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चैनपुर स्टेट की राजमाता प्रफुल्ल मंजरी का निधन, बालिका शिक्षा में योगदान को की जाएंगी याद

Jharkhand. पलामू के चैनपुर स्थित राजगढ़ में बुधवार को 103 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। सैकड़ों लोगों ने राजमाता का अंतिम दर्शन किया।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 09:05 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2020 09:05 PM (IST)
चैनपुर स्टेट की राजमाता प्रफुल्ल मंजरी का निधन, बालिका शिक्षा में योगदान को की जाएंगी याद
चैनपुर स्टेट की राजमाता प्रफुल्ल मंजरी का निधन, बालिका शिक्षा में योगदान को की जाएंगी याद

चैनपुर(पलामू), जासं। पलामू जिला अंतर्गत चैनपुर स्टेट की राजमाता प्रफुल्ल मंजरी देवी का बुधवार की सुबह निधन हो गया । चैनपुर स्थित राजगढ़ में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे चैनपुर स्टेट के अंतिम राजा ब्रजदेव नारायण सिंह की पत्नी थीं। इन्होंने बालिका शिक्षा के लिए भी पहल की थी। कन्या विद्यालय के लिए कीमती भूखंड दान दिया था। इस जमीन पर प्रफुल्ल मंजरी कन्या उच्च विद्यालय संचालित है। राजमाता के निधन की खबर पर लोगों की भीड़ चैनपुर किला परिसर में उमड़ पड़ी।

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सैकड़ों लोगों ने उनके अंतिम दर्शन किए। दोपहर बाद फूलों से सजे वाहन पर गाजे-बाजे के साथ उनकी शवयात्रा निकाली गई। कोयल नदी तट स्थित मंगरदाहा श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके बड़े पुत्र टिकैत विश्व देव नारायण सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस मौके पर राज परिवार के कुमार विवेक भवानी सिंह, पटैत बलदेव नारायण सिंह, डॉ वरुण देव नारायण सिंह, विकास सिंह, सुनील सिंह, प्रदीप सिंह समेत पूर्व मंत्री गिरिनाथ सिंह, मेदिनीनगर नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र प्रसाद सिंह, अंबिकेश्वर सिंह, जिप सदस्य शैलेंद्र कुमार शैलू, चैनपुर प्रखंड प्रमुख विजय गुप्ता, धनंजय त्रिपाठी, कृष्णदेव पांडेय, शिवनाथ साव, वेद प्रकाश आर्य समेत सैकड़ों लोग मौजूद थे।

जमींदारी उन्मूलन के समय निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका

प्रफुल्ल मंजरी का विवाह जनवरी 1941 में चैनपुर स्टेट के राजा ब्रज देव नारायण सिंह के साथ हुआ था। वह खरसावां स्टेट की पुत्री थी। जमींदारी उन्मूलन के समय राजा के अस्वस्थ होने के कारण उन्होंने इंपावर्ड के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। राजकाज के सफल संचालन व व्यवहार कुशलता के कारण वे जनता में लोकप्रिय थीं। राजा ब्रज देव नारायण सिंह का निधन 7 मई 1977 को हुआ था। उसके बाद वे मेदिनीनगर स्थित आवास व चैनपुर गढ़ में रह रही थीं।

कन्या विद्यालय के लिए दिया था कीमती भूखंड का दान 

राजमाता प्रफुल्ल मंजरी देवी की हिंदी समेत ओडिय़ा व अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ थी।  इसके अलावा चैनपुर अस्पताल रामगढ़ थाना आदि के लिए भी उन्होंने जमीन दान दी थी।


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