ज्रेडा दफ्तर में एसीबी का छापा, पूर्व निदेशक ने जाली बैंक गारंटी पर हैदराबाद की कंपनी को दिया था टेंडर
Jharkhand. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने दिनभर कागजात खंगाले। इस दौरान ठोस सबूत हाथ लगे। निरंजन कुमार के लिए नियुक्ति के बाद नियम में बदलाव किया गया था।
रांची, राज्य ब्यूरो। सरकारी नियमों को ताक पर रखकर नौकरी करने और सरकारी खातों से 170 करोड़ से अधिक की राशि का भुगतान करने सहित कई गंभीर मामलों में फंसे ज्रेडा (झारखंड रिन्युबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी) के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार पर एंटी करप्शन ब्यूरो का घेरा कसता जा रहा है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज होने के दूसरे ही दिन डीएसपी राजनारायण सिंह के नेतृत्व में एसीबी की चार सदस्यीय टीम निरंजन कुमार पर लगे आरोपों की तह खंगालने के लिए उनके पूर्व के कार्यालयों में पहुंच गई।
टीम के सदस्यों ने डोरंडा के कुसई कॉलोनी स्थित झारखंड ऊर्जा संचार निगम लिमिटेड (जेयूएसएनएल) व ज्रेडा में दिनभर फाइलों को खंगाला। निरंजन कुमार जेयूएसएनएल के प्रबंध निदेशक व ज्रेडा के निदेशक थे। जांच में टीम को कई महत्वपूर्ण जानकारियां हाथ लगी है। इसमें यह पता चला है कि निरंजन कुमार ने जाली बैंक गारंटी के बावजूद हैदराबाद की कंपनी को गलत तरीके से टेंडर दिया था और उस फाइल को दबाए रखा।
वर्ष 2019 में जब नए डायरेक्टर अशोक कुमार ने पदभार ग्रहण किया तो इसका खुलासा हुआ, इसके बाद डोरंडा थाने में कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई। इतना ही नहीं, जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि ज्रेडा के लिए कोई आइएएस, आइएफएस या टेक्निकल अफसर ही निदेशक बनने योग्य है, इसके बावजूद निरंजन कुमार पहले निदेशक बने। उसके बाद अपने परिचय व पहुंच की बदौलत योग्यता का पैमाना तक बदलवाया। निरंजन कुमार भारतीय डाक-तार लेखा एवं वित्त सेवा के वरीय पदाधिकारी हैं।
सोमवार को अपना पक्ष रखेंगे निरंजन कुमार
एसीबी ने सोमवार को अपना पक्ष रखने के लिए निरंजन कुमार को नोटिस भेजा है। इस जांच को दो सप्ताह के भीतर पूरा करने का लक्ष्य है। इसमें निरंजन कुमार के साथ-साथ उन्हें अनियमितता करने में साथ देने वाले भी जांच के दायरे में आएंगे, उनसे संबंधित दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं।
निरंजन कुमार पर लगे
भारतीय डाक-तार लेखा एवं वित्त सेवा के वरीय पदाधिकारी निरंजन कुमार पर आरोप है कि वे बिना अर्हता पूरी किए पुराने परिचय का दुरुपयोग कर जेयूएसएनएल व ज्रेडा के निदेशक पद पर बने रहे। 27 जनवरी 2019 को प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो जाने के बाद इनकी प्रतिनियुक्ति अवधि का विस्तार केंद्र या कार्मिक विभाग ने नहीं किया। ये पद पर बने रहे और वेतन भी उठाते रहे।
इन्होंने सरकार के विभिन्न खातों से लगभग 170 करोड़ रुपये का भुगतान किया। इनपर सपरिवार विदेश भ्रमण करने, अपनी संपत्ति विवरण में अपनी पत्नी के नाम से अॢजत संपत्ति का कोई विवरण नहीं देने, निविदा में मनमानी तरीके से किसी कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने तथा विभिन्न निविदा में बगैर बोर्ड की सहमति के निविदा की शर्तें बदलने का आरोप है।