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रानीगंज की टाइल्स से बनी है राजभवन की छत

झारखंड का राजभवन देश के सबसे पुराने राज निवासों में से एक हैं। इसका भवन तैयार करने के लिए रानीगंज से टाइल्स मंगवाए गए थे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Feb 2020 03:53 AM (IST)Updated: Sat, 01 Feb 2020 06:22 AM (IST)
रानीगंज की टाइल्स से बनी है राजभवन की छत
रानीगंज की टाइल्स से बनी है राजभवन की छत

जागरण संवाददाता, रांची : झारखंड का राजभवन देश के सबसे पुराने राज निवासों में से एक हैं। इसके साथ ही इसकी वास्तुकला अपने आप में कला का एक बड़ा नमूना है। इसका निर्माण अंग्रेजों के द्वारा 1930 में शुरू किया गया था। जो लगभग एक साल में बनकर तैयार हो गया। उस वक्त इसे बनाने में सात लाख का खर्च आया है। इसकी आलीशान डिजाइन उस वक्त के जानेमाने आर्किटेक्ट मिस्टर सैडो बैलर्ड ने बनाई थी। बताया जाता है कि उस वक्त रांची की पूरी आबादी पुरानी रांची में रहती थी। ऐसे में अंग्रेजों ने गांव के पास ही अपने रहने का स्थान बनाना तय किया। हालांकि बाद में रांची का फैलाव हुआ और अब ये रांची की मध्य में है।

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राजभवन कुल 62 एकड़ में फैला है, जिसमें 10 एकड़ में आड्रे हाउस और राजभवन का सचिवालय है। इसके कुछ सुईट यहा के मौसम के हिसाब से बनाया गया है। इसमें सर्दी और गर्मी का प्रभाव नहीं पड़ता है। भवन की दीवारें लगभग 14 इंच मोटी है। वहीं इसके छत की उचाई 18-20 फीट उंची है। भवन की छत में रानीगंज टाइल्स का इस्तेमाल किया गया है। इसके साथ ही इंग्लैड से भी कुछ टाइल्स को विशेष रुप से मंगवाया गया था। इसका काफी खुबसूरती से भवन को सजाने के लिए इस्तेमाल किया गया है। पूरे राजभवन में लकड़ी का बेहद खुबसूरत काम किया गया है। इसमें सखुआ और गमहार की लकड़ी का विशेष रुप से काम किया गया है। राजभवन में ब्रिटिश काल के कई खुबसूरत और पुरातात्विक महत्व की पेंटिंग और आर्ट वर्क हैं। भवन के ग्राउंड फ्लोर पर एक बड़ा दरबार हॉल, डाइनिंग हॉल, मनोरंजन कक्ष, वेटिंग रूम, सिटिंग रूम और कार्यालय है। वहीं पहले फ्लोर पर राज्यपाल का निवास और गेस्ट सुईट है। राजभवन के दरबार हॉल में बड़े कार्यक्रम का आयोजन होता है। इसमें एंगलो फ्रेंच आर्टिस्ट डेनियल के द्वारा 1796 में बनायी गयी 12 पेंटिंग लगाई गयी है। इसके अलावा बिसू नंदी के द्वारा ली गयी कई फोटोग्राफ भी यहां सजाई गयी है। इसके साथ ही कई एंटिक वस्तुएं भी हैं। राजभवन के डाइनिंग हॉल में 32 लोगों के बैठने की व्यवस्था है

राजभवन के डाइनिंग हॉल में 32 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। जिसे मेहमानों की संख्या बढ़ने के बाद बढ़ाया भी जा सकता है। बताया जाता है कि राजभवन में कई गुप्त दरवाजे हैं जो अलग-अलग सुरक्षित स्थानों पर निकलती है। इसके अलावा राजभवन में सुरक्षा के कई उपाय भी किए गए हैं। जिन्हें सुरक्षा कारणों की वजह से गुप्त रखा गया है। राजभवन की सेवा में प्रतिदिन सैकड़ों कर्मचारी और माली तैनात रहते हैं। हैं कई लॉन एवं गार्डेन

राजभवन में कई लॉन व गार्डेन हैं। इसमें एक है अकबर गार्डेन, जिसका निर्माण 2005 में किया गया है। यह कई प्रकार के गुलाब और मौसमी फूल हैं। बुद्धा गार्डेन नाम से एक ग्रीन हाउस है। यहा से खूबसूरत नजारा दिखता है। 52 हजार फीट का खूबसूरत लॉन अशोका है। इसी प्रकार मूर्ति गार्डेन 15 हजार फीट, लीली पॉंड 12 हजार फीट का है। राजभवन में एक बड़ा हॉल है, जिसका नाम बिरसा मंडप रखा गया है। यहा पर सास्कृतिक गतिविधिया आयोजित होती रहती हैं। राजभवन के दक्षिण में महात्मा गाधी गार्डेन है। यहा पर विभिन्न प्रकार के औषधीय पेड़-पौधे लगाए गए हैं। राजभवन के विशाल प्रागण में बासों का विशाल झूरमूट, 150 प्रकार के वृक्ष हैं। राजभवन के सामने ही एक नक्षत्र वन है, जिसका संचालन राजभवन द्वारा किया जाता है। यहा पर भी कई प्रजाति के पौधे व वृक्ष आदि हैं। राजभवन के गार्डेन में होती है जैविक खेती

अकबर गार्डेन में एक म्यूजिकल फाउंटेन भी है। इसका नाम जवाहर फव्वारा रखा गया है। राजभवन के पीछे एक लिली तालाब बनाया गया है। इसमें पूरे राजभवन की छवि दिखाई देती है। राजभवन की एक और खासियत है। यहां केवल जैविक खेती होती है। राज्यपाल गार्डेन में उपजने वाले फल और सब्जी का प्रयोग करती हैं। इसके अलावा यहां मशरूम की भी खेती होती है। राजभवन की रसोई में इस्तेमाल होने वाला मसाला भी यहीं की खेत में उपजाया जाता है। इसमें जाफर से तेजपत्ता व पीपर तक के पौधे हैं।


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