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झारखंड के मंत्री सरयू राय ने अमित शाह को भेजी आग लगाने वाली चिट्ठी, आप भी पढ़ें

Saryu Roy. बकौल सरयू स्वाभिमान एवं प्रतिष्ठा के साथ रघुवर कैबिनेट में बने रहना अब मेरे लिए संभव नहीं, सरकार में ऐसे कई कार्य हो रहे हैं जिन्हें पचा पाना मेरे लिए मुश्किल।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 10 Feb 2019 10:30 AM (IST)Updated: Sun, 10 Feb 2019 05:09 PM (IST)
झारखंड के मंत्री सरयू राय ने अमित शाह को भेजी आग लगाने वाली चिट्ठी, आप भी पढ़ें
झारखंड के मंत्री सरयू राय ने अमित शाह को भेजी आग लगाने वाली चिट्ठी, आप भी पढ़ें

रांची, राज्य ब्यूरो। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से नई दिल्ली में मुलाकात नहीं होने के बाद अब मुख्यमंत्री रघुवर दास से नाराज चल रहे राज्य सरकार के मंत्री सरयू राय ने उन्हें पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने पुरानी मुलाकात का हवाला देते हुए कार्रवाई के बाबत लिखा है। राय की पीड़ा है कि शुरू में थोड़ा सुधार देखने को मिला लेकिन अब स्थिति ऐसी नहीं रही कि वे स्वाभिमान और प्रतिष्ठा के साथ समझौता कर मंत्रिपरिषद में रहें। उन्होंने पत्र के माध्यम से गुहार लगाई है कि वे जल्द से जल्द मंत्रिमंडल छोड़ने की इच्छा रखते हैं और इस संबंध में आलाकमान के समक्ष भी असमंजस की स्थिति बनाकर नहीं रखना चाहते। निर्णय लेने के लिए उन्होंने फरवरी माह तक की मियाद भी दी है।

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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजा गया पत्र
प्रतिष्ठा में, श्री अमित शाह
माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष
भारतीय जनता पार्टी
नई दिल्ली.

माननीय अध्यक्ष जी,
विगत 4 अगस्त 2017 को मैंने माननीय प्रधानमंत्री जी से भेट किया था। तदुपरांत 21 अगस्त 2017 को आपसे पार्टी कार्यालय में मिला था। प्रधानमंत्री जी से भी और आपसे भी मैने झारखंड सरकार की असंतोषजनक कार्यप्रणाली के बारे में चर्चा किया था। मैने अवगत कराया था कि झारखंड मंत्रिपरिषद का सदस्य बने रहने में मुझे शर्मिंदगी महसूस हो रही है, इसलिये मै मंत्री पद से मुक्त होना चाहता हूं।

मान्यवर प्रधान मंत्री जी ने निर्देश दिया था कि मंत्री पद छोड़ना समस्या का हल नही है।, कोई कमी है तो उसे दूर किया जायेगा। इस विषय में आप अमित भाई से मिलें। मैं आपसे मिला तो आपने धैर्य दिलाया कि 16-18 सितंबर 2017 को रांची के तीन दिवसीय प्रवास के दौरान इस विषय का समाधान करेंगे। आपके रांची प्रवास के बाद कुछ समय तक सबकुछ ठीक-ठाक रहा परंतु आज की स्थिति उस समय से भी बदतर हो गई है। सरकार में ऐसे कई कार्य हो रहे हैं जिन्हें पचा पाना मेरे लिये संभव नही हो पा रहा है। स्वाभिमान और प्रतिष्ठा के साथ मंत्रिपरिषद का सदस्य बने रहना संभव नही हो पा रहा है।

मैं समझता हूं कि हर व्यक्ति की अपनी कार्यशैली होती है, अपनी प्राथमिकतायें होती है, अपनी विशेषताये होती हैं, ख़ूबियां- ख़ामियां होती हैं। मैं अंतर्मन से इसका समादर करता हूं। किसी की आलोचना करना मेरा मक़सद नही है। मेरा आपसे इतना ही निवेदन है कि यदि माननीय मुख्यमंत्री जी की कार्यशैली में, बात-व्यवहार में, प्राथमिकताओं में बदलाव संभव नही है, उनके अनुरुप ढलना मेरे लिये संभव नही है और केन्द्रीय नेतृत्व अथवा राज्य नेतृत्व के पास इस बारे मे पहल करने का समय नही है तो बेहतर होगा कि होगा कि मैं केन्द्रीय नेतृत्व के समक्ष असमंजस की स्थिति पैदा करने के बदले स्वयं मंत्रिपरिषद से अलग हो जाउं ताकि रोज़ रोज़ के खटपट से, विवाद से, कशमकश से और शर्मिंदगी से मुझे छुटकारा मिले।

इस हेतु आपसे निवेदन करने दिल्ली आया था, पर आपके दिल्ली से बाहर रहने के कारण यह लिखित निवेदन आपकी प्रतिष्ठा में छोड़ जा रहा हूं। आप जब भी आदेश करेंगे, हाज़िर हो जाउंगा। विनम्र अनुरोध है कि वर्तमान फ़रवरी माह के अंत तक या इसके पूर्व इस बारे में आपका निर्देश मुझे प्राप्त हो जायेगा।

सादर, आपका विश्वासी
सरयू राय


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