झारखंड के गरीबों के दर्द की दवा बनेगा आयुष्मान भारत, सरकार को करनी होगी मॉनीटरिंग की पुख्ता व्यवस्था
झारखंड सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत को लागू करने की तैयारी पूरी कर ली है।
रांची, जेएनएन। रघुवर कैबिनेट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना 'आयुष्मान भारत योजना' को मंजूरी देकर गरीबों की बड़ी चिंता दूर कर दी है। बड़ी संख्या में आदिवासी, गरीब बदहाली की जिंदगी जी रहे हैं।
इनके लिए जीवन यापन भी कठिन है। खूंटी, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा जैसे इलाके मानव तस्करों के सबसे ज्यादा प्रभाव वाले क्षेत्र हैं। इसके पीछे की वजह गरीबी है। ज्यादा दिन नहीं हुए गुमला में एक तस्करी की शिकार महिला के साथ रास्ते में दलाल ने कई बार दुष्कर्म किया था। फिर काम पर लगा दिया।
दस माह काम करने के बाद पैसे की मांग की तो फिर दुष्कर्म हुआ। पिछले माह गुमला के एक बड़े अधिकारी के सामने थी। उसकी मांग बकाया राशि दिला देने को लेकर थी। गरीबी की हालत यह है। आए दिन खबरें आती रहती हैं डॉक्टर ने दवा और जांच के लिए पुर्जा दिया तो पैसे के अभाव में घर वाले मरीज को ही अस्पताल से लेकर चल दिए।
एंबुलेंस के लिए पैसे नहीं थे तो कंधे या साइकिल पर ही मरीज या शव को लेकर चल दिया। इस तरह के गरीबों के लिए बीमारी में पांच लाख रुपये तक के इलाज का इंतजाम हो जाना किसी अमृत से कम नहीं। ऐसे लोगों के लिए खाने का इंतजाम भी सरकार कर चुकी है।
खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत आने वाले प्रदेश के 59 लाख परिवार के हर सदस्य को इस योजना से कवर किया जाएगा। इसमें एक दो नहीं पूरे 1350 तरह की बीमारियों का इलाज, सूचीबद्ध अस्पतालों में कराया जा सकेगा।
जिस तरह के अस्पतालों में प्रवेश की ये सोच भी नहीं सकते थे वहां इलाज संभव होगा। झारखंड में पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री इस योजना का शुभारंभ करेंगे। आज के दौर में जब चिकित्सा सेवा सर्विस के दायरे में आ गई है, पैसे का खेल हो गया है।
बड़े निजी हॉस्पिटल, होटल की तरह हो गए हैं। रांची जैसे शहर के अनेक निजी अस्पतालों में तो इंट्री शुल्क ही दस हजार रुपये से अधिक होती है। आम आदमी के लिए भी यहां इलाज कराना मुश्किल है।
ऐसे में सूचीबद्ध अस्पतालों में पांच लाख तक गरीबों के मुफ्त इलाज का इंतजाम वास्तव में तारीफ के योग्य है। सब कैशलेस। कार्ड लेकर जाएं और इलाज शुरू। राज्य सरकार को भी इस योजना पर बड़ी राशि खर्च करनी होगी।
इसके बावजूद सरकार का फैसला कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को और निखार देता है। बस सरकार को योजना की मॉनीट¨रग की मुकम्मल व्यवस्था करनी होगी ताकि वाजिब लोगों के कार्ड बनें। सिर्फ बिल बनाने के बदले, सूचीबद्ध अस्पतालों में इलाज का मुनासिब इंतजाम रहे। नहीं तो इस योजना का हश्र भी दूसरी योजनाओं की तरह न हो जाए।