राहत इंदौरी:: जेठ की तपिश में रांची को राहत देने आए थे इंदौरी
शायरी की दुनिया के बादशाह कहे जाने वाले मशहूर शायर राहत इंदौरी दुनिया से रुखसत हो गए।
जासं, रांची : शायरी की दुनिया के बादशाह कहे जाने वाले मशहूर शायर राहत इंदौरी दुनिया से रु़खसत हो गए। अरबिदो हॉस्पिटल में मंगलवार की शाम उन्होंने आखिरी सांस ली। हाल ही में कोविड-19 का टेस्ट भी पॉजिटिव आने के बाद उन्हें अरबिदो हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया जहां कार्डियक अरेस्ट की वजह से 70 साल की उम्र में दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए। सरल व्यक्तित्व वाले राहत इंदौरी वर्ष 2018 की 26 मई को रांची में बढ़ते तापमान और झुलसाती सांझ को राहत देने दैनिक जागरण के कार्यक्रम में आए थे। दैनिक जागरण के सैकड़ों पाठक रिम्स के ऑडिटोरियम में उनको देखने-सुनने पहुंचे थे। भीड़ इतनी कि ऑडिटोरियम भर जाने पर लोग बाहर खड़े होकर उन्हें सुनते रहे। प्रस्तुत है कार्यक्रम में मौजूद कुछ कवि- कवयित्रियों यादें :- उनका जाना बहुत दुखद है। राहत इंदौरी, मुन्नवर राणा, दिनकर ये कुछ ऐसे नाम हैं जो अब कभी नहीं होंगे। वो हिन्दुस्तानी के कवि थे। यानि उर्दू और हिन्दी दोनों पर समान अधिकार था। आम बोलचाल में बड़ी से बड़ी बात कह देते थे। उन्होंने राजनीति की बड़ी आलोचना की मगर राजनीतिक शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया। लोग उनकी बातों, अंदाज के कायल हो जाते थे। इंदौरी तो कई हैं मगर रुह को राहत देने वाला राहत इंदौरी केवल एक था।
- कवि विद्या भूषण, रांची दैनिक जागरण के कार्यक्रम में राहत इंदौरी को सुनने का सपना पूरा हुआ। कार्यक्रम देर शाम शुरू हुआ। राहत इंदौरी ने अपनी शायरी से ऐसा समां बांधा की श्रोताओं को पता ही नहीं चला कि कब आधी रात हो गई। उनका हर अंदाज अलहदा था। मुझे याद नहीं कि तालियां कभी रुकी हों। राज जो कुछ हो, इशारों में बता देना..हाथ जब उससे मिलाना, तो दबा भी देना..इस खत में कोई बात नहीं है..फिर भी एहतियातन इसे पढ़ लो, तो जला भी देना..नशा वैसे तो बुरी शै है..मगर राहत से शेर सुनना हो..तो थोड़ी पिला भी देना.. इस शायरी पर को न जाने कितनी देर वाह-वाह होता रहा। उनका अचानक से जाना साहित्य जगत के लिए बड़ा दुखद है।
- रश्मि, कवयित्री रांची रांची में राहत इंदौरी का आना शहर के लोगों के लिए सौभाग्य की बात थी। उनका अंदाज इतना गजब था कि कोई भी कायल हो जाता। उनके शायरी शुरू करते ही पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा था। जब उर्दू का कठिन शब्द बोलते तो पहले उसका हिन्दी अर्थ बता देते। कार्यक्रम के बाद बड़ी सरलता से लोगों से मिले। जिसने चाहा, सहजता से फोटो खिंचवाई। हर कोई ऑटोग्राफ ले रहा था। उनका जाने से ऐसा लग रहा है जिगर का एक हिस्सा टूट गया हो।
संध्या उर्वशी, कवयित्री रांची