनगर की महारानी थी। महाभारत काल में पांडवों ने इसी विराटनगर में अपने अज्ञातवास के एक वर्ष गुजारे थे। यह विराटनगर राजधानी जयपुर से 53 किलोमीटर की दूरी पर है, जो आज बैरट नाम से लोकप्रिय है।

यहां धरा चौहान,सिसोदिया, शेखावत, राठौर, जैसे राजपूत व गुज्जर मौर्य जाट सरीखे वीर न्यायप्रिय राजाओं की भूमि रही है, राजा राजाओं स्थान होने के कारण ही इस क्षेत्र का नाम राजस्थान पड़ा। इसकी वीरता का सही वर्णन करते हुए एक अंग्रेज कवि मिस्टर क्लिपिंग ने उद्धत किया है- दुनिया में अगर कोई ऐसा स्थान है जहां वीरों की हड्डियों मार्क की धूल बनी है, तो वह राजस्थान कहा जाता सकता है।

जोधपुर के राजा जसवंत सिंह के 12 वर्षीय पुत्र पृथ्वी ने वर्ष 1670 में  औरंगजेब के खूंखार भूखे जंगली शेर का जबड़ा फाड़ डाला था तो राणा संग्राम सिंह सिसोदिया जिन्हें हम सादर राणा सांगा के नाम से भी जानते हैं ने अपने 40 वर्ष के जीवन काल (12-04-1482 - 30-01-1528) में एक सौ से अधिक लड़ाई लड़कर वीरता का परचम लहराया।

राणा सांगा ने पहली लड़ाई उत्तराधिकार के जिसमें उन्होंने अपने भाई पृथ्वी के विरुद्ध लड़ते हुए एक आंख गवा दी। फिर भी हार मानने के बजाय लड़ाइयां लड़ी, जिसमें उन्होंने अपनी आंख बाँह और पैर गवाएं। 18 प्रमुख लड़ाई यों में उन्होंने दिल्ली, मालवा व गुजरात के सुल्तानों को हराया।

वर्ष 1535 में जब बालवीर ने उदय को मारने की कोशिश की तब पन्ना धाय ने अपने सोते हुए बेटे चंदन की ओर इशारा कर दिया और उसकी हत्या कर दी गई, जबकि उदय को सुरक्षित नदी के पार भेज दिया। पन्ना धाय का बलिदान और महत्वपूर्ण हो जाता है जब वर्ष 1540 में उदय ने चित्तौड़ पर आक्रमण कर पुनः गद्दी प्राप्त की तथा उसी वर्ष उन्होंने भारतवर्ष के गौरवमयी सम्राट महाराणा प्रताप के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ,जिन्होंने घास की रोटी खाई,पर हार स्वीकार नहीं किया।

वर्ष 1678 में जब औरंगजेब की सेना ने जसवंत सिंह के नवजात अजीत सिंह को मारने की कोशिश की तब रानी बघेली दिल्ली ने अपनी नवजात बेटी को उस स्थान पर रख दिया, जिसकी हत्या कर दी गई। तदोपरांत लड़की की वेशभूषा में ना केवल अजीत का पालन पोषण की बल्कि अपने बच्ची के हिस्से का दूध भी पिलाया। इस तरह इन राजस्थानी महिलाओं ने नारी के बलिदान से इतिहास को गौरवान्वित किया।

भारत सरकार के तत्कालीन गृह मंत्री लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल व उनके सचिव बी.पी मेनन की सूझबूझ एवं लगभग एक दशक के अथक प्रयासों में वर्तमान राजस्थान की रूपरेखा तैयार की, जिसकी शुरुआत 8 मार्च 1948 को हुई जब अलवर भरतपुर, धौलपुर व करौली के 4 रियासतें का विलय होकर "मत्स्य संघ" बना,जिसके राज्यप्रमुख तत्कालीन महाराजा राजा उदय सिंह बने। दूसरे चरण में कोटा, बूंदी, झालावाड़, टोंक, डूंगरपुर बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, किशनगढ़ व शाहपुरा का विलय कर "राजस्थान संघ" 25 मार्च 1948 को बना।

तीसरे चरण में 18 अप्रैल 1948 को उदयपुर देवीलाल के साथ संयुक्त राजस्थान संघ बना जिसके प्रमुख उदयपुर के तत्कालीन महाराजा भोपाल सिंह बने अगले चौथे चरण में 30 मार्च 1949 को, जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर व बीकानेर के विलय के साथ "वृहतर राजस्थान संघ" बना। यही तारीख आज की तारीख में राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है। गणतंत्र की स्थापना के दिन 26 जनवरी 1950 को 19वे रियासत सिरोही का  "वृहतर राजस्थान संघ" में विलय हुआ। सातवें और अंतिम चरण में आबू, देलवाड़ा, तहसील व मध्यप्रदेश में शामिल सुनेल टप्पा के विलय के साथ सभी 22 रियासतों का एकीकरण पूरा हुआ तथा वर्तमान राजस्थान अस्तित्व में आया।


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